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JJP का महासंग्राम: लोकसभा में पिछड़ने के बाद विधानसभा की तैयारी

JJP का महासंग्राम: लोकसभा में पिछड़ने के बाद विधानसभा की तैयारी

जमानत जब्त होने की शर्मिंदगी के बाद, जननायक जनता पार्टी ने कसी कमर; 5 जुलाई से शुरू होंगे जिला कार्यकर्ता सम्मेलन, डॉ. अजय सिंह चौटाला और दुष्यंत चौटाला संभालेंगे कमान

प्रतीकात्मक तस्वीर

हरियाणा में लोकसभा चुनाव में 10 की 10 सीटों पर जमानत जब्त करवाने के बाद जननायक जनता पार्टी (JJP) नए जोश के साथ दोबारा मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। पार्टी 5 जुलाई से जिला स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन शुरू करने जा रही है। इन कार्यक्रमों में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह चौटाला और पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला कार्यकर्ताओं के साथ जिला स्तर की राजनीतिक चर्चा करेंगे। 

इन सम्मेलनों का मुख्य उद्देश्य संगठन का पुनर्निर्माण और आगामी विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाना है। पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने पहले ही सभी जिलों के प्रमुख कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ प्रारंभिक चर्चा कर ली है और उनके फीडबैक के आधार पर ये कार्यक्रम तय किए गए हैं।

लोकसभा चुनाव में JJP का खराब प्रदर्शन

JJP के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव बेहद निराशाजनक रहा। पार्टी हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर न केवल हारी, बल्कि उसके उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो गई। पूरे हरियाणा में पार्टी का वोट शेयर मात्र 0.87 प्रतिशत रहा, जो बसपा और इनेलो से भी कम था। यह प्रदर्शन तब हुआ जब JJP हरियाणा में उप मुख्यमंत्री पद सहित कई महत्वपूर्ण विभागों का संचालन कर रही थी। 

आंतरिक विरोध की चुनौती

JJP के सामने एक बड़ी चुनौती आंतरिक विरोध की भी है। पार्टी के 10 विधायकों में से 6 पहले ही बगावत कर चुके हैं और अलग-अलग दलों का समर्थन कर रहे हैं। यह स्थिति 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद मंत्रिमंडल के गठन में असंतोष के कारण उत्पन्न हुई। वर्तमान में, केवल 4 विधायक ही दुष्यंत चौटाला के साथ हैं, जिनमें स्वयं दुष्यंत और उनकी माता नैना चौटाला भी शामिल हैं। 

भविष्य की रणनीति और चुनौतियां

JJP के लिए आने वाला समय चुनौतीपूर्ण है। पार्टी को न केवल अपने संगठन को मजबूत करना है, बल्कि जनता का विश्वास भी जीतना है। जिला स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलनों के माध्यम से पार्टी अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने और जमीनी स्तर पर मजबूती हासिल करने की कोशिश करेगी। 

हालांकि, पिछले चुनाव के खराब प्रदर्शन और आंतरिक विरोध के कारण यह कार्य आसान नहीं होगा। पार्टी को अपनी नीतियों और नेतृत्व में बदलाव लाने की आवश्यकता हो सकती है ताकि वह फिर से जनता का समर्थन प्राप्त कर सके। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि JJP इन चुनौतियों से कैसे निपटती है और क्या वह हरियाणा की राजनीति में अपनी खोई हुई जगह फिर से हासिल कर पाती है।

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