हरियाणा में लोकसभा चुनाव के बाद सत्ता संकट से जूझ रही नायब सिंह सैनी की सरकार को स्थिरता देने के लिए अब तेज कोशिशें शुरू हो गई हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मिलकर मोर्चाबंदी शुरू कर दी है। इस मोर्चे में उन्हें सबसे बड़ा साथ जनतानंत्रिक जनता पार्टी (जेजेपी) के विधायकों से मिल रहा है।
सत्ता संकट से उबरने की कोशिशें
लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा विधानसभा में बहुमत के आंकड़े नहीं बन पाने से नायब सरकार को सत्ता संकट का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सैनी और खट्टर ने इस संकट से उबरने के लिए जेजेपी विधायकों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है।
जेजेपी विधायकों से मुलाकात और संकेत
इसी क्रम में जेजेपी के दो विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा और जोगीराम सिहाग ने हाल ही में चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात की। इतना ही नहीं, दोनों विधायक मुख्यमंत्री की ओर से बीजेपी विधायकों के लिए आयोजित डिनर कार्यक्रम में भी शामिल हुए। इन घटनाक्रमों से ये संकेत मिल रहे हैं कि दोनों विधायक जल्द ही जेजेपी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम सकते हैं।
इन विधायकों का क्या है महत्व?
रामनिवास सुरजाखेड़ा और जोगीराम सिहाग के अलावा जेजेपी के पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली भी पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं। बबली ने खुलकर दुष्यंत चौटाला और उनके पिता अजय चौटाला की आलोचना की है। यदि ये तीनों विधायक बीजेपी में शामिल हो जाते हैं तो नायब सरकार को बहुमत हासिल करने में मदद मिलेगी।
बहुमत के आंकड़े की गणित
विधानसभा में बहुमत के लिए 44 विधायकों का समर्थन जरूरी है। फिलहाल बीजेपी के पास 41 विधायक हैं। इसके अलावा निर्दलीय विधायक नयनपाल राव और गोपाल कांडा का भी बीजेपी को समर्थन है, जिससे बीजेपी के पास 43 विधायक हैं। यदि जेजेपी के 2 विधायक इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो जाते हैं तो विधानसभा में विधायकों की संख्या 85 रह जाएगी। इस स्थिति में बहुमत के लिए 43 विधायकों की जरूरत होगी, जो बीजेपी के पास हो जाएगी। इसलिए मौजूदा स्थिति में जेजेपी विधायकों के बीजेपी में शामिल होने पर बहुमत की चुनौती भी दूर हो सकती है।
राजनीतिक पंडितों के अनुसार, लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद विधानसभा में बहुमत का संकट बना रहने पर नायब सरकार की स्थिरता पर सवाल उठने लगे थे। लेकिन मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री की मौजूदा मोर्चाबंदी से ऐसा लगता है कि वे जल्द ही इस मुश्किल से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि बीजेपी और जेजेपी दोनों पार्टियों की ओर से अभी तक इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है कि कोई विधायक दल-बदल करेगा या नहीं।
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