हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सभी पार्टियां पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में लगी हुई हैं, खासकर तीसरी बार सत्तासीन होने की उम्मीद लिए भाजपा नई रणनीति के तहत टिकट वितरण करेगी। ऐसे में दक्षिण हरियाणा कहीं न कहीं बीजेपी को फायदा पहुंचा सकता है।
दरअसल, हरियाणा की सत्तारूढ़ भाजपा को एक बार फिर से दक्षिण हरियाणा से उम्मीदें हैं। इनका इस बार दक्षिण हरियाणा से उन्हें निराशा नहीं मिलेगी। वहीं नूंह को छोड़कर इस बेल्ट के सात जिलों के तहत आने वाली विधानसभा की 26 सीटों पर बीजेपी का विशेष फोकस रहेगा। उल्लेखनीय है कि दक्षिण हरियाणा में 2019 में इनमें से 18 सीटों पर कमल खिला था। इस बेल्ट की ख़ास बात यह है कि बीजेपी को लगातार दो बार सत्ता तक पहुंचाने में इस बेल्ट ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
किसी की नैया डूबेगी तो किसी का होगा बेड़ा पार
गौरतलब है कि इस बार फिर दक्षिण हरियाणा पर बीजेपी का पूरा फोकस है। ऐसे में बीजेपी के रणनीतिकारों ने दक्षिण हरियाणा के लिए पूरी प्लानिंग कर ली है। भाजपा पूरे योजनाबद्ध तरीके से मैदान में उतरकर चुनाव में जीत हासिल करने की कोशिश में है। भाजपा की इस प्लानिंग के तहत इस बेल्ट के कुछ मौजूदा विधायकों की नैया डूब भी सकती है और नए उम्मीदवारों का बड़ा पार लग सकता है। वहीं यह भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि मौजूदा विधायकों का टिकट भी काटा जा सकता है।
दक्षिण हरियाणा भाजपा के लिए काफी अदा कर सकता है अहम रोल
हालांकि 2014 के मुकाबले 2019 के चुनाव में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह पूरी को टिकट आवंटन में वेट नहीं मिल पाया था, लेकिन इस बार भाजपा उनकी पसंद-नापसंद का पूरा ध्यान रखने की कोशिश कर रही है। चूंकि दक्षिण हरियाणा भाजपा के लिए काफी अहम रोल अदा कर सकता है।
ऐसे में इंद्रजीत सिंह के मंत्री प्रभाव के चलते ही भाजपा उनकी बेटी आरती राव को भी टिकट देने का फैसला कर चुकी है। वहीं माना जा रहा है कि राव ने सात सीट की मांग की थी, जिसमें से पांच सीटों पर सहमति बन गई है। अलबत्ता जिन जिलों में बीजेपी का परचम लहरा सकता है, उनमें भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल व नूंह शामिल है और इन्ही जिलों में भाजपा का विशेष फोकस रहने वाला है।
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