नेपाल में भगवान विष्णु का एक मंदिर है जिसे लेकर ऐसी मान्यता है कि इसी जगह पर भगवान विष्णु को एक श्राप से मुक्ति मिली थी। आइये जानते हैं इस मंदिर का क्या नाम है और क्या है इस मंदिर से जुड़ी कथा।
हर मंदिर के साथ जुड़े होते चमत्कार और रहस्य
भारत एवं भारत के आसपास के देशों में ऐसे कई मंदिर हैं जो भगवान विष्णु को समार्पित हैं। विशेष बात यह है कि हर मंदिर के साथ न सिर्फ कई चमत्कार जुड़े हुए हैं बल्कि हर मंदिर किसी न किसी रहस्य को समेटे हुए भी है। ठीक ऐसा ही एक मंदिर है भारत से सटे नेपाल में।
जी हां, नेपाल में भगवान विष्णु का एक मंदिर है जिसे लेकर ऐसी मान्यता है कि इसी जगह पर भगवान विष्णु को एक श्राप से मुक्ति मिली थी। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि नेपाल में स्थित इस मंदिर का क्या नाम है और क्या है इस मंदिर से जुड़ी कथा। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
भगवान विष्णु को किस जगह मिली थी श्राप से मुक्ति?
नेपाल की मुक्तिनाथ घाटी में मस्तंग में माउंट थोरोंग ला पर स्थित है भगवान विष्णु का मंदिर जिसे मुक्तिनाथ धाम के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,800 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद है। इसी कारण से मुक्तिनाथ धाम मंदिर को दुनिया के सबसे ऊचे मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर की बहुत मान्यता है।
मुक्तिनाथ धाम में भगवान विष्णु शालिग्राम रूप में स्थापित हैं। ऐसा माना जाता है कि एक बार भगवान विष्णु को भी श्राप मिला था। यह श्राप बहुत भयंकर था जिसे भगवान विष्णु को लंबे समय तक भुगतना पड़ा था। इसी स्थान पर आकर भगवान विष्णु को इस श्राप से मुक्ति मिली। इसलिए इसका नाम मुक्तिनाथ धाम पड़ा।
वृंदा ने उन्हें पत्थर होने का श्राप दिया था
इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा यह है कि एक बार जालंधर के आतंक से सृष्टि को मुक्त कराने के लिए जब भगवान शिव ने युद्ध छेड़ा तब वृंदा के सतीत्व के कारण कोई भी महादेव उसका वध नहीं कर पा रहे थे। तब भगवान विष्णु ने जालंधर का भेस धारण कर वृंदा की पूजा भंग कर दी थी जिसके बाद वृंदा ने उन्हें पत्थर होने का श्राप दिया था।
इसी श्राप के कारण भगवान विष्णु शालिग्राम में परिवर्तित हो गए और सृष्टि का संचालन रुक गया था, तब मां लक्ष्मी ने वृंदा से भगवान विष्णु को श्राप मुक्त करने की प्रार्थना की जिसके बाद वृंदा ने भगवान विष्णु को दिया श्राप वापस ले लिया। जिस स्थान पर भगवान विष्णु को श्राप से मुक्ति मिली थी वही स्थान बना मुक्तिधाम मंदिर।
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