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हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए चल रहे प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हिसार से उम्मीदवार रणजीत सिंह चौटाला को कई गांवों में विरोध का सामना करना पड़ा। किसानों और महिलाओं ने उनके खिलाफ प्रदर्शन किया और काले झंडे दिखाए।
पहले मामले में, रविवार को हांसी विधानसभा क्षेत्र के थुराना गांव में किसानों ने रणजीत चौटाला को गांव में घुसने ही नहीं दिया। जैसे ही उनकी गाड़ियों का काफिला गांव में पहुंचा, किसानों ने उन्हें रोक लिया और 'गो बैक' के नारे लगाए। किसानों ने कहा कि उन्हें भाजपा प्रत्याशी से सवाल पूछने और उनका विरोध करने का अधिकार है। एक अन्य घटना में, हिसार के आदमपुर हलके के गांव चूली खुर्द में भी रणजीत चौटाला की चुनावी सभा के दौरान उनके समर्थकों और किसानों के बीच झड़प हो गई। इस हंगामे के चलते भाजपा प्रत्याशी को गांव में बिना भाषण दिए ही लौटना पड़ा।
तीन दिन पहले ही, हिसार के नियाना और खरड़ अलीपुर गांवों में भी रणजीत चौटाला को विरोध का सामना करना पड़ा। नियाना गांव में महिलाओं ने उनके खिलाफ काले झंडे दिखाए, जबकि खरड़ अलीपुर में किसानों ने नारेबाजी करके विरोध जताया। किसानों का कहना है कि वे भाजपा प्रत्याशी से सवाल पूछना चाहते हैं और उनसे विकास कार्यों का हिसाब मांगना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार ने उन्हें दिल्ली जाने से रोका था, उसी तरह अब वे भाजपा के प्रत्याशियों को गांव में आने से रोक रहे हैं।
इन घटनाओं से स्पष्ट है कि हरियाणा में किसान और आम लोग भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ काफी नाराज हैं। उनके विरोध प्रदर्शनों से चुनावी माहौल और भी गरमा गया है। चुनाव प्रचार के दौरान ऐसी घटनाएं लोकतंत्र के लिए अच्छी नहीं हैं, लेकिन साथ ही लोगों को अपनी बात रखने का अधिकार भी है।
अब देखना यह होगा कि भाजपा प्रत्याशी इस विरोध से कैसे निपटते हैं और किसानों व आम लोगों की मांगों को कैसे पूरा करते हैं। चुनाव परिणाम इन विरोध प्रदर्शनों से प्रभावित होंगे या नहीं, यह भी देखना दिलचस्प होगा।
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