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भाजपा-कांग्रेस को सता रहा डर, अगर बागी मैदान में रहे तो कई सीटों पर बिगाड़ न दें समीकरण

भाजपा-कांग्रेस को सता रहा डर, अगर बागी मैदान में रहे तो कई सीटों पर बिगाड़ न दें समीकरण

भाजपा और कांग्रेस के पास रूठों को मानाने के लिए दो दिन शेष हैं, लिहाज़ा वरिष्ठ नेताओं ने बागियों की नाराज़गी दूर करने की प्रक्रिया तेज

प्रतीकात्मक तस्वीर

हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर इस बार जो एक दिलचस्प बात सामने आई है, वो ये है कि इस बार हर पार्टी से बाग़ी की संख्या थोक में है तो आजाद उम्मीदवारों की संख्या भी बहुतयात में है, जो किसी पार्टी से तालुक नहीं रखते ऐसे आजाद उम्मीदवारों के अलावा भाजपा और कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर कई ऐसे नेता हैं जिन्होंने बागी रुख अपना लिया है।

ऐसे में बाग़ी और आजाद उम्मीदवार के तौर पर 31 नेता शामिल हैं। वहीं 16 सितंबर तक नामांकन वापस लिए जा सकते हैं। बाग़ियों को मनाने में जुटी पार्टियां ऐसे में भाजपा और कांग्रेस के पास रूठों को मानाने के लिए दो दिन शेष हैं, लिहाज़ा वरिष्ठ नेताओं ने बागियों की नाराजगी दूर करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। 

.......इन्हें मनाना बेहद ज़रूरी

उन्हें यह डर है कि अगर बागी मैदान में रहे तो कई विधानसभा सीटों पर समीकरण बिगाड़ सकते हैं। इसलिए 16 सितंबर से पहले इन्हें मनाना बेहद ज़रूरी है। बागियों को मनाने के लिए दोनों पार्टियों ने अपने मुख्य चेहरों को यह जिम्मेदारी सौंपी है। जिन नेताओं को यह जिम्मेदारी दी है वो केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल और कांग्रेस से पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा हैं।

सूत्रों की मानें तो भाजपा कहीं न कहीं अपने अधिकतर साथियों को मनाने में कामियाब रही, अभी भी 10 ऐसे नेता हैं, जो निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक चुके हैं। इनको मनाने के लिए मनोहर लाल के साथ कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सैनी और चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी हैं। वहीं कांग्रेस भी इसी समस्या से जूझ रही है। कांग्रेस हाईकमान ने पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला समेत यह जिम्मेदारी सौंपी है।

भाजपा के इन बागियों को मानना हुआ टेढ़ी खीर 

भाजपा उन तमाम कोशिशों और प्रयासों में जुटी है, जिससे किसी तरह बचे हुए नेताओं को मनाया जाए। भाजपा के जो नेता खफा हैं उनमें रणजीत चौटाला, सोनीपत से कविता जैन व उनके पति राजीव जैन, गन्नौर सीट से देवेंद्र कादियान, हिसार से सांसद नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल, अटेली विधानसभा सीट से संतोष यादव, महम से शमशेर खड़खड़ा, फरीदाबाद से नागेंद्र भड़ाना, हथीन से केहर सिंह रावत, पानीपत से हिमांशु शर्मा, पृथला से दीपक डागर, असंध से जिले राम शर्मा, इंद्री से सुरेंद्र उड़ाना, बेरी से अमित अहलावत शामिल हैं।

टिकट न मिलने से कांग्रेस के ये नेता हैं ख़फ़ा 

कांग्रेस के जो नेता टिकट न मिलने से खफा हैं उनमे, नलवा से पूर्व मंत्री संपत सिंह, पानीपत से पूर्व विधायक रोहिता रेवड़ी, पानीपत ग्रामीण से विजय जैन, पंचूकला से पूर्व मेयर उपेंद्र कौर अहलूवालिया, बल्लभगढ़ से पूर्व सीपीएस शारदा राठौर, कैथल के पूंडरी से सतबीर भाणा, अंबाला कैंट से पूर्व मंत्री निर्मल सिंह की बेटी चित्रा सरवारा, अंबाला सिटी से हिम्मत सिंह व जसबीर मलोर, कुरुक्षेत्र से पूर्व मंत्री जसविंद्र सिंह संधू के बड़े बेटे जसतेज संधू, फतेहाबाद से अनिल ज्याणी और दावेदार सोमवीर घसोला, बरोदा से डॉ. कपूर सिंह नरवाल और जींद से प्रदीप गिल, बहादुरगढ़ से राजेश जून और कोसली से मनोज कोसलिया शमिल हैं। इनको मनाने और मिन्नतें करने में कांग्रेस एड़ी -चोटी का ज़ोर लगा रही है। 

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