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The Haryana Story | शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक पहल : निजी स्कूलों के बजाय गांव के सरकारी स्कूलों में पढ़ाएंगे बच्चे, क्या है ग्रामीणों के इस फैसले की वजह ?

शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक पहल : निजी स्कूलों के बजाय गांव के सरकारी स्कूलों में पढ़ाएंगे बच्चे, क्या है ग्रामीणों के इस फैसले की वजह ?

कैथल जिले में पंचायत की इस पहल ने सरकारी स्कूलों को दिखाई रोशनी की नई किरण

प्रतीकात्मक तस्वीर

हरियाणा के जिला कैथल के खंड खानपुर गांव की पंचायत ने शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए अपने बच्चों को निजी स्कूलों की बजाय सरकारी स्कूलों में पढ़ाने का फैसला किया है। बता दें कि पंचायत की यह पहल केवल सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सरकारी स्कूलों को शिक्षा के नए आयाम देने की दिशा में भी एक कदम है।

दिन पर दिन प्राइवेट स्कूलों की बढ़‌ती फीस और सुविधाओं की होड़ से अलग, अब पूरा गांव मिलकर सरकारी स्कूलों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए एकजुट हो गया है। ग्रामीणों के इस फैसले के पीछे मुख्य कारण सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, अधिक समावेशी माहौल और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को भी शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलना है।

बच्चों का नामांकन सरकारी स्कूलों में करवाने का फैसला

गौरतलब है कि पंचायत और ग्रामीणों ने मिलकर ना सिर्फ बच्चों का नामांकन सरकारी स्कूलों में करवाने का फैसला किया, बल्कि स्कूलों की गुणवत्ता और व्यवस्था सुधारने के लिए भी ठोस कदम उठाए है, जिसके तहत शिक्षकों की भागीदारी, स्मार्ट क्लासरूम, साफ-सफाई, और आधुनिक सुविधाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। ग्रामीणों ने संकल्प लिया है कि अब अपने बच्चों को निजी स्कूलों के बजाय गांव के सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाएंगे। उल्लेखनीय है कि इस सराहनीय कदम से खानपुर पंचायत ने पूरे हरियाणा प्रदेश को एक नई दिशा दिखाने का काम किया है।

यह केवल एक ही गांव तक सीमित नहीं रहनी चाहिए

इस गांव के गणमान्य लोगों का कहना है कि उन्होंने जो यह पहल की है यह केवल एक ही गांव तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि अन्य गांव भी इस मॉडल को अपनाएं तो सरकारी स्कूल शिक्षा सुधार में क्रांति ला सकते हैं। सरकारी स्कूलों को लेकर बनी धारणा को बदलने का यह प्रयास निश्चित रूप से एक मिसाल बनेगा। ऐसा करने से निजी स्कूलों की मनमानी पर एक करारा तमाचा होगा। जिन्होंने शिक्षा को एक व्यवसाय का रूप दे दिया है और गरीब और पढ़ने के इच्छुक बच्चे निजी स्कूलों की शर्तों को पूरा करने में असमर्थ हैं, इससे बेहतर है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाया जाए। 

बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिल करवाएंगे तो यह अपग्रेड हो जाएगा

उन्होंने कहा कि अगर सरकारी स्कूलों की व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाए तो इसके परिणाम निजी स्कूलों से भी बेहतर आ सकते है। ग्रामीणों का मानना है कि अगर सभी अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिल करवाएंगे तो यह अपग्रेड हो जाएगा। ऐसा करने से गांव के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए अपने साधनों से या बसों में लटक या दूर दराज के इलाकों पढ़ने के लिए नहीं जाना पड़ेगा। अभी इस स्कूल में लगभग 270 बच्चे पढ़ रहे हैं अगर इस स्कूल में 400 बच्चे दाखिला ले तो इसी स्कूल को नियमानुसार अपग्रेड किया जा सकता है।

आसपास के गांव के बच्चों को भी काफी फायदा होगा

इससे आसपास के गांव के बच्चों को भी काफी फायदा होगा, जब पूरा गांव एक साथ किसी बदलाव के लिए आगे आता है तो नतीजे भी सकारात्मक होते हैं। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि सरकारी स्कूल में दाखिला बढ़ने से स्कूल का दर्जा भी उन्नत होगा और सरकार भी अधिक संसाधन मुहैया कराएगी। पंचायत और स्कूल प्रबंधन समिति की सक्रियता भी गांव के सरकारी स्कूलों को सशक्त बनाने में योगदान करेगा। 

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