यात्रा की शुरुआत और मार्ग
सावन के पहले सोमवार को बृज मंडल शोभायात्रा का आयोजन किया गया। यह यात्रा गुड़गांव से शुरू होकर नूंह तक पहुंची। यात्रा में गुड़गांव, मानेसर, पटौदी, सोहना और आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। सुबह से ही विभिन्न मंदिरों में लोग एकत्र होने लगे और "हर हर महादेव" के जयकारों के साथ यात्रा शुरू हुई।
सुरक्षा व्यवस्था
पिछले साल हुई हिंसा के मद्देनजर इस बार प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी। गुड़गांव और नूंह पुलिस पूरी तरह अलर्ट थी। यात्रा मार्ग पर चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे। नूंह जिले में प्रवेश करने से पहले सभी वाहनों की जांच की गई और संदिग्ध व्यक्तियों को यात्रा में शामिल होने से रोका गया। ड्रोन कैमरों से भी निगरानी रखी गई।
यात्रा का क्रम और जलाभिषेक
यात्रा सुबह गुड़गांव से शुरू होकर दोपहर तक नूंह पहुंची। यहां श्रद्धालुओं ने नल्हड़ महादेव मंदिर में जलाभिषेक किया। इसके बाद यात्रा फिरोजपुर झिरका के झिर महादेव मंदिर पहुंची, जहां भी जलाभिषेक किया गया। अंत में, यात्रा का समापन पुन्हाना के श्रृंगार मंदिर पर हुआ। पूरे मार्ग पर भक्तों ने भजन-कीर्तन किए और शिव की आराधना की।
संगठनों और प्रशासन की भूमिका
विश्व हिंदू परिषद के प्रांत अध्यक्ष पवन कुमार ने बताया कि यात्रा की तैयारियां कई दिनों से चल रही थीं। हरिद्वार से कावड़ लेकर संत और कार्यकर्ता गुड़गांव पहुंचे थे। यात्रा शुरू करने से पहले सभी प्रतिभागियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए ताकि यात्रा शांतिपूर्वक संपन्न हो सके। जिला प्रशासन ने भी पहले से ही एडवाइजरी जारी कर दी थी और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया था।
इस वर्ष की यात्रा का शांतिपूर्ण संपन्न होना प्रशासन और धार्मिक संगठनों के सहयोग का परिणाम रहा। पिछले साल की घटनाओं से सीख लेते हुए इस बार सभी पक्षों ने सावधानी बरती, जिससे यात्रा सफलतापूर्वक संपन्न हो सकी। यह यात्रा न केवल धार्मिक महत्व की रही, बल्कि सामुदायिक सद्भाव का भी एक उदाहरण बनी।
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