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पिछली हार से सीख, अब नई रणनीति
बबीता फोगाट ने अपने दादरी निवास पर आयोजित प्रेस वार्ता में पिछले विधानसभा चुनाव में मिली हार पर खुलकर बात की। उन्होंने स्वीकार किया कि उस समय उन्हें राजनीति का पर्याप्त अनुभव नहीं था। फोगाट ने कहा, "पहलवान मेहनत करना जानते हैं, लेकिन राजनीति का ज्यादा अनुभव नहीं था। कुछ कमियां रही जिसके चलते मैं पिछला विधानसभा का चुनाव नहीं जीत पाई।" उन्होंने आगे बताया कि इस बार वे फील्ड में रहते हुए राजनीति के दांव-पेंच सीखकर फिर से चुनाव मैदान में उतरने का मन बना रही हैं।
भाजपा टिकट की दावेदारी
बबीता फोगाट ने भाजपा से टिकट मिलने पर फिर से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की। उन्होंने कहा, "पार्टी अगर मेरी कुशलता और मेहनत के बूते टिकट देती है, तो मैं फिर से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ना चाहूंगी।" यह बयान उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सरकार की नीतियों का समर्थन
फोगाट ने हरियाणा सरकार द्वारा सरपंचों के लिए की गई घोषणाओं का स्वागत किया। उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने धरातल पर काम करते हुए सरपंचों के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं, जो विकास को आगे बढ़ाएंगी। बबीता ने यह भी भविष्यवाणी की कि सरपंचों को मिले सम्मान के बाद हरियाणा की राजनीति में काफी बदलाव होगा और भाजपा तीसरी बार हरियाणा में सरकार बनाएगी।
कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप
बबीता फोगाट ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार करते हुए परिवारवाद का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "देश में मां-बेटा तो हरियाणा में बाप-बेटा ने पार्टी को हाशिये पर भेज दिया है। कांग्रेस पार्टी परिवारवाद से बाहर नहीं निकल रही, यही कारण है कि किरण चौधरी को दुखी होकर कांग्रेस पार्टी छोड़नी पड़ी।" उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस बार हरियाणा की जनता परिवारवाद को खत्म कर भाजपा की सरकार बनाएगी।
बबीता फोगाट का यह बयान हरियाणा की राजनीति में उनकी बढ़ती सक्रियता और महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। पहलवान से राजनेता बनने की यात्रा में, वे अपने अनुभवों से सीख लेकर अगले चुनाव में मजबूत दावेदारी पेश करने की तैयारी कर रही हैं। उनके बयान से यह भी स्पष्ट होता है कि वे भाजपा की नीतियों और नेतृत्व के प्रति पूरी तरह से समर्थित हैं, जबकि विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस की आलोचना करने में भी पीछे नहीं हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि बबीता फोगाट अपने राजनीतिक करियर को कैसे आगे बढ़ाती हैं और क्या वे अपनी खेल की सफलता को राजनीतिक क्षेत्र में दोहरा पाती हैं।