पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे व हिसार से भाजपा सांसद चौधरी बृजेंद्र सिंह रविवार को बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हुए हैं। हालांकि उनके पिता बीरेंद्र सिंह के बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने को लेकर अभी कोई जानकारी सामने नहीं आई है। पिता-पुत्र बीजेपी को जजपा से गठबंधन तोड़ने की मांग कर रहे थे। बृजेंद्र सिंह 2019 के आम चुनाव में हिसार से संसद सदस्य के रूप में चुने गए। पहले वह एक नौकरशाह थे और 1998 बैच के आईएएस अधिकारी के रूप में उन्होंने कार्य किया। बृजेंद्र 21 वर्षों तक हरियाणा में तैनात रहे। इसके बाद 2019 में हिसार से सांसद चुने गए।
चौधरी बीरेंद्र सिंह भारतीय राजनीति में एक प्रसिद्ध चेहरा
25 मार्च 1946 को जन्में चौधरी बीरेंद्र सिंह भारतीय राजनीति में एक प्रसिद्ध चेहरा हैं। उन्होंने 2014 से 2016 तक ग्रामीण विकास, पंचायती राज, स्वच्छता और पेयजल मंत्री के रूप में कार्य किया। 42 वर्षों से अधिक समय तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े रहने के बाद चौधरी बीरेंद्र सिंह 16 अगस्त 2014 को बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में जींद में आयोजित एक विशाल रैली में बीजेपी में शामिल हुए थे। इसके बाद उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाकर केंद्रीय इस्पात मंत्री बनाया गया। 2019 तक वह इस्पात मंत्री रहे।
सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से प्रभावशाली परिवार
बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता सिंह 2014 से 2019 तक उचाना कलां निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए हरियाणा की विधानसभा की सदस्य रही हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीरेंद्र सिंह ने बेटे बृजेंद्र सिंह को टिकट दिलाया था। चौधरी बीरेंद्र सिंह सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से प्रभावशाली परिवार से आते हैं। उनके दादा सर छोटू राम भारत और पाकिस्तान में एक प्रतिष्ठित किसान नेता थे।
सीट न मिलने की बात आ रही है सामने
सूत्रों के अनुसार पिछले तीन महीने में बीरेंद्र सिंह की पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ तीन मुलाकात हुई। इसके बाद सियासी गलियारों में बीरेंद्र सिंह के भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा शुरू हो गई थी। बता दें कि पिता-पुत्र लगातार हरियाणा में भाजपा को जजपा से गठबंधन तोड़ने की बात कर रहे थे। हरियाणा को लेकर भाजपा उम्मीदवारों की अभी कोई लिस्ट नहीं आई है, लेकिन चर्चा यह है कि पहली लिस्ट में 6 उम्मीदवारों के नाम फाइनल हो चुके हैं, जिसमें बृजेंद्र सिंह की टिकट कटने या फिर उनकी इच्छा के मुताबिक सीट न मिलने की बात सामने आ रही है। इन हालातों को देखते हुए बृजेंद्र ने भाजपा छोड़ने का फैसला लिया।
बृजेन्द्र सिंह का बयान
वहीं इस बीच बृजेन्द्र सिंह का बयान सामने आया है कि भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने के पीछे टिकट मिलना या ना मिलना से कोई वास्ता नहीं। भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आने का निर्णय में कई महीने पहले ही कर चुका था। मैं भाजपा में खुद असहज था। 2 अक्टूबर को ही मैंने स्पष्ट कर दिया था कि जेजेपी से गठबंधन रहा तो हम पार्टी में नहीं रहेंगे। जेजेपी से बीजेपी का गठबंधन पहले भी था और आज भी है इसलिए कहने को कुछ भी कहें हम उससे सहमत नहीं थे। मैं 6 महीने से सुन रहा था कि मेरा नाम सोनीपत लोकसभा के लिए भी चल रहा है। वहीं चौधरी बिरेन्द्र सिंह जल्द एक बड़ी जनसभा करके अपना निर्णय लेंगे।
जजपा को एक लोकसभा सीट दे सकती है भाजपा
बृजेंद्र के इस्तीफे के बाद बीजेपी की हरियाणा में सरकार की सहयोगी जजपा का रास्ता अब साफ हो गया है। सूत्रों के मुताबिक अब भाजपा हरियाणा में गठबंधन की सहयोगी जजपा को एक लोकसभा सीट दे सकती है। संभावना है कि हिसार लोकसभा सीट से जजपा डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को उम्मीदवार बनाया जाए। हालांकि जजपा के नेता अभी तक गठबंधन को लेकर संशय में है, इसकी वजह यह है कि अभी तक भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से इसको लेकर कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिए गए हैं।
ज्वाइनिंग के बाद कांग्रेस का आभार जताया सोशल मीडिया
एक्स पर इस्तीफे की जानकारी देते हुए बृजेंद ने लिखा, मैंने राजनीतिक कारणों से मजबूरन भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। हिसार के संसद सदस्य के रूप में सेवा करने का अवसर देने के लिए मैं पार्टी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का आभार व्यक्त करता हूं। कांग्रेस जॉइनिंग के बाद बृजेंद्र ने कहा, मैं आज भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस ज्वाइन कर रहा हूं। मैं पार्टी के पूरे नेतृत्व को आभार व्यक्त करता हूं।
हरियाणा विधानसभा में पांच बार विधायक बने बीरेंद्र
बीरेंद्र सिंह उचाना से पांच बार जीतकर हरियाणा विधानसभा में विधायक बने (1977-82, 1982-84, 1991-96, 1996-2000 और 2005-09) और तीन बार हरियाणा में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने तीन बार सांसद के रूप में भी देश की सेवा की है। बीरेंद्र सिंह ने अपना पहला चुनाव 1972 में लड़ा और 1972 से 1977 तक वह ब्लॉक समिति उचाना के अध्यक्ष रहे। बीरेंद्र ने 1977 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर उचाना कलां निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा चुनाव लड़ा और देश में मजबूत कांग्रेस विरोधी लहर के बावजूद, बड़े अंतर से सीट जीती। इसने उन्हें रातों-रात भारत में एक स्टार राजनीतिक शख्सियत बना दिया। 1984 में चौ. ओम प्रकाश चौटाला को भारी अंतर से हराने के बाद बीरेंद्र सिंह हिसार निर्वाचन क्षेत्र से संसद सदस्य (लोकसभा) चुने गए।
related
Latest stories
ये किसान व आढ़ती को ख़त्म करने का 'षड्यंत्र' नहीं तो क्या है? सदन में भाजपा पर गरजे आदित्य
सरकार द्वारा 'आंकड़े न कभी छुपाए जाते हैं, न कभी छुपाए जाएंगे', जानिए मुख्यमंत्री सैनी ने ऐसा क्यों कहा
'वे नहीं जानती कि पराली क्या होती है' दिल्ली सीएम पर बड़ोली का तंज - बोले पहले खेतों में जाकर पराली देखनी चाहिए