
केंद्र सरकार के प्रति किसानों का गुस्सा अभी भी बरकरार है। संयुक्त किसान मोर्चा का आरोप है कि बुधवार को आंदोलन के दौरान 21 साल के किसान शुभकरण सिंह की मौत हो गई थी। किसानों का आरोप है कि ये मौत नहीं हत्या है और इसका मामला दर्ज किया जाना चाहिए। गुरुवार को उन्होंने एक बैठक की और इस घटना की निंदा करने के लिए काला दिवस और ट्रैक्टर मार्च की घोषणा भी की। बैठक में पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के कई एसकेएम के नेताओं ने भाग लिया।
26 फरवरी को देशभर में ट्रैक्टर मार्च का ऐलान
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी और कृषि ऋण माफी सहित अपनी मांगों को स्वीकार कराने और सरकार पर दबाव बनाने के लिए ‘दिल्ली चलो’ मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं। बैठक में 26 फरवरी को देशभर में ट्रैक्टर मार्च और 14 मार्च को दिल्ली में महापंचायत करने पर भी सहमति बनी है। शुभकरण की मौत के बाद किसानों ने दिल्ली कूच रोक दिया था। इससे पहले बीते कल भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) चढूनी गुट ने हरियाणा में कई जगह सड़कें जाम कर विरोध प्रदर्शन किया।
ये है किसानों की मांगे
किसान नेताओं ने बुधवार को शुभकरण सिंह की मौत के बाद दो दिनों के लिए मार्च रोक दिया था। कहा था कि वे शुक्रवार शाम को अपनी अगली कार्रवाई तय करेंगे। एमएसपी के अलावा, पंजाब के किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, पुलिस मामलों को वापस लेने और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की भी मांग कर रहे हैं। भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करना और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी मांगों में से एक है।
परिवार को एक करोड़ रुपया और छोटी बहन को नौकरी देने का ऐलान
पंजाब सरकार ने शुभकरण के परिवार को एक करोड़ रुपया और छोटी बहन को नौकरी देने का ऐलान किया है। किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने आरोप लगाया है कि सुरक्षा बलों की ओर से युवा किसान शुभकरण पर सीधी फायरिंग की गई है इसलिए पंजाब सरकार हत्या का केस दर्ज करे। वहीं किसान नेता जगजीत डल्लेवाल ने शुभकरण को शहीद का दर्जा देने की मांग की है।
किसान किसी बड़े जंग से लड़ने की कर रहे हैं तैयारी
किसानों ने पुलिस के बल प्रयोग से निपटने के लिए शंभू बॉर्डर पर रेत की बोरियों से बंकर बना लिए हैं। देखकर ऐसा लगता है, जैसे किसान किसी बड़े जंग से लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। शंभू बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस की बैरिकेडिंग से किसान जत्थेबंदियों के मंच तक करीब 300 मीटर का फासला है। इसी जगह किसान नेता इकट्ठे होकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं और यहीं उन पर आंसू गैस के गोले, रबड़ की गोलियां और ड्रोन से हमला हो रहा है।
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