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बिश्नोई का दिल्ली दरबार: क्या BJP में बिश्नोई परिवार को मिलेगी नई ताकत?

बिश्नोई का दिल्ली दरबार: क्या BJP में बिश्नोई परिवार को मिलेगी नई ताकत?

कुलदीप बिश्नोई की दिल्ली में बड़े नेताओं से मुलाकात, राज्यसभा सीट और विधानसभा चुनाव में टिकटों की मांग पर चर्चा; समर्थकों का दबाव और परिवार की 16 साल से सत्ता से दूरी भी बनी चुनौती

प्रतीकात्मक तस्वीर

हरियाणा के राजनीतिक परिदृश्य में एक बार फिर हलचल मच गई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई इन दिनों दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। वे लगातार पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं, जिससे राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। इस यात्रा के पीछे राज्यसभा चुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियां माना जा रहा है। 

राज्यसभा सीट की दौड़: नया मोड़ 

कांग्रेस नेत्री किरण चौधरी के भाजपा में शामिल होने के बाद, कुलदीप बिश्नोई राज्यसभा सीट की दौड़ में शामिल हो गए हैं। वे पार्टी नेतृत्व को अपनी उम्मीदवारी के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, क्योंकि राज्यसभा सदस्यता उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत मंच प्रदान करेगी। 

विधानसभा चुनाव: 8-10 सीटों की मांग 

कुलदीप के पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, वे आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी से 8 से 10 विधानसभा सीटों की मांग कर सकते हैं। इनमें हिसार, नलवा, हांसी, बवानी खेड़ा, बरवाला, आदमपुर, फतेहाबाद, सिरसा और भिवानी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं। यह मांग उनके और उनके समर्थकों के लिए राजनीतिक महत्व को दर्शाती है। 

समर्थकों का दबाव: एक बड़ी चुनौती 

कुलदीप के समर्थक लगातार उन पर या तो भाजपा से टिकट दिलवाने या फिर निर्दलीय चुनाव लड़ने का दबाव बना रहे हैं। यह स्थिति उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। हाल ही में, हिसार एयरपोर्ट के उद्घाटन समारोह पर आयोजित मुख्यमंत्री नायब सैनी की रैली में कुलदीप के करीबी रणधीर पनिहार के समर्थकों ने भाजपा के झंडे के बजाय सफेद और पीले झंडे लगाकर अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की।

16 साल से सत्ता से दूरी: परिवार की चिंता 

बिश्नोई परिवार पिछले 16 वर्षों से सरकार में किसी पद से दूर है। 2005 से 2008 तक भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री रहे थे, लेकिन उसके बाद से परिवार को कोई सरकारी पद नहीं मिला है। इस लंबे अंतराल ने परिवार में चिंता बढ़ा दी है और वे फिर से सत्ता में वापसी करना चाहते हैं। 

कुलदीप बिश्नोई की यह दिल्ली यात्रा हरियाणा की राजनीति में नए समीकरण बनाने की कोशिश है। वे अपने और अपने समर्थकों के लिए अधिक से अधिक राजनीतिक स्थान बनाना चाहते हैं। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा नेतृत्व उनकी मांगों पर कैसे प्रतिक्रिया देता है और क्या यह यात्रा उनके राजनीतिक भविष्य को नई दिशा दे पाएगी। 

आने वाले दिनों में हरियाणा की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं। कुलदीप बिश्नोई की भूमिका और उनके द्वारा किए जा रहे प्रयास निश्चित रूप से ध्यान केंद्रित करेंगे। यह न केवल उनके व्यक्तिगत राजनीतिक करियर के लिए, बल्कि समूचे बिश्नोई परिवार और उनके समर्थकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

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