हरियाणा की स्टार पहलवान विनेश फोगाट के लिए पेरिस ओलंपिक एक सपने के टूटने जैसा साबित हुआ। उनके करियर का सबसे बड़ा मौका, जो उन्हें भारत की पहली महिला ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बना सकता था, महज 100 ग्राम वजन की वजह से हाथ से फिसल गया। यह घटनाक्रम न केवल विनेश के लिए, बल्कि पूरे भारतीय खेल जगत के लिए एक बड़ा झटका है।
ओलंपिक में विनेश का सफर:
विनेश ने 50 किलोग्राम वर्ग में शानदार प्रदर्शन करते हुए एक ही दिन में तीन मुकाबले जीते। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक की चैंपियन यूई सुसाकी समेत यूक्रेन और क्यूबा की पहलवानों को हराकर फाइनल में जगह बनाई। यह उपलब्धि किसी भी भारतीय महिला पहलवान के लिए अभूतपूर्व थी। लेकिन फाइनल से पहले हुए वजन परीक्षण में उनका वजन निर्धारित सीमा से 100 ग्राम अधिक पाया गया, जिसके कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया।
अपील और उसका परिणाम:
इस फैसले के खिलाफ विनेश ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) में अपील की। उन्होंने तर्क दिया कि 100 ग्राम का अंतर बहुत मामूली है और यह गर्मी के कारण शरीर में पानी जमा होने या एक दिन में तीन मुकाबले लड़ने के कारण हो सकता है। लेकिन CAS ने उनकी अपील खारिज कर दी, जिससे उनका सिल्वर मेडल पाने का सपना टूट गया।
संन्यास का ऐलान और परिवार का समर्थन:
इस निराशाजनक घटना के बाद विनेश ने सोशल मीडिया पर कुश्ती से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया। उन्होंने लिखा, "मां कुश्ती मेरे से जीत गई, मैं हार गई।" लेकिन उनके परिवार और समर्थक उन्हें हौसला दे रहे हैं। विनेश के ताऊ महावीर फोगाट ने कहा है कि वे विनेश का स्वागत गोल्ड मेडलिस्ट की तरह करेंगे और उन्हें 2028 के ओलंपिक के लिए तैयार करेंगे।
स्वागत की तैयारियां:
विनेश के 17 अगस्त को भारत लौटने की उम्मीद है। उनके गृह राज्य हरियाणा में उनके भव्य स्वागत की तैयारियां चल रही हैं। पानीपत में युवाओं ने उन्हें 11 लाख रुपये नकद और 2 एकड़ जमीन देने का ऐलान किया है। महम चौबीसी सर्वखाप पंचायत ने उन्हें 'चौबीसी रत्न' से सम्मानित करने का फैसला किया है।
इस घटना ने भारतीय खेल प्रशासन पर भी सवाल खड़े किए हैं। भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की अध्यक्ष पीटी उषा ने कहा है कि वजन प्रबंधन खिलाड़ी और कोच की जिम्मेदारी होती है। वहीं, भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष संजय सिंह ने पिछले 15-16 महीनों में खेल में मची उथल-पुथल को कई मेडल खोने का कारण बताया है।
यह घटना भारतीय खेल जगत के लिए एक सबक है कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना कितना महत्वपूर्ण होता है। विनेश के मामले ने यह भी दिखाया है कि खेल में नियम कितने कठोर हो सकते हैं। हालांकि, विनेश के प्रति देशभर से मिल रहे समर्थन से यह भी स्पष्ट है कि भारतीय समाज अपने खिलाड़ियों के साथ मुश्किल वक्त में भी खड़ा रहता है।
आगे की राह:
यह देखना दिलचस्प होगा कि विनेश अपने संन्यास के फैसले पर कायम रहती हैं या फिर से मैदान में वापसी करती हैं। उनके परिवार और समर्थकों की उम्मीद है कि वे 2028 के ओलंपिक की तैयारी करेंगी। विनेश के मामले से भारतीय खेल प्रशासन को भी सीख लेनी चाहिए और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए बेहतर रणनीति बनानी चाहिए।
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