
शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकारों को कई नए निर्देश दिए हैं।
सबसे पहले, कोर्ट ने दोनों राज्य सरकारों को किसानों के साथ बातचीत जारी रखने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि सरकारें किसानों की समस्याओं को समझें और उनका समाधान निकालने की कोशिश करें।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को तीन दिन के अंदर एक विशेष कमेटी के सदस्यों के नाम सुझाने को कहा है। यह कमेटी किसानों के मुद्दों पर काम करेगी और समाधान खोजने की कोशिश करेगी।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह एक बड़ी समिति बनाने जा रही है। इस समिति का काम होगा उन सभी मुद्दों को देखना जो बार-बार कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा कर रहे हैं। कोर्ट चाहती है कि इन मुद्दों को निष्पक्ष और शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाए।
यह मामला फरवरी 2024 से चल रहा है। उस समय पंजाब के किसानों ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर आंदोलन शुरू किया था। इसके बाद हरियाणा सरकार ने सुरक्षा कारणों से शंभू बॉर्डर को बंद कर दिया था।
इस बंदी से कई लोगों को परेशानी हुई, खासकर अंबाला के व्यापारियों को। उन्होंने इस मुद्दे को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में उठाया था। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को बॉर्डर खोलने का आदेश दिया था, लेकिन सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले को देख रही है। उन्होंने दोनों राज्य सरकारों से किसानों के साथ हुई बैठकों की रिपोर्ट मांगी थी, जो कोर्ट को सौंप दी गई है।
कोर्ट ने कहा है कि अगली सुनवाई 2 सितंबर को होगी। तब तक, वे चाहते हैं कि दोनों राज्यों के वकील उस समिति के लिए मुद्दों की एक सूची तैयार करें जिसे कोर्ट बनाने जा रही है।
यह मामला बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे न सिर्फ किसानों का भविष्य जुड़ा है, बल्कि दो राज्यों के बीच के संबंध और व्यापार भी प्रभावित हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की यह पहल इस जटिल समस्या का एक स्थायी समाधान निकालने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।
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