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भाजपा से बाग़ी नहीं हुए रावत : कहा सरकार के पांचवें साल के आखिरी समय तक साथ रहूंगा

भाजपा से बाग़ी नहीं हुए रावत : कहा सरकार के पांचवें साल के आखिरी समय तक साथ रहूंगा

निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत अचानक अफसरों की कार्यप्रणाली को लेकर नाराज हो गए, इसी के चलते उनके भाजपा से समर्थन वापस लेने के कयास शुरू हो गए, लेकिन देर रात रावत ने स्पष्ट किया सरकार और पार्टी से नहीं कुछ अधिकारियों से थी नाराजगी

निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत

 की राजनीति में बड़ी हलचल देखने को मिल रही है। बुधवार को जहां सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर सामने आ रही थी कि एक और निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत सरकार का साथ छोड़ सकते हैं, लेकिन विधायक नयन पाल रावत ने देर रात मीडिया को स्पष्ट किया कि हरियाणा सरकार के लिए उनका समर्थन जारी रहेगा। मैं भारतीय जनता पार्टी के लिए हमेशा फ्रंट फुट पर खेला हूं।

नाराज़गी सरकार नहीं अधिकारीयों से थी 

उन्होंने कहा कि मैंने तो भाजपा के लिए अन्य विधायकों को भी मैनेज किया है। इस सरकार के पांचवें साल के आखिरी समय तक में सरकार के साथ रहूंगा। इस मुद्दे को उठाने से तमाम विधायकों का फायदा हुआ है। उन्होंने बताया कि उनकी नाराज़गी सरकार और भारतीय जनता पार्टी से नहीं थी, बल्कि जिला लेवल के कुछ अधिकारियों से थी।

अब समाधान हो चुका है। हरियाणा सरकार के पास पूरे नंबर हैं कोई खतरा नहीं है। भाजपा को अगर लगे कि मैं सीट निकाल सकता हूं तो मैं भाजपा के साथ खड़ा रहूंगा और 2024 का चुनाव भी भाजपा की टिकट पर लड़ने के लिए तैयार हूं। 

जानिए क्या था मामला

हरियाणा में जननायक जनता पार्टी से गठबंधन टूटने के बाद निर्दलीय विधायकों के सहारे चल रही भाजपा सरकार की बुधवार को अचानक टेंशन बढ़ गई। पृथला से निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत सुबह अचानक अफसरों की कार्य प्रणाली को लेकर नाराज हो गए। उन्होंने यह तक कह दिया कि वह गुरुवार को इसे लेकर कोई बड़ा कदम उठाएंगे।

तब चर्चा शुरू हुई कि रावत भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले सकते हैं। शाम होते-होते विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने नयनपाल रावत की मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात कराई। साथ ही केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी उनसे फोन पर बात की। इसके बाद नयनपाल रावत बोले मेरी शिकायतें दूर हो गई हैं। अब मैं सरकार के साथ ही रहूंगा। 

बहुमत का आंकड़ा 46 से घटकर 44 हो गया 

गौरतलब है कि हरियाणा विधानसभा में 90 सीटें हैं। रानियां से विधायक रणजीत चौटाला के इस्तीफे, वरुण चौधरी के सांसद बनने और बादशाहपुर से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद के निधन के बाद विधानसभा में 87 विधायक बचे हैं। इससे बहुमत का आंकड़ा 46 से घटकर 44 हो गया है। प्रदेश में विपक्ष के पास 44 विधायक हैं।

इनमें कांग्रेस के 29, जजपा के 10, इनेलो 1 और 4 निर्दलीय विधायक शामिल हैंं। हालांकि, जजपा ने अपने 2 विधायक रामनिवास सुराजखेड़ा और जोगीराम सिहाग पर भाजपा का साथ देने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई के लिए पत्र लिखा हुआ है। इसके अलावा कांग्रेस ने भी भाजपा जॉइन कर चुकी विधायक किरण चौधरी के खिलाफ कार्रवाई के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है।

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