
भारत देश के नागरिकों के लिए खुशखबरी है और खासकर हरियाणा के लिए ऐतिहासिक पल कि देश की पहली हाईड्रोजन ट्रेप जुलाई माह में पटरी पर दौड़ती हुई नजर आएगी। यह ट्रेन जींद से सोनीपत के बीच चलेगी। रेलवे जंक्शन के निकट बनाए जा रहे हाइड्रोजन प्लांट का निर्माण आगामी दो महीने में पूरा हो जाएगा। चेन्नई में बन रही हाइड्रोजन ट्रेन को जींद लाया जाएगा। इसके बाद ट्रेन का ट्रायल लिया जाएगा और उसके बाद सुचारू रूप से जींद से सोनीपत के बीच ट्रेन का आवागमन शुरू हो जाएगा।
उत्तर रेलवे दिल्ली महाप्रबंधक ने रेलवे स्टेशन और हाइड्रोजन प्लांट का निरीक्षण किया
रविवार को उत्तर रेलवे दिल्ली महाप्रबंधक अशोक वर्मा जींद जंक्शन पहुंचे और रेलवे स्टेशन और हाइड्रोजन प्लांट का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान महाप्रबंधक ने दावा किया कि आगामी दो माह में देश के पहले हाइड्रोजन प्लांट का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। भारतीय रेलवे का यह भी दावा है कि 2047 तक ऐसी ट्रेनों की संख्या बढ़कर 50 हो जाएगी। इस दौरान रेलवे यूनियन नेताओं ने भी महाप्रबंधक से मुलाकात की और मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। उन्होंने रेलवे कर्मचारियों को आश्वासन दिया कि मांगों व समस्याओं का तुरंत समाधान किया जाएगा।
वाशिंग लाइन जो अभी 17 कोच की है, उसको बढ़ाकर 23 कोच की करने के भी निर्देश
उन्होंने जींद में वाशिंग लाइन जो अभी 17 कोच की है, उसको बढ़ाकर 23 कोच की करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों से इस बारे में चर्चा की और कहा कि छह कोच की लाइन को बढ़ाने के लिए जिस भी चीज की जरूरत है उसकी तैयारी पूरी की जाए। इसके अलावा रेलवे जंक्शन के नए के जीर्णोद्धार का कार्य अगस्त-सितंबर तक पूरा हो जाएगा। इसमें फुट ओवरब्रिज का काम बकाया है और इसे जल्दी पूरा हो जाएगा। इससे प्लेटफार्म नंबर एक से दो पर आने जाने में आसानी होगी। अभी दो प्लेटफार्म है और दोनों को एक दूसरे से जोड़ा जा रहा है।
हानिकारक प्रदूषकों का उत्सर्जन नहीं होता
बता दें कि हाइड्रोजन ट्रेन हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली ट्रेन है। ट्रेन में डीजल इंजन के बजाए हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स लगाए जाते है। ये ट्रेनें कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन या पार्टिकुलेट मैटर जैसे हानिकारक प्रदूषकों का उत्सर्जन नहीं होता और इन ट्रेनों के चलने से प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स की मदद से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को बदलकर बिजली पैदा की जाती है। इसी बिजली का इस्तेमाल ट्रेन को चलाने में किया जाता है।
ये ट्रेनें बिना धुआं छोड़े दौड़ेंगी
गौरतबल है कि हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों को हाइड्रेल भी कहते हैं। इनकी खासियत है कि ये ट्रेनें बिना धुआं छोड़े दौड़ेंगी, जिससे प्रदूषण नहीं होगा और इस ट्रेन में 4 से 6 कोच होंगे। बताया जा रहा है कि ये ट्रेन 140 किमी/घंटे की रफ्तार से 1000 किमी दौड़ सकती है। हालांकि भारत में ये ट्रेनें फिलहाल 100 किमी की दूरी तय करेंगी। हरियाणा के लिए ये गर्व की बात है कि सबसे पहले ये ट्रेन हरियाणा के जींद और सोनीपत के बीच चलेगी।
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