भाजपा ने जींद की पांच विधानसभा सीटों में से तीन पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं। इनमें जींद से डॉ. कृष्ण लाल मिड्ढा, उचाना से देवेंद्र चतुर्भुज अत्री तथा सफीदों से रामकुमार गौतम हैं। इनमें सबसे बड़ी मुश्किल रामकुमार गौतम के लिए होने वाली है। चूंकि सफीदों के लोगों ने बाहरी उम्मीदवार को कभी भी तवज्जो नहीं दी। वहीं भाजपा से टिकट की आस लगाए बैठे पूर्व मंत्री बच्चन सिंह आर्य 7 को नामांकन करेंगे। जी हां, जींद में रामकुमार गौतम को सफीदों विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का टिकट मिलते ही बगावत के सुर शुरू हो गए हैं।
लगा दो आग पानी में.....
यहां से पूर्व मंत्री बच्चन सिंह आर्य टिकट की पूरी उम्मीद लगाए बैठे थे। उन्होंने फेसबुक पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। इससे उनकी भाजपा के प्रति बगावत साफ नजर आ रही है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा जिले की पांचों सीटें हारेगी। बच्चन सिंह आर्य ने लिखा है :
''लगा दो आग पानी में, शरारत हो तो ऐसी हो... मिटा दो हस्ती जुल्मों की.. बगावत हो तो ऐसी हो ......''
समर्थकों में रोष
भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों में अपने लोकप्रिय नेताओं को टिकट न मिलने पर खासा रोष व्याप्त है, जिसके चलते बगावत करने से कोई गुरेज नहीं कर रहे और अपने चहेते नेता की जगह किसी बाहरी का यहां से चुनाव लड़ना उन्हें कतई मंजूर नहीं।
ऐसे में पूर्व मंत्री बच्चन सिंह पहले ही कह चुके हैं कि वह सात सितंबर को नामांकन दाखिल करेंगे और बाहरी उम्मीदवार को किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा। इससे साफ है कि भाजपा को सबसे ज्यादा परेशानी सफीदों विधानसभा क्षेत्र में आने वाली है। उम्मीदवारों की घोषणा होने के बाद रात को बच्चन सिंह के काफी समर्थक उनके आवास आर्य सदन पहुंच गए। यहां लगे भाजपा के झंडे, पोस्टर और बैनर उतार दिए।
आसान नहीं होगी गौतम की राह
नारनौंद निवासी रामकुमार गौतम ब्राह्मण समुदाय से हैं। वह एक सितंबर को जींद में हुई भाजपा की जन आशीर्वाद रैली में ही भाजपा में शामिल हुए थे। रामकुमार गौतम नारनौंद से 2019 में जजपा के टिकट पर विधायक बने थे। उन्होंने भाजपा के ही कैप्टन अभिमन्यु को हराया था। अब भाजपा ने उनको सफीदों विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतार दिया है। अब देखना होगा कि भाजपा यहां पर बागियों को कैसे संतुष्ट कर पाती है या फिर रामकुमार गौतम को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। सफीदों विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण समुदाय की लगभग 15 हजार वोट हैं।
सात सितंबर को पुरानी अनाज मंडी में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक
बच्चन सिंह आर्य ने कहा कि वह 7 सितंबर को पुरानी अनाज मंडी में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे और उसी दिन निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन करेंगे। कार्यकर्ताओं ने बाहरी प्रत्याशी नहीं चलेगा के नारे भी लगाए। आर्य ने कहा कि भाजपा ने सफीदों विधानसभा क्षेत्र से बाहरी प्रत्याशी उतारकर उनके समेत यहां के असंख्य नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ विश्वासघात किया है। यह एक सत्य है कि सफीदों का दादा खेड़ा किसी बाहरी को कभी भी स्वीकार नहीं करता। इतिहास भी इस बात की समय-समय पर गवाही देता आया है।
मिलनसार और अनुभवी राजनेता है बच्चन सिंह
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में कांग्रेस के सुभाष गांगुली सफीदों से विधायक हैं और फिर से उन्हें टिकट मिलने की चर्चा भी जोरों पर हैं, ऐसे में सफीदों में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। फ़िलहाल एक सर्वे के मुताबिक इस त्रिकोणीय मुकाबले में बच्चन सिंह आर्य का पलड़ा ज्यादा भरी दिख रहा है। चूंकि जनता की पहली पसंद और जनता का रुझान बच्चन सिंह आर्य की तरफ ज्यादा देखने को मिल रहा है।
ऐसे में ये तय माना जा रहा है कि अगर बच्चन सिंह आज़ाद उम्मीद्वार की रूप में मैदान में उतरते हैं तो सफीदों की जनता का समर्थन उनको मिलेगा, जो उनकी जीत की राह को आसान करेगा। चूंकि बच्चन सिंह स्थानीय नेता हैं, हलके की मांगों, सस्याओं से भलीभांति परिचित हैं, मिलनसार और अनुभवी राजनेता है।
बच्चन के गढ़ में..भाजपा उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाएगा
बच्चन के गढ़ में 1987 से लेकर आजतक यहां से कोई बाहरी उम्मीदवार नहीं जीता है। आगे भी ऐसा ही होने वाला है। भाजपा ने जिस उम्मीदवार को टिकट दिया है, वह अपनी जमानत भी नहीं बचा पाएगा। इसके लिए वह शपथ पत्र देने के लिए तैयार हैं।
आर्य ने कहा कि यदि पार्टी किसी स्थानीय नेता को टिकट देती तो वह चुनाव नहीं लड़ते, लेकिन अब वह पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। उनका टिकट तो सफीदों की जनता है। वह सदैव अपने कार्यकर्ताओं की बात मानते आए हैं। आर्य ने कहा कि 2005 में भी जनता ने टिकट कटने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने का आदेश दिया था और उन्हें कांग्रेस की आंधी में भी 18 हजार मतों से विजय मिली थी। इस बार भी ऐसा ही होगा।
related
Latest stories
ये किसान व आढ़ती को ख़त्म करने का 'षड्यंत्र' नहीं तो क्या है? सदन में भाजपा पर गरजे आदित्य
सरकार द्वारा 'आंकड़े न कभी छुपाए जाते हैं, न कभी छुपाए जाएंगे', जानिए मुख्यमंत्री सैनी ने ऐसा क्यों कहा
'वे नहीं जानती कि पराली क्या होती है' दिल्ली सीएम पर बड़ोली का तंज - बोले पहले खेतों में जाकर पराली देखनी चाहिए