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किसी आने वाले तूफान का संकेत तो नहीं सैलजा की "चुप्पी"

किसी आने वाले तूफान का संकेत तो नहीं सैलजा की "चुप्पी"

अब सैलजा के कोई व्यक्ति कारण हैं, सेहत -स्वास्थ्य की कोई वजह है या नाराज़गी ये तो खुद सैलजा की बता सकती हैं, पर फिलहाल अन्य पार्टियां उनकी चुप्पी के मतलब अपने हिसाब से निकाल रहे हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर

हरियाणा चुनाव दरमियान हरियाणा की राजनैतिक में घमासान मचा हुआ है। पार्टी से पार्टी का विरोध होना तो जाहिर सी बात है, लेकिन यहां पार्टी के अंदर अपनों का अपनों से ही विरोध है। हालांकि चल तो ऐसा  हर पार्टी में रहा, लेकिन इन चर्चा का विषय है सांसद कुमारी सैलजा की "चुप्पी" कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं चुप्पी किसी आने वाले तूफान का संकेत तो नहीं।

कुमारी सैलजा ने 13 सितंबर को सोशल मीडिया एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया था  जिसका कैप्शन " न थकेंग, न थमेंगे..  दिया हुआ था, वीडियो में सैलजा के अलग-अलग कार्यक्रमों की झलक के साथ एक हरियाणवी गाना सेट किया हुआ है, जिसमें हमेशा आगे बढ़ते रहना का सन्देश दिया गया है। हालांकि उसके बाद सैलजा ने अपने सभी सोशल मीडिया पर "हरियाणा के लिए कांग्रेस के 7 वादे ....साथ वादों की फोटो भी शेयर की हुई है। 

https://x.com/Kumari_Selja/status/1834431113978085659?t=NnROBX1k4130wcbmKVPBhQ&s=08

भाजपा कांग्रेस के नेताओं को अपनी ओर खींचने का मौका नहीं छोड़ती 

उसके बाद से सैलजा सोशल मीडिया पर कम ही एक्टिव है और पार्टी के किसी चुनाव प्रचार कार्यक्रम में भाग नहीं ले रही हैं। यहां तक कि कांग्रेस घोषणा पत्र जारी होने के दौरान भी सैलजा की ग़ैरमौजूदगी ने न केवल मीडिया, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का विषय बन गई।

एक तरफ कांग्रेस अपने नेताओं को समेटने में लगी ही हुई है, कि उधर भाजपा कांग्रेस के नेताओं को अपनी ओर खींचने का मौका नहीं छोड़ती और न छोड़ना चाहती। दोनों पार्टियों की तरफ से खींचा-तानी शुरू है। अब सैलजा के कोई व्यक्ति कारण हैं, सेहत -स्वास्थ्य की कोई वजह है या नाराज़गी ये तो खुद सैलजा की बता सकती हैं, पर फिलहाल अन्य पार्टियां उनकी चुप्पी के मतलब अपने हिसाब से निकाल रहे हैं। 

भाजपा और बसपा की निगाहें सैलजा पर

दरअसल, अब भाजपा और बसपा ने सैलजा को अपनी पार्टी में शामिल होने के लिए ऑफर दे दिया है। इस बात को बल दिया है पूर्व सीएम मनोहर लाल ने। करनाल में आयोजित एक कार्यक्रम में मनोहर लाल ने रणदीप सुरजेवाला और कुमारी शैलजा के भाजपा में शामिल होने के सवाल पर कहा कि यह संभावनाओं का संसार है और संभावनाएं टाली नहीं जा सकती, इसलिए समय आने पर इन सब का जवाब मिलेगा। मनोहर लाल ने कहा कि, ‘बहन कुमारी शैलजा का कांग्रेस में अपमान हुआ है। हमने कई नेताओं को अपने साथ मिलाया है और हम तैयार हैं उन्हें भी अपने साथ लाने के लिए।” मनोहर लाल के इस बयान से कांग्रेस में अलग ही डर देखने को मिल रहा है।

खट्टर के इस बयान ने हरियाणा में मचाया बवाल

अब खट्टर के इस बयान से हरियाणा की चुनावी राजनीति में हलचल मच गई है। खासकर तब जब कुमारी शैलजा पिछले हफ्ते से पार्टी के प्रचार से दूर हैं। उन्होंने इसी बात का फायदा उठाते हुआ कांग्रेस पर जुबानी तीर छोड़े और शैलजा को अपने पाले में करने की बात कही। हालांकि वो अपने घर पर समर्थकों से मिल रही हैं, और कहीं न कहीं जनसंपर्क कर रही हैं। दलित वोट बैंक की राजनीति करने वाली पार्टियां भी शैलजा को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही हैं। क्यूंकि शैलजा हरियाणा की एक मात्र ऐसी नेता हैं जो अपने काम के प्रति काफी वफादार हैं। 

आकाश आनंद ने भी शैलजा के बहाने कांग्रेस पर किया था वार 

इधर, भाजपा कह रही है कि कांग्रेस जब दलित बेटी शैलजा का सम्मान नहीं कर पाई तो प्रदेश के बाकी दलितों का क्या करेगी। शैलजा की नाराजगी की खबर हरियाणा की चुनावी सियासत में सनसनी बनी हुई है। अभी दो दिन पहले ही बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद ने भी शैलजा के बहाने कांग्रेस पर वार किया था। 

आकाश आनंद ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी का आरक्षण खत्म करने का प्लान आता है, फिर हुड्डा समर्थकों द्वारा कुमारी शैलजा पर जातिगत टिप्पणी, कांग्रेस के डीएनए में दलित विरोध दिखाता है। आकाश ने इस दौरान यहां तक कहा कि कुमारी शैलजा बसपा ज्वाइन कर लें, दलित समाज की हितैषी पार्टी बसपा ही है। शैलजा जी, आपको मान-सम्मान यहीं मिलेगा। 

शैलजा की नाराजगी का असर हुआ तो दलित करेंगे नया विकल्प तलाश

बता दें कि कुमारी शैलजा पक्ष के 8 उम्मीदवारों टिकट मिले हैं, लेकिन नाराजगी का आलम ये है कि शैलजा अपनों के लिए सामने नहीं आ रही। सांसद कुमारी शैलजा पहले विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन पार्टी ने उम्मीदवार नहीं बनाया। सीएम बनने की इच्छा भी वो जता चुकी थी। जहां उन्हें अपना कोई स्कोप शायद अब दिख नहीं रहा है। ऐसे में उन्होंने प्रचार से दूरी बना रखी है।

सवाल ये कि क्या इससे चुनाव में कांग्रेस को नुकसान होगा? नुकसान का ये सवाल इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि दलित वोटों में सेंधमारी के लिये आईएनएलडी का बसपा से गठबंधन है और जेजेपी का आजाद समाज पार्टी से लोकसभा में दलितों का वोट कांग्रेस गठबंधन को थोक में मिला था। शैलजा की नाराजगी का असर हुआ तो दलित नया विकल्प तलाश सकते हैं। 

हरियाणा में जाट के बाद सबसे ज्यादा दलित मतदाता

कैसे सैलजा की नाराजगी कांग्रेस को भारी पड़ सकती है, इसके लिए जाननी होगी हरियाणा की दलित राजनीति, चूंकि, राज्य की आबादी में करीब 21 प्रतिशत दलित हैं और जाट के बाद सबसे ज्यादा दलित मतदाता हैं। इसके अलावा राज्य में 17 सीटें दलितों के लिए रिजर्व हैं, जिसमें 90 सीटों में से 35 सीटों पर दलितों का प्रभाव काफी ज्यादा है।

वहीं, लोकसभा में कांग्रेस+ को 68 प्रतिशत दलित वोट मिले थे. जबकि, भाजपा को लोकसभा में महज 24 प्रतिशत दलित वोट मिले थे। इसके साथ ही इस विधानसभा चुनावों में बसपा का इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठबंधन है, तो वहीं, दूसरी तरफ जेजेपी का चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी से गठबंधन है। सैलजा नहीं मानी तो बड़ा खेला होने की संभावना को नकार नहीं सकते। 

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