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The Haryana Story | भाजपा के उम्मीदवार कृष्णपाल गुर्जर और इनेलो के उम्मीदवार सुनील तेवतिया के खिलाफ चुनाव आयोग ने सख्त कार्रवाई की

भाजपा के उम्मीदवार कृष्णपाल गुर्जर और इनेलो के उम्मीदवार सुनील तेवतिया के खिलाफ चुनाव आयोग ने सख्त कार्रवाई की

राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों ने चुनाव आचार संहिता का खुलेआम उल्लंघन किया। सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग करते हुए अवैध विज्ञापन और प्रचार किया गया। यह जनता के विश्वास पर धोखा और कानून का मखौल उड़ाना है।

प्रतीकात्मक तस्वीर

हरियाणा में चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के मामले सामने आए हैं, जिससे जनता में गहरा रोष और निराशा व्याप्त है। राज्य के फरीदाबाद जिले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार कृष्णपाल गुर्जर और इनेलो के उम्मीदवार सुनील तेवतिया के खिलाफ चुनाव आयोग ने सख्त कार्रवाई की है।

दोनों उम्मीदवारों पर अवैध रूप से सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग करने और राजनीतिक विज्ञापन प्रदर्शित करने का आरोप है। उन्होंने बिना अनुमति के सड़कों, खंभों और इमारतों पर अपने राजनीतिक दल के झंडे, पोस्टर और होर्डिंग लगाए। यह न केवल चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है, बल्कि जनता के विश्वास पर भी धोखा है। 

चुनाव आयोग ने दोनों उम्मीदवारों को नोटिस जारी किया था और उनसे स्पष्टीकरण मांगा था। लेकिन दोनों ने ही नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया, जिससे चुनाव आयोग को उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी पड़ी। कृष्णपाल गुर्जर के खिलाफ डबुआ थाने में और सुनील तेवतिया के खिलाफ बल्लभगढ़ थाने में मामला दर्ज किया गया है। दोनों पर संपत्ति विरूपण निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई है।

यह घटना न केवल चिंताजनक है, बल्कि लोकतंत्र और कानून के शासन के लिए भी खतरनाक है। जब नेता और उम्मीदवार ही कानून की अवहेलना करते हैं, तो आम जनता से उनका पालन करने की उम्मीद कैसे की जा सकती है? यह घटना जनता के विश्वास को झकझोरने वाली है और लोकतंत्र की नींव को कमजोर करती है।

राजनेताओं को यह समझना होगा कि वे जनता के प्रतिनिधि हैं और उनका कर्तव्य है कि वे कानून का पालन करें और जनता के विश्वास को बनाए रखें। अगर वे ही कानून की अवहेलना करेंगे, तो देश कैसे आगे बढ़ेगा? इस घटना से सभी राजनीतिक दलों को सबक लेना चाहिए और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचना चाहिए।

आखिरकार, लोकतंत्र की सफलता जनता के विश्वास पर निर्भर करती है। अगर यह विश्वास टूट जाता है, तो लोकतंत्र की नींव ही डगमगा जाएगी। इसलिए, राजनेताओं को जनता के प्रति अपनी जवाबदेही को समझना होगा और कानून का पालन करना होगा। 

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