सहकारिता विभाग (कोऑपरेटिव डिपार्टमेंट) के 100 करोड़ के घोटाले के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सख़्ती दिखाई है। मंगलवार को उन्होंने राज्य के सहकारिता मंत्री डॉ बनवारी लाल को चंडीगढ़ बुलाया और वहाँ क़रीब एक घंटे तक घोटाले को लेकर उन्होंने चर्चा की। मंत्री ने मुख्यमंत्री को भरोसा दिलाते हुए कहा कि एंटी करप्शन ब्यूरो(एसीबी) की रिपोर्ट के बाद अधिकारियों पर सख़्त कार्रवाई की जा रही है और एसीबी आगे भी जो सिफ़ारिश करेगी उस पर सख़्त क़दम उठाए जाएंगे।
घोटाला 180 करोड़ का या उससे बड़ा हो सकता है
मंत्री ने बताया कि इस मामले को लेकर तीन अधिकारियों को बर्खास्त करने की फाइल भी मुख्यमंत्री तक पहुँचा दी गई है। एसेबी ने सहकारिता विभाग (कोऑपरेटिव डिपार्टमेंट) की एकीकृत सहकारी विकास परियोजना में जो घोटाला पकड़ा है वो 2018-2021 के बीच का है। उनका कहना है कि इसमें साल 2010-11 से घोटाला चला आ रहा है। सूत्रों के मुताबिक़ सहकारिता विभाग के अधिकारी ख़ुद को बचाने के लिए बार-बार यह दावा कर रहे हैं कि उन्होंने बिना ख़र्च हुई राशि फ़ील्ड से वापस मंगवा ली थी किंतु इसका कोई भी सबूत प्रदान नहीं कर पा रहे है। इन सब बातों को मद्देनज़र रखते हुए यह कहा जा सकता है कि घोटाला 100 करोड़ से ज़्यादा, क़रीब 180 करोड़ या इससे भी काफ़ी बड़ा हो सकता है।
दो फ़रवरी को किया पर्दाफ़ाश
एंटी करप्शन ब्यूरो ने 2 फ़रवरी को सहकारिता विभाग की एकीकृत सहकारी विकास परियोजना में क़रीब 100 करोड़ के घोटाले का पर्दाफ़ाश किया था। एसेबी की रिपोर्ट के मुताबिक़ इस घोटाले में सरकारी पैसे से अपनी निजी फ़्लैट, ज़मीन आदि ख़रीदी गई है। इस घोटाले को छुपाने के लिए बैंक खातों सम्बंधित विवरण सरकारी रिकॉर्ड सब में धोखा किया गया है। आरोपी अधिकारियों के ख़िलाफ़ करनाल-अंबाला रेंज में तक़रीबन 11 केस दर्ज कर लिए गए हैं।
ये हैं मास्टरमाइंड
घोटाले के मास्टरमाइंड असिस्टेंट रजिस्ट्रार अनु कोशिश और बिज़नेस मैन स्टालिनजीत सिंह है। इन्होंने सरकारी पैसे को फेक बिल और फर्सी कंपनियों के नाम पर ठगा है। इन्होंने अपने खाते का पैसा हवाला के ज़रिए दुबई और कैनेडा तक पहुंचाया है। इसके साथ यह भी पता चला है कि ये दोनों भी कुछ समय बाद विदेश भागने की फ़िराक़ में थे किन्तु एंटी करप्शन ब्यूरो को इस बात की भनक लग गई और अब दोनों गिरफ्त में ले लिए गए हैं। मामले के संबंध में संलिप्त 6 गैजेटेड अधिकारी ICDP रेवाड़ी के 4 अन्य अधिकारी और 4 निजी व्यक्तियों को भी गिरफ्त में लिया गया है।
ICDP एक एकीकृत सहकारी विकास परियोजना के नोडल अधिकारी एडिशनल रजिस्ट्रार नरेश गोयल को बर्खास्त कर दिया गया था। उनकी जगह जॉइंट रजिस्ट्रार योगेश शर्मा को लगाया गया हैं।