
दुनियाभर में 14 जून का दिन विश्व रक्तदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसे मनाने का मकसद समय-समय पर रक्तदान करके कई लोगों की जिंदगियां बचाने वालों को धन्यवाद देना, साथ ही ज्यादा से ज्यादा लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करना भी है। तो आज विश्व रक्तदाता दिवस पर रूबरू कराते है एक ऐसी शख्सियत से जो कि पानीपत शहर में किसी परिचय की मोहताज नहीं।
एक निजी कंपनी में कार्यरत नरेंद्र गुप्ता जो कि कोरीना काल से पूर्व रक्तदान शिविरी में सहयोग करते रहे हैं, परंतु कोरोना काल के समय लॉकडाउन के तीसरे दिन किसी को व्यक्ति को रक्तदान करवाने के लिए जिला रेडक्रॉस ब्लड बैंक पानीपत पहुंचे, जब वो वापिस लौटने लगे तब एक महिला अपने बच्चे को गोदी में लेकर रक्त के अभाव में घूमती हुई रो रही थी, तब ही इस शख्स का दिल पसीज गया।
लॉक डाउन की हिदायतों का पालन करते हुए लगाए शिविर
तभी इन्होंने तभी शहर की कई मौजिज संस्थाओं से रक्तदान के बारे में संपर्क किया, परंतु निराशा ही हाथ लगी। परंतु इस शख्स ने हार नहीं मानी व कुछ रक्तदाताओं व प्रिंट मीडिया के सहयोग से रक्तदान शिविर आयोजित करने शुरू किए। प्रिंट मीडिया में मोबाइल नंबर आने पर शहर के रक्तदाताओं ने इनसे संपर्क करना शुरू कर दिया। इनके द्वारा भेजे जाने वाले मैसेज शहर के विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुपों में प्रसारित होने लगे जिस दिन रक्तदान शिविर होता था।
उस दिन सुबह ही रणनीति बनाकर सभी रक्तदाताओं को एक समय पर न बुलाकर सभी को 10 से 15 मिनट के अंतराल पर बुलाकर सरकार की हिदायतों का भी पालन किया व प्रत्येक रक्तदान से पूर्व सभी बेड को अपने हाथों से सेनेटाइज किया। उन्होंने ये रक्तदान शिविर थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों व जरूरतमंद मरीजों के लिए लगाए व लॉकडाउन के चलते आम लोगों के आवाजाही बंद थी। जिस कारण कुछ लोगों को घर से लाकर व रक्तदान के पश्चात घर पर छोड़कर भी आए।
रक्त का जरूरतमंद किसी भी शहर में हो, वहीं करवा देते हैं रक्त का प्रबंध
खुद भी 36 बार रक्तदान कर चुके है इस लॉकडाउन के रक्तदान शिविर दौरान लोकसभा सांसद, विधायक, मेयर, उपायुक्त, पुलिस अधिकारियों ने शिरकत कर इनका उत्साह बढ़ाया व प्रशंसा की। नरेंद्र गुप्ता खुद इस सवा तीन साल के अंदर 1800 यूनिट से ज्यादा रक्त रेडक्रॉस ब्लड बैंक पानीपत को दे चुके है। कोरोना काल के दौरान इन्होंने खुद भी 9 बार व जीवन में 36 बार से ज्यादा रक्तदान कर चुके है व पानीपत के किसी किसी मरीज के अन्य शहरों में रेफर होने पर रक्त का प्रबंध भी उसी शहर में करवा देते है व अपने जन्मदिन पर रक्तदान करते है। आज उन्हीं के इस कार्य का अनेकों लोगों द्वारा अनुसरण किया जा रहा है। उनके इस कार्य के लिए उन्हें अनेकों बार कैबिनेट मंत्री, सांसद, विधायक, मेयर, जज, उच्चायुक्त, उपायुक्त, जिला प्रशासन, पुलिस अधिकारियों व सामाजिक संस्थाओं व समाज के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
मरीज का हालचाल जानने भीड़ एकत्रित हो जाती है, रक्त दान से डरते हैं
''मौका दीजिये अपने खून को, किसी की रगों में बहने का…
ये लाजवाब तरीका है, कई जिस्मों में ज़िंदा रहने का…''
नरेंद्र गुप्ता का यही कहना है कि यदि आप स्वस्थ है, को हर 90 दिन के बाद रक्तदान अवश्य करना चाहिए, नरेंद्र गुप्ता का कहना है कि आज हमारा समाज रक्तदान करने की जागरूकता का अभाव है। आज यदि किसी का कोई परिचित हॉस्पिटल में एडमिट हो जाए तो हालचाल जानने वालों की भीड़ एकत्रित हो जाती है और उसी मरीज को रक्त की जरूरत पड़ने पर सभी इधर उधर रक्तदान करवाने वाली संस्थाओं व रक्त सेवकों को फोन लगाते है व अन्य लोगों से उन्हें सिफारिश करवाते है।
जब उनसे पूछा जाता है कि वो अपने परिचित के लिए रक्तदान क्यों नहीं कर रहे तो विभिन्न प्रकार के बहाने बना कर बगले झांकने लगते है जो कि हर तरह से अशोभनीय है। लोगों को स्वयं जागरूक हो कर 90 दिन बाद स्वयं से आगे बढ़ कर रक्तदान करना चाहिए, ताकि परिचित या अपरिचित कोई भी जरूरतमंद मरीज रक्त के अभाव में जिंदगी की जंग ना हार जाए, तभी रक्तदान को महादान कहा गया है।
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