हरियाणा के भिवानी जिले की तोशाम विधानसभा सीट इन दिनों चर्चा में है। यह सीट, जो लंबे समय से बंसीलाल परिवार का गढ़ रही है, अब नई राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर रही है। मौजूदा विधायक किरण चौधरी के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने के बाद, इस सीट पर कांग्रेस के लिए नया उम्मीदवार चुनना एक बड़ी चुनौती बन गया है।
तोशाम की राजनीतिक कहानी काफी दिलचस्प है। 1957 से लेकर अब तक, कांग्रेस ने इस सीट पर 11 बार जीत हासिल की है। इनमें से ज्यादातर जीत बंसीलाल परिवार के सदस्यों की रही है। यह बात गौर करने वाली है कि बंसीलाल परिवार के अलावा कांग्रेस का कोई भी नेता यहां खास प्रभाव नहीं जमा पाया है। यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी इस क्षेत्र में कभी बड़ी जनसभा नहीं की।
अब जब किरण चौधरी भाजपा में चली गई हैं, कांग्रेस के पास इस सीट के लिए कई दावेदार सामने आए हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के पोते अनिरुद्ध चौधरी, स्थानीय नेता संजीत ख्यालिया, कमल प्रधान, जिला परिषद अध्यक्ष अनीता मलिक, सेवानिवृत्त आयुक्त आरएस दून और मनेंद्र बागनवाला शामिल हैं। ये सभी उम्मीदवार भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी माने जाते हैं।
किरण चौधरी के जाने के बाद, तोशाम में कांग्रेस में गुटबाजी की कोई खबर नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि किरण के समर्थक भी उनके साथ पार्टी छोड़ चुके हैं। अब कांग्रेस के पास मुख्य रूप से हुड्डा समर्थकों का ही आधार बचा है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि यह चुनाव बंसीलाल के गढ़ में हुड्डा की लोकप्रियता की परीक्षा होगी। कुछ का सुझाव है कि हुड्डा बंसीलाल के पोते अनिरुद्ध को मैदान में उतार सकते हैं, ताकि बंसीलाल की विरासत का फायदा मिल सके।
दूसरी ओर, भाजपा की स्थिति भी दिलचस्प है। किरण चौधरी के भाजपा उम्मीदवार होने की संभावना है, लेकिन यह देखना होगा कि बंसीलाल के पुराने समर्थक, जो भाजपा से नाराज थे, अब किरण का समर्थन करेंगे या नहीं। इसके अलावा, भिवानी-महेंद्रगढ़ से भाजपा सांसद धर्मबीर सिंह का भी तोशाम में अच्छा-खासा प्रभाव है।
इस चुनाव में कई मुद्दे महत्वपूर्ण होंगे। बंसीलाल की विरासत, हुड्डा का प्रभाव, किरण चौधरी का नया राजनीतिक सफर, और स्थानीय मुद्दे - ये सभी चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं।
तोशाम की जनता के सामने अब एक नया विकल्प होगा। वे अपने पुराने नेताओं की विरासत को आगे बढ़ाएंगे या नए चेहरों को मौका देंगे, यह देखना दिलचस्प होगा। चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आएगा, तोशाम की राजनीतिक गतिविधियां और तेज होने की उम्मीद है।
इस चुनाव में तोशाम की जनता के सामने कई सवाल होंगे। क्या वे बंसीलाल परिवार की विरासत को आगे बढ़ाएंगे? क्या हुड्डा के समर्थक नए चेहरे को स्वीकार करेंगे? क्या किरण चौधरी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी और अगर हां, तो क्या वे अपने पुराने समर्थकों का विश्वास जीत पाएंगी? इन सभी सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिलेंगे और तोशाम की राजनीति में नए मोड़ आएंगे।
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