पिस्टल से पदक तक: मनु भाकर
हरियाणा के झज्जर की रहने वाली 22 वर्षीय मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत के लिए इतिहास रच दिया है। उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल की महिला श्रेणी में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर न केवल भारत को इस ओलंपिक का पहला पदक दिलाया, बल्कि शूटिंग में ओलंपिक मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला भी बन गईं। यह उपलब्धि उनके करियर और भारतीय खेल जगत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
टोक्यो से पेरिस तक का सफर
मनु के लिए ओलंपिक सफलता का रास्ता आसान नहीं था। 2021 के टोक्यो ओलंपिक में, क्वालिफाइंग राउंड के दौरान उनकी पिस्टल खराब हो गई थी। 55 मिनट में 44 शॉट लेने थे, लेकिन पिस्टल की खराबी के कारण उन्होंने 20 महत्वपूर्ण मिनट खो दिए। पिस्टल ठीक होने के बाद भी वे केवल 14 शॉट ही ले पाईं और फाइनल के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाईं। यह अनुभव उन्हें गहरी निराशा में डाल गया और उन्होंने खेल छोड़ने तक का विचार किया।
मां का प्यार और एक चैंपियन का जज्बा
टोक्यो से लौटने पर मनु बहुत उदास थीं। उनकी मां, डॉ. सुमेधा भाकर, बेटी की मानसिक स्थिति को लेकर चिंतित थीं। उन्होंने मनु की पिस्टल तक छिपा दी ताकि वह दुखी न हो। डॉ. सुमेधा याद करती हैं, "मैं मनु का मैच नहीं देख पाई थी। बाद में जब मैंने वीडियो देखा तो बहुत बुरा लगा। मैंने सोचा कि अगर मुझे इतना दुख हो रहा है, तो मनु कैसा महसूस कर रही होगी।"
इस झटके के बाद मनु ने शूटिंग छोड़ने का विचार किया। उन्होंने विदेश में फैशन डिजाइनिंग और मार्केटिंग मैनेजमेंट का कोर्स करने तक की सोची। लेकिन खेल के प्रति उनका प्यार और परिवार व कोच का समर्थन उन्हें इस दौर से उबरने में मदद किया। उन्होंने अपने कोच जसपाल राणा के साथ फिर से कड़ी ट्रेनिंग शुरू की।
गोली से गोल्ड की ओर: मनु का शूटिंग सफर
मनु का शूटिंग में सफर अनायास ही शुरू हुआ। उनकी मां, जो एक स्कूल प्रिंसिपल थीं, चाहती थीं कि मनु डॉक्टर बने। लेकिन स्कूल के शारीरिक शिक्षा शिक्षक ने खेल का सुझाव दिया, कहते हुए, "डॉक्टर को कौन जानेगा? अगर मनु देश के लिए मेडल जीतेगी, तो पूरी दुनिया उसे जानेगी।" यह सलाह मनु को शूटिंग की ओर ले गई।
शूटिंग से पहले, मनु ने कई खेल आजमाए, जिनमें बॉक्सिंग, मार्शल आर्ट्स, तीरंदाजी, टेनिस और स्केटिंग शामिल थे। उनकी मां के स्कूल में एक शूटिंग रेंज थी, जहां मनु की प्रतिभा पहली बार नोटिस की गई। उनका पहला शॉट देखकर ही शारीरिक शिक्षा शिक्षक अनिल जाखड़ ने भविष्यवाणी की कि वह देश के लिए मेडल जीतेगी।
शूटिंग में मनु की प्रगति अत्यंत तेज थी। मात्र 15 दिनों के अभ्यास के बाद, उन्होंने एक राज्य प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता। शूटिंग शुरू करने के तीन साल बाद, 2017 में, उन्होंने राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप में ओलंपियन और पूर्व विश्व नंबर एक हीना सिद्धू को हराकर 10 मीटर एयर पिस्टल में नया रिकॉर्ड बनाया।
लक्ष्य पर निशाना: मनु की अद्भुत प्रगति
मनु की सफलता आसानी से नहीं आई। उनके पिता, रामकिशन भाकर, याद करते हैं कि पिस्टल के लाइसेंस प्राप्त करने और नवीनीकरण करने में कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ा, भले ही मनु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीत रही थीं। यह नौकरशाही बाधा परिवार के लिए लगातार निराशा का स्रोत थी।
पेरिस में सफलता
पेरिस में, मनु तीन स्पर्धाओं में भाग ले रही हैं: 10 मीटर एयर पिस्टल, 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड, और 25 मीटर पिस्टल। उनका ब्रॉन्ज मेडल 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में आया, जहां उन्होंने फाइनल में 221.7 अंक हासिल किए, रजत पदक से बस एक अंक से चूक गईं। क्वालीफाइंग स्पर्धा में, उन्होंने 600 में से 580 अंक हासिल किए और 45 शूटरों में तीसरे स्थान पर रहीं।= यह उपलब्धि विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि मनु पेरिस ओलंपिक में तीन स्पर्धाओं में भाग लेने वाली एकमात्र भारतीय शूटर हैं। खेलों से पहले, उन्होंने कम से कम एक स्वर्ण पदक जीतने की अपनी महत्वाकांक्षा व्यक्त की थी, जो उनके दृढ़ संकल्प और महत्वाकांक्षा को दर्शाता है।
मनु की सफलता का प्रभाव
मनु का ओलंपिक कांस्य पदक न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि भारतीय खेल, विशेष रूप से महिला शूटिंग के लिए एक मील का पत्थर है। यह देश भर के युवा एथलीटों, विशेष रूप से खेल में उत्कृष्टता प्राप्त करने की आकांक्षा रखने वाली लड़कियों के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम करता है। उनकी सफलता की कहानी खेल प्रतिभा को पोषित करने में दृढ़ता, परिवार के समर्थन और सही मार्गदर्शन के महत्व को रेखांकित करती है।
जैसे-जैसे भारत मनु की ऐतिहासिक जीत का जश्न मना रहा है, ध्यान अब पेरिस में उनकी शेष स्पर्धाओं पर केंद्रित हो गया है। टोक्यो की निराशा से लेकर पेरिस में पोडियम तक का उनका सफर उनकी मानसिक शक्ति और खेल के प्रति समर्पण का प्रमाण है। यह वैश्विक मंच पर भारतीय एथलीटों की क्षमता को भी उजागर करता है, जब उन्हें उचित समर्थन और अवसर प्रदान किए जाते हैं।
मनु भाकर का पेरिस में कांस्य पदक केवल एक खेल उपलब्धि से कहीं अधिक है; यह लचीलेपन का प्रतीक है, भारतीय खेल में महिलाओं के लिए एक सफलता है, और राष्ट्रीय गौरव का स्रोत है। जैसे-जैसे वह अपनी ओलंपिक यात्रा जारी रखती है, पूरा देश आशा और उत्साह के साथ देख रहा है, इस युवा शूटिंग प्रतिभा से और अधिक सफलता की कहानियों की उम्मीद कर रहा है।
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