जींद जिले के अंतर्गत सफीदों हरियाणा राज्य के जींद जिले में एक शहर और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र है. सफीदों को पहले सर्प दमन के नाम से भी जाना जाता था। सफीदों पानीपत और जींद का केंद्र है। यह पश्चिमी यमुना नहर की हांसी शाखा के तट पर, जींद से 35 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है। सफीदों निर्वाचन क्षेत्र में जाटों का वर्चस्व है। जींद हरियाणा की राजनीति का केंद्र होने के कारण, सभी राजनीतिक दल यहीं से अपने राजनीतिक अभियान शुरू करते हैं।
राज्य की राजनीति का मुख्य केंद्र रहा है सफीदों
हरियाणा के गठन के बाद से ही सफीदों हमेशा से ही राज्य की राजनीति का मुख्य केंद्र रहा है। सफीदों में कई राजनीतिक रैलियां और जनसभाएं हुई हैं। चौधरी देवी लाल, भजन लाल, बंसी लाल, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, चौ. वीरेंद्र सिंह, रणदीप सुरजेवाला आदि राजनीतिक नेताओं ने कई जनसभाओं को संबोधित किया और सफीदों को चुनाव परिणामों को तय करने का प्रमुख केंद्र माना।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय राष्ट्रीय लोकदल, भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी आदि विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवार चुनावी रणभूमि में उतारे। विधानसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सफीदों को सबसे अधिक बार जीता।
बाहरी को वोट देने का कोई औचित्य ही नहीं बनता
इस बार सफीदों का विधानसभा चुनाव महंगा भी है और दिलचस्प भी। क्योंकि भाजपा का खाता तो यहां खुलना बेहद मुश्किल नजर आ रहा है, जिसका कारण है उम्मीदवार का बाहरी होना, जिसके लिए हल्के की जनता का कहना है कि जिसको हमने कभी देखा ही नहीं उसको वोट कैसे दें। हमारी विधान सभा में किसी बाहरी को वोट देने का कोई औचित्य ही नहीं बनता। बाकी अन्य पार्टियों के कौन मैदान में हैं इसका खुद हलका वासियों को नहीं पता। अब टक्कर है कांग्रेस और निर्दलीय के बीच। दो कुक्कुट उद्योगपतियों के बीच इस चुनाव में हुए 36 के आंकड़े ने सफीदों को और चर्चित बना दिया है।
देशवाल खाप के दो दिग्गज आमने -सामने
दो दिग्गज देशवाल खाप के जसबीर देशवाल व सुभाष देशवाल (सुभाष गांगोली) हैं। जसबीर देशवाल तो उत्तर भारत की एक नामी कुक्कुट ब्रांड के मालिक हैं। सुभाष गांगोली का भी बड़ा कुक्कुट उद्योग है। सुभाष गांगोली पिछले विधानसभा चुनाव में इनेलो के हलका प्रधान होते हुए रातों रात कांग्रेस पार्टी की टिकट लाने में कामयाब रहे।
उस चुनाव में यहां के पूर्व विधायक जसबीर देशवाल के कट्टर विरोधी पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य भाजपा के उम्मीदवार थे। जसबीर देशवाल तब थे तो भाजपा में ही लेकिन तब खुद भाजपा की टिकट लेने में नाकामयाब रहे। तब जसबीर ने अपने कट्टर विरोधी बचन सिंह आर्य को हराने के लिए अपनी खाप के लोगों के अनुरोध पर सुभाष गांगोली को अपना समर्थन देकर चुनाव में ठीक उसी तरह जितवाया था, जिस तरह पिछले दिनों मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अपना त्यागपत्र देकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनवा दिया था।
गांगोली के तेवर बदलते देख जसबीर ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का बना लिया था मन
जसबीर इसे ‘डंगवारे’ की तरह मान रहे थे, जिन्हें ये उम्मीद थी कि अगले चुनाव में सुभाष व देशवाल खाप उनका साथ देंगे, लेकिन विधायक चुने जाने के बाद सुभाष गांगोली ने कांग्रेस पार्टी व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के साथ अपनी पकड़ मजबूत कर ली और इस बार भी वह कांग्रेस के उम्मीदवार बन गए।
सुभाष गांगोली के तेवर बदलते देख इस बार काफी पहले ही जसबीर देशवाल ने हर हाल में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था और भाजपा में रहते पार्टी टिकट की दावेदारी के साथ वह चुनाव की निरंतर तैयारी कर रहे थे। इस बार जब उन्हें भाजपा की टिकट नहीं मिल पाई तो वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में हैं।
जसबीर देशवाल जनता की पहली पसंद
उल्लेखनीय है कि जसबीर देसवाल ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस से की थी। वे 2010 से 2014 तक कांग्रेस के जिला अध्यक्ष रहे। उन्होंने कांग्रेस छोड़कर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर विधानसभा चुनाव लड़ा। विधायक ने विधानसभा से इस्तीफा देकर मई में भाजपा का दामन थाम लिया था।
अब विधान सभा चुनाव 2024 में उन्हें भाजपा से टिकट नहीं मिली तो निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे हैं और ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस की लहर के चलते सुभाष गांगोली की तरफ भी लोगों का झुकाव है, लेकिन 2019 -2024 के कार्यकाल में कोई खास विकास कार्य न होने से लोग खफा भी है। हलके की जनता से हुई बातचीत में जो रिपोर्ट सामने आ रही है, उस मुताबिक जसबीर देशवाल जनता की पहली पसंद है और एक काफी मजबूत स्थित में भी है।
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