भाजपा उम्मीद्वारों की पहली सूची जारी होते ही भाजपा नेताओं में असंतोष और बगावत के सुर तेज हो गए हैं, कई बड़े -बड़े पार्टी नेता पार्टी छोड़ रहे हैं, भाजपा की इस हलचल को देख कांग्रेस भी सहम गई और कांग्रेस पार्टी ने खुद को बगावती तेवरों से बचाने के लिए अपनी विधानसभा उम्मीदवारों की सूची जारी करने का निर्णय फिलहाल टाल दिया है। हालांकि कांग्रेस के पास पहले से 66 उम्मीदवारों की सूची तैयार है, लेकिन भाजपा में मची भगदड़ और बगावत को देखते हुए इस सूची में भी कुछ बदलाव की संभावना जताई जा रही है। वहीं साथ गठबंधन की वजह से भी कई सीटों पर पेंच फंसा हुआ है।
सूची में संशोधन किये जाने की संभावना
वहीं कांग्रेस महासचिव कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला ने स्क्रीनिंग कमेटी को कई सुझाव दिए हैं, जिनकी समीक्षा के बाद उम्मीदवारों की सूची में संशोधन किये जाने की संभावना है। उन्होंने 90 विधानसभा सीटों पर अपने पसंदीदा दावेदारों के नामों की सिफारिश की है, जबकि 24 सीटों पर उम्मीदवारों के चयन को लेकर नई दिल्ली में एक बैठक की गई।
इस बैठक में सैलजा और सुरजेवाला ने खुद भी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। लिहाजा इस पर अंतिम निर्णय कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व द्वारा लिया जाएगा। पार्टी में टिकट वितरण को लेकर कई जटिलताएँ भी सामने आई हैं, जैसे कि विधायक राव दान सिंह और धर्म सिंह छौक्कर के टिकट पर असहमति और विधायकों के परिवार के सदस्यों को टिकट देने की संभावनाएं।
ये पार्टी कर रही सीटों की मांग
आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी भी हरियाणा में सीटों की मांग कर रही हैं, जिसका निर्णय अभी तक नहीं हो सका है। कांग्रेस को भी आशंका है कि टिकटों की घोषणा के बाद पार्टी में असंतोष फैल सकता है, जिससे इनेलो और जजपा को लाभ हो सकता है। अंततः, कांग्रेस की सब कमेटी की बैठक के बाद टिकटों की सूची कुछ दिनों में जारी की जाएगी।
कांग्रेस और आप के गठबंधन से कितना होगा फायदा?
आप का प्रभाव दिल्ली और पंजाब की तुलना में हरियाणा में कम है। दोनों प्रदेश में आप की सरकार है। हरियाणा की सीमा पंजाब से लगती है, दोनों प्रदेशों की सटी सीमा पर आप का प्रभाव ज्यादा नजर आ सकता है,पंजाब के सीएम भगवंत मान पहले ही कह चुके हैं कि प्रदेश से लगी सीमा पर जो विधानसभा क्षेत्र आते हैं उनपर पार्टी खास फोकस करेगी।
- यदि 2024 के लोकसभा परिणाम का विश्लेषण किया जाए तो एक खास बात निकलकर सामने आती है। इसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि यदि हरियाणा में आप और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ती है तो इसका फायदा बीजेपी को हो सकता है।
- बूथ-स्तरीय डेटा से पता चलता है कि बीजेपी ने 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 44 में बढ़त प्राप्त की थी जबकि कांग्रेस ने 42 में और आप ने 4 में बढ़त बनाई थी।
- लोकसभा चुनावों वक्त यदि विधानसभा चुनाव करवाए जाते तो कांग्रेस और आप का गठबंधन मिलकर 46 सीट हासिल कर पाता, यानी विधानसभा में बहुमत इस गठबंधन को हासिल हो जाता।
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