हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टियों का प्रचार अभियान ज़ोरों पर है। हर पार्टी प्रमुख द्वारा हरियाणा के हर वर्ग के मतदाताओं को लुभाने के लिए लोकलुभावन वायदे निर्धारित किये गए हैं, जिन वायदों को लेकर नेता आम जनता के बीच पहुंच रहे हैं और पुरज़ोर कोशिश में जुटे हैं कि उनके लोकलुभावन वायदों और मुद्दों को उठाने से माहौल उनके पक्ष में बन जाए। खैर ये जनता जनार्दन है, कब किसको कुर्सी पर बैठा दे और किसे उतार दे ये इनकी बंद मुट्ठी में है। सुनते सबकी है, पर करते मन की है। जब बंद मुट्ठी का पत्ता खुलता है, तब इनके हाथों ही सत्ता का सेहरा सजता है।
अलग हाईकोर्ट-अलग राजधानी को अभय ने बनाया चुनावी मुद्दा
अब बात करते है मुद्दे की ... मुद्दे मतलब जो नेताओं के प्रचार अभियान का सबसे अहम हिस्सा है। ऐसे में हरियाणा के नेताओं के पास मुद्दों की कमी नहीं है, मुद्दे गिनवा-गिनवा कर ही तो राजनीतिक रोटियां सेंकी जाती है। बेरोज़गारी, महंगाई, बढ़ते अपराध, महिला सुरक्षा, बिजली-पानी, सड़क-परिवहन, शिक्षा-स्वास्थ्य, गरीबी ये सब हर नेताओं की जुबान पर हर वक्त होते हैं।
ऐसे में वरिष्ठ इनेलो नेता और पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अभय चौटाला ने इन मुद्दों के साथ एक और मुद्दा शामिल किया है, अलग हाईकोर्ट-अलग राजधानी का मुद्दा। हालांकि के, सूत्रधार हरियाणा- पंजाब- चंडीगढ़ काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष रणधीर सिंह बदरान और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ओएसडी रहे एमएस चौपड़ा हैं, जिन्होंने हरियाणा बनाओ अभियान' का आगाज किया, लेकिन अब इस अभियान को अभय चौटाला ने अपना चुनावी मुद्दा बना लिया है।
इनेलो के बिना राज्य में सरकार नहीं बन सकती
अक्सर चुनाव प्रचार के दौरान अन्य मुद्दों के साथ अभय चौटाला इस मुद्दे का ज़िक्र करना नहीं भूलते। अभय का कहना है कि ''बस सरकार बना दयो, फेर पिछली सारी कसर काढ़ दयूंगा। प्रदेश में सभी लोगों के हित में ऐतिहासिक कार्य किए जाएंगे।''
उन्होंने कहा कि एक ओर जहां भाजपा नई-नई घोषणाएं कर रही है, दूसरी ओर वहीं आमजन के लिए समस्याएं बढ़ रही हैं। कैथल जिले की कलायत विधानसभा क्षेत्र से पार्टी उम्मीदवार रामपाल माजरा के समर्थन में एक सभा को संबोधित करते हुए अभय ने कहा, "इनेलो-बसपा सरकार बनाएगी, अगर वे सत्ता में आए तो हरियाणा का अपना अलग उच्च न्यायालय और राजधानी होगी।"
चौटाला ने जोर देकर कहा कि लोग कांग्रेस और भाजपा से तंग आ चुके हैं और इस बार हरियाणा में इनेलो-बसपा गठबंधन सरकार बनाएगा। उन्होंने कहा कि इनेलो के बिना राज्य में सरकार नहीं बन सकती और सरकार बनाने के लिए वे किसी नेता का समर्थन नहीं लेंगे, बल्कि जनता के आशीर्वाद पर निर्भर रहेंगे। अभय ने इस घोषणा पर भी जोर दिया कि कि यदि इनेलो हरियाणा में सरकार बनाती है तो राज्य की अपनी अलग राजधानी और अलग उच्च न्यायालय होगा।
कई वर्षों से लंबित हरियाणा की अलग राजधानी व हाईकोर्ट का मुद्दा
उल्लेखनीय है कि हरियाणा बनाओ अभियान के संयोजकों के अनुसार हरियाणा देश का एकमात्र राज्य है जिसकी अपनी राजधानी नहीं है। कई वर्षों से लंबित हरियाणा की अलग राजधानी व हाईकोर्ट का मुद्दा लोकसभा चुनावों में भी गर्माया था और इन मुद्दों को लेकर हाईकोर्ट के पूर्व जज नवाब सिंह सहित बहुत से पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों ने मोर्चा खोलते हुए सभी राजनीतिक दलों से इन मुद्दों को लेकर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की थी। रात गई-बात गई की तरह लोकसभा चुनाव होते ही मुद्दा शांत हो गया। जस्टिस नवाब सिंह का सवाल था कि रेलवे स्टेशन पंचकूला में बना है, लेकिन दुनिया के नक्शे पर इसे चंडीगढ़ का रेलवे स्टेशन कहा जाता है। इसी तरह एयरपोर्ट में हरियाणा का योगदान भी है, लेकिन इसे मोहाली का एयरपोर्ट कहा जाता है।
साड्डा हक़ ऐथे रख - चंडीगढ़ पर हरियाणा का हक नहीं छोड़ा जाएगा
हरियाणा बनाओ अभियान के संयोजक और पंजाब एंड हरियाणा बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष रणधीर सिंह बधरान व मुख्यमंत्री के पूर्व ओएसडी महिंदर सिंह चोपड़ा ने बताया कि हरियाणा के लिए अलग राजधानी और अलग उच्च न्यायालय क्यों जरूरी है। रणधीर सिंह बधरान, पूर्व मुख्य सचिव एससी चौधरी, पूर्व वाइस चांसलर राधे श्याम शर्मा, मुख्यमंत्री के पूर्व ओएसडी एमएस चोपड़ा ने कहा कि भले ही वे अलग राजधानी और अलग हाईकोर्ट की मांग कर रहे हैं, लेकिन चंडीगढ़ पर हरियाणा का हक नहीं छोड़ा जाएगा।
क्यों है हरियाणा को अलग उच्च न्यायालय की आवश्यकता
केंद्र सरकार में उप सचिव रहे महेंद्र सिंह चोपड़ा ने कहा कि वर्ष 1966 में ही हिमाचल प्रदेश का गठन हुआ था, परंतु उसकी अपनी अलग राजधानी और उच्च न्यायालय है जबकि हरियाणा का नहीं। सेवा का अधिकार आयोग के पूर्व आयुक्त सुनील कत्याल ने बताया कि रिकार्ड के अनुसार हरियाणा के 14 लाख से अधिक मामले सेशन कोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों के समक्ष लंबित हैं।
इसी तरह करीब 6.2 लाख से अधिक मामले उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं। इसके अलावा लाखों मामले अन्य आयोगों, न्यायाधिकरणों और अन्य प्राधिकरणों के समक्ष लंबित हैं। कोर्ट केसों के त्वरित निर्णय के लिए हरियाणा और पंजाब दोनों राज्यों को अलग-अलग उच्च न्यायालय की आवश्यकता है।
सांस्कृतिक पहचान और धरोहर बचाना ज़रूरी
हरियाणा वासियों की सांस्कृतिक पहचान और धरोहर बचाने के लिए आज हमारी अलग राजधानी एक बड़ी जरूरत है, क्योंकि जो जो राज्य अलग बने हैं सभी ने अपनी अलग राजधानी बनाई है। हरियाणा बनाओ अभियान का लक्ष्य क्या है। बधरान ने कहा कि हरियाणा को अलग बने 57 साल बीत जाने के बावजूद आज हमारी ना तो अलग राजधानी है, ना ही अलग हाईकोर्ट है और ना ही अलग विधानसभा है।
अलग हाईकोर्ट बनेगा तो जनता को जल्द और सस्ता न्याय मिलेगा
बधरान का कहना है कि लगभग कुल 6.5 लाख के करीब केस हाईकोर्ट में पेंडिंग है। जिसमें पंजाब और हरियाणा का अनुपात हम 40- 60 मानते हैं। हरियाणा में केस ज्यादा है इसलिए हरियाणा के 60 फ़ीसदी हाईकोर्ट में केस भी पेंडिंग होंगे। अगर हम जिला लेवल पर केसेस की बात करें तो हरियाणा में 14 लाख और पंजाब में लगभग 8 लाख की पेंडेंसी है। अगर हरियाणा का अलग हाईकोर्ट बनेगा तो जनता को जल्द और सस्ता न्याय मिलेगा। इकट्ठे राजधानी से काफी परेशानियां भी होती हैं। अलग राजधानी मिलने के बाद जनता को अधिक सुविधाएं मिलेगी।
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