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रूस-यूक्रेन युद्ध में हरियाणा के युवक की मौत: धोखे से भेजा गया था रूस

रूस-यूक्रेन युद्ध में हरियाणा के युवक की मौत: धोखे से भेजा गया था रूस

नौकरी के लालच में रूस गए 22 वर्षीय रवि मौन को जबरन सेना में भर्ती कर युद्ध में भेजा गया; परिवार ने शव वापस लाने के लिए प्रधानमंत्री से मदद मांगी 

प्रतीकात्मक तस्वीर

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में एक और भारतीय युवक की जान चली गई है। हरियाणा के 22 वर्षीय रवि मौन को धोखे से रूस भेजा गया था, जहां उसे जबरदस्ती सेना में भर्ती कर युद्ध के मोर्चे पर भेज दिया गया। रवि की मृत्यु की पुष्टि मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास ने की है।

रवि के भाई अजय मौन ने बताया कि रवि को इस साल 13 मई को एक एजेंट द्वारा रूस में ट्रांसपोर्टेशन की नौकरी का झांसा देकर भेजा गया था। लेकिन वहां पहुंचते ही उसे सेना में शामिल होने पर मजबूर किया गया। रवि को दो विकल्प दिए गए थे - या तो यूक्रेनी सेना के खिलाफ लड़ना या 10 साल की जेल काटना। मजबूरी में रवि को युद्ध में शामिल होना पड़ा।

रवि की मौत से यह साबित हो गया है कि रूसी सेना अभी भी यूक्रेन में भारतीयों की तैनाती कर रही है। यह घटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल ही में हुई रूस यात्रा के बाद हुई है, जिसमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में रूसी सेना के लिए काम कर रहे सभी भारतीयों को मुक्त करने का वादा किया था।

रवि के परिवार ने बताया कि वह 12 मार्च तक उनके संपर्क में था। उसके बाद से कोई संपर्क नहीं हो पाया। 21 जुलाई को अजय ने दूतावास से संपर्क किया, तब उन्हें रवि की मृत्यु की जानकारी मिली। दूतावास ने कहा है कि शव की पहचान के लिए DNA टेस्ट की आवश्यकता होगी। 

रवि के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। उन्होंने रवि को रूस भेजने के लिए एक एकड़ जमीन बेचकर 11.50 लाख रुपये खर्च किए थे। अब उनके पास शव को वापस लाने के लिए पैसे नहीं हैं। परिवार ने प्रधानमंत्री मोदी से मदद की गुहार लगाई है।

यह घटना भारत सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। रूस-यूक्रेन युद्ध में अब तक पांच भारतीयों की जान जा चुकी है। सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए रूस पर दबाव बनाना होगा ताकि वहां फंसे अन्य भारतीयों को सुरक्षित वापस लाया जा सके। इस घटना ने एक बार फिर विदेश में नौकरी के नाम पर होने वाली धोखाधड़ी की ओर ध्यान खींचा है। युवाओं को सावधान रहने की जरूरत है और किसी भी विदेशी नौकरी के प्रस्ताव को स्वीकार करने से पहले उसकी पूरी जांच-पड़ताल करनी चाहिए।

रवि की मौत एक दुखद घटना है जो न केवल उसके परिवार के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ा झटका है। यह हमें याद दिलाती है कि युद्ध की विभीषिका में आम लोग कितने असहाय हो जाते हैं। आशा है कि भारत सरकार इस मामले में त्वरित कार्रवाई करेगी और रवि के परिवार को न्याय दिलाने के साथ-साथ अन्य फंसे हुए भारतीयों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करेगी।

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