हरियाणा में लोकसभा चुनाव के बाद राजनीतिक दलों ने अपनी समीक्षा शुरू कर दी है। 27 मई को पंचकूला में भाजपा की रिव्यू मीटिंग हुई, जिसमें इंटरनल रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट के अनुसार, रोहतक और सिरसा की स्थिति खराब दिखाई दी है।
रोहतक और सिरसा की चुनौतियां
रोहतक में, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा को कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उतारा गया है। यहां भाजपा का मार्जिन 2019 में मात्र 7,500 वोटों का था, और इस बार इसे कवर करना बड़ी चुनौती है। इसके अलावा, जाटों और किसानों का विरोध भी भाजपा के लिए समस्या बन सकता है।
सिरसा में, कांग्रेस की पूर्व सांसद कुमारी सैलजा मजबूत उम्मीदवार हैं। वहीं, भाजपा उम्मीदवार अशोक तंवर पहले कांग्रेस से थे, और पार्टी बदलने को लेकर लोग उनसे नाराज हैं। किसानों का विरोध भी उन्हें झेलना पड़ा है।
चार अन्य सीटों पर कांटे की टक्कर
सोनीपत, अंबाला, कुरुक्षेत्र और भिवानी-महेंद्रगढ़ में कांटे की लड़ाई देखने को मिली है। इन सीटों पर जाति और क्षेत्रीय समीकरण चुनावी गणित को प्रभावित कर रहे हैं।
अन्य सीटों पर भाजपा आशावादी
करनाल, गुरुग्राम, हिसार और फरीदाबाद में भाजपा अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है। खासकर करनाल में, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रभावशाली होने की उम्मीद है।
समग्र रूप से, भाजपा की इंटरनल रिपोर्ट ने कुछ सीटों पर चुनौतियों को रेखांकित किया है, लेकिन पार्टी अभी भी अपनी जीत पर विश्वास व्यक्त कर रही है। हालांकि, जीत के मार्जिन में कमी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
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