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हरियाणा में जल्द होगी ‘वन मित्रों’ की भर्ती : जाने क्या होगी ज़िम्मेदारी और कितना होगा मानदेय

हरियाणा में जल्द होगी ‘वन मित्रों’ की भर्ती : जाने क्या होगी ज़िम्मेदारी और कितना होगा मानदेय

मुख्यमंत्री नायब सिंह ने बताया कि जल्द ही वन-मित्र स्कीम के तहत वन-मित्रों की भर्ती की जाएगी, जिनको पौधों की देखभाल करने के लिए मानदेय दिया जाएगा, वन भूमि पर आग लगने पर बुझाने में देरी होने पर फोरेस्ट गॉर्ड से लेकर उच्चाधिकारी तक की ज़िम्मेदारी तय की जाएगी

वन एवं वन्य जीव विभाग की समीक्षा बैठक

चंडीगढ़ में वन एवं वन्य जीव विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह ने बताया कि जल्द ही वन-मित्र स्कीम के तहत वन-मित्रों की भर्ती की जाएगी, जिनको पौधों की देखभाल करने के लिए मानदेय दिया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वन विभाग द्वारा वन क्षेत्र में  पहले से लगे हुए तथा हर वर्ष पौधारोपण अभियान के तहत लगाए जाने वाले पौधों की ड्रोन से मैपिंग की जाए। वन भूमि पर आग लगने पर बुझाने में देरी होने पर फोरेस्ट गॉर्ड से लेकर उच्चाधिकारी तक की जिम्मेदारी तय की जाएगी।

योजना का बजट 20 करोड़ रुपए रखा गया 

मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी है कि अगर वन भूमि पर आग बुझाने में देरी हुई तो वन रक्षकों से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक की जवाबदेही तय की जाएगी। मुख्यमंत्री नायब सिंह चंडीगढ़ में वन एवं वन्य जीव विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने ‘प्राण वायु देवता योजना’ का ब्रोशर भी जारी किया। इस बैठक में पर्यावरण, वन और वन्यजीव राज्य मंत्री संजय सिंह ने भी भाग लिया। मुख्यमंत्री को बताया गया कि ‘वन मित्र’ योजना के तहत पेड़ों की देखभाल करने वालों को 2750 रुपए प्रति वर्ष दिए जाएंगे। इस योजना का बजट 20 करोड़ रुपए रखा गया है।

हर्बल पार्कों पर 10 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे

वर्ष 2024-25 के वृक्षारोपण अभियान के लिए 150 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है और हर्बल पार्कों पर 10 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। मुख्यमंत्री को यह भी बताया गया कि ‘प्राण वायु देवता’ योजना के तहत, राज्य सरकार 75 वर्ष से अधिक पुराने पेड़ों की देखभाल करने वालों को वार्षिक पेंशन प्रदान करने की योजना बना रही है। अब तक 3,819 ऐसे पेड़ों की पहचान की जा चुकी है। 

ड्रोन की मदद से पांच वर्षों तक उनके विकास की निगरानी की जाए  

मुख्यमंत्री नायब सिंह ने निर्देश दिए कि वन क्षेत्रों से पेड़ों की अवैध कटाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने मानसून सीजन में वार्षिक वृक्षारोपण अभियान की समीक्षा की और निर्देश दिए कि इन पौधों को जियो-टैग किया जाए और ड्रोन की मदद से पांच वर्षों तक उनके विकास की निगरानी की जाए। उन्होंने कहा कि जंगलों में आग लगने से वन्यजीवों की मौत होती है, करोड़ों रुपए की लकड़ी की क्षति होती है और प्रदूषण में भी योगदान होता है। आग लगने की घटना पर प्रतिक्रिया देने में अनावश्यक देरी होने पर वनरक्षक से लेकर जिला स्तर के अधिकारी तक जवाबदेह होंगे।

पानी की आपूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए

मुख्यमंत्री नायब सिंह ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया कि कालेसर, सुल्तानपुर जैसे राष्ट्रीय उद्यानों और अन्य घने जंगलों में नहरों या ट्यूबवेलों से पानी की आपूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि अत्यधिक गर्मी के दौरान इस पानी का उपयोग वन्य जीवों द्वारा किया जा सके और आग बुझाने में सहायता मिल सके। उन्होंने अधिकारियों को वृक्षारोपण के बाद पौधों की देखभाल के लिए भी सख्त निर्देश दिए। यह योजना राज्य के वृक्षारोपण और हरित कवर को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

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