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क्या हुड्डा के गढ़ में मंजू हुड्डा के लिए आसान होगी जीत की डगर ?

क्या हुड्डा के गढ़ में मंजू हुड्डा के लिए आसान होगी जीत की डगर ?

इस बार एक तरफ दिग्गज नेता, राजनीति के सूरमा और दूसरी तरफ राजनीति में एकदम नया युवा महिला का चेहरा ऐसे में मुकाबला चुनौतीपूर्ण और दिलचस्प रहेगा

प्रतीकात्मक तस्वीर

सूबे की सियासत में भूपेंद्र हुड्डा एक बड़ा नाम हैं, जो वो कांग्रेस के बड़े नेता हैं और भूपेंद्र हुड्डा फिर से गढ़ी सांपला-किलोई विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं हुड्डा के विरोध में भाजपा की टिकट मंजू हुड्डा अपनी किस्मत आजमाएगी। लिहाज़ा उनके लिए जीत की राह आसान नहीं होगी, हालांकि इस पर मंजू हुड्डा ने कहा कि उनके सामने कोई चुनौती नहीं है। उनको पूरी उम्मीद है कि चुनाव में उनकी ही जीत होगी। 

हुड्डा के सामने उम्मीदवार बनाए जाने के बाद चर्चा में आई मंजू हुड्डा

उन्होंने कहा, ‘मेरे साथ मेरी मेहनत, विश्वास और जनता का समर्थन है। मेरी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है। मैंने इस बात पर काम किया है कि राजनीति ठीक है, लेकिन एक-दूसरे के साथ सद्भाव होना चाहिए, अन्यथा हम पिछड़ जाएंगे। अलबत्ता टिकट मिलने के बाद मंजू हुड्डा ने अपनी प्रतिक्रिया में भूपेंद्र हुड्डा को पिता तुल्य बताते हुए कहा है कि मैं उनसे आशीर्वाद लेने जाऊंगी। मंजू हुड्डा के लिए राजनीति नई नहीं है, हालांकि वह भाजपा की ओर से भूपेंद्र हुड्डा के सामने उम्मीदवार बनाए जाने के बाद चर्चा में आ गई हैं। 

कौन हैं मंजू हुड्डा

मंजू ने बताया वह गुरुग्राम के एक साधारण परिवार से आती है। उनके पिता प्रदीप यादव पुलिस में डीएसपी रहे। मंजू गढ़ी सांपला-किलोई हलके के गांव धामड़ निवासी राजेश हुड्डा से शादी कर ली थी। मंजू हुड्डा ने बीजेपी से टिकट मिलने के बाद एक सवाल के जवाब में कहा कि उनके पति का पीछे चाहे कुछ भी अतीत रहा हो, लेकिन पिछले 10 साल से ऐसा कुछ नहीं है। वे एक समाजसेवी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

शहर में गैंगस्टर की पत्नी होने के कारण काफी चर्चा

बता दें कि मंजू हुड्डा के पति का नाम राजेश उर्फ सरकारी है। उनकी रोहतक का नामी गैंगस्टर के रूप में पहचान है। मंजू हुड्डा के पति राजेश के ऊपर हत्या, हत्या के प्रयास के अपहरण और लूट के दर्जनभर से अधिक मामले दर्ज हैं। ये मामले हरियाणा, यूपी और राजस्थान में दर्ज हैं। जब मंजू हुड्डा चेयरमैन बनी थीं तो शहर में गैंगस्टर की पत्नी होने के कारण काफी चर्चा हुई थी। चेयरमैन चुने जाने के बाद मंजू हुड्डा ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। हाल ही में उन्हें बीजेपी में युवा मोर्चा का प्रदेश उपाध्यक्ष भी बनाया गया था। 

महज 2 साल से राजनीति में आई मंजू हुड्डा को भाजपा ने टिकट क्यों दिया

उल्लेखनीय है कि भाजपा ने एक सोची समझी रणनीति के तहत मंजू हुड्डा को टिकट देकर चुनावी रण में उतारा है। दरअसल, 2022 में जिला परिषद प्रधानी चुनाव में मंजू हुड्डा ने ''हुड्डा के गढ़'' में कमाल कर दिया था और ये तब भाजपा ने अपना चेयरमैन बनाकर उनको तगड़ा झटका दिया था।, हालांकि रोहतक जिला परिषद चेयरमैन की सीट महिला के लिए आरक्षित थी और गैंगस्टर पति राजेश ने चुनाव जीतने में अपनी पत्नी की मदद की थी।

जनता के बीच उनकी अच्छी पकड़

मंजू हुड्डा कहती हैं कि, 'बीजेपी का टिकट मिलना मेरे लिए किसी सरप्राइज से कम नहीं हैं, मैं महज दो साल से राजनीति में सक्रिय हूं' भले ही मंजू हुड्डा को राजनीति में एक्टिव हुए 2 साल हुए हैं, लेकिन उनकी सक्रियता प्रभावी है। जनता के बीच उनकी अच्छी पकड़ बताई जाती है। वहीं लोगों को भी लगता है कि अगर वह जीतती हैं तो विकास होगा। ऐसे में भाजपा के इस दांव से कांग्रेस में खलबली मचना स्वाभाविक ही है। 

पति के गैंगस्टर होने का चुनाव पर पड़ेगा असर?

सवाल पर मंजू हुड्डा ने बड़ी ही बेबाकी से जवाब दिया। उन्होंने कहा कि, ‘राजनीति में आने के बाद और उससे 10 साल पहले भी, मेरे पति ने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे किसी को व्यक्तिगत रूप से ठेस पहुंचे या किसी को नुकसान पहुंचे। मुझे पता है कि मैं जीतूंगी। मंजू हुड्डा का ये बयान दर्शाता है कि किस तरह से वो चुनाव में अपनी जीत को लेकर कॉन्फिडेंट हैं।  मंजू हुड्डा कहती हैं कि पिता के बाद उन्होंने पति से बहुत कुछ सीखा है। राजनीति के अंदर वे पति के कहने से आईं। 

मंजू बोली : हुड्डा बेटे...तो वो भी यहां की बहू है....मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाऊंगी

जहां तक पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा गढ़ी सांपला-किलोई हलके के बेटे हैं, तो वे भी हलके की बहू हैं। जनता के मुद्दों को लेकर कार्यकर्ताओं के बीच जाऊंगी। भाजपा नेतृत्व की तरफ से उनको केवल इतना कहा गया था कि वे धरातल पर लोगों के लिए मेहनत करें। अब पार्टी ने उनको चुनाव लड़ने की बड़ी जिम्मेदारी दी है।

गढ़ी सांपला का इतिहास

भूपेंद्र सिंह हुड्डा 2000 में पहली बार यहां से चुने गए थे। हुड्डा यहां से 5 बार चुनाव जीत चुके हैं। इसके अलावा उनके परिवार के दूसरे लोग भी इस सीट से विधायक बन चुके हैं। हुड्डा 2005 में किलोई से उपचुनाव जीतकर दूसरी बार विधायक बने थे। इससे पहले जब उनको विधायक दल का नेता चुना गया, तब वे सांसद थे। बाद में श्रीकृष्ण हुड्डा ने सीट खाली कर दी। जिसके बाद हुड्डा उपचुनाव जीते। इसके बाद 2009, 2014 और 2019 में लगातार जीत हासिल करते आ रहे हैं।गढ़ी सांपला वही ऐतिहासिक गांव है जहां किसान नेता सर छोटू राम का जन्म हुआ था। 2009 से पहले इस विधानसभा क्षेत्र का नाम किलोई था। लेकिन परिसीमन के बाद हसनगढ़ विधानसभा क्षेत्र को खत्म करके किलोई में मिला दिया गया। 

क्या मंजू भूपेंद्र हुड्डा को दे पाएंगी टक्कर?

गढ़ी सांपला किलोई विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मंत्री कृष्णमूर्ति हुड्डा भाजपा की टिकट के प्रबल दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने युवा महिला मंजू हुड्डा पर ही विश्वास जताया। पिछली बार भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले सतीश नांदल पहले ही अपनी दावेदारी छोड़ चुके थे। नांदल ने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था।

वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भारी मतों से जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार एक तरफ दिग्गज नेता, राजनीति के सूरमा और दूसरी तरफ राजनीति में एकदम नया युवा महिला का चेहरा ऐसे में मुकाबला चुनौतीपूर्ण और दिलचस्प रहेगा। देखना होगा मंजू किन मुद्दों के आधार पर हुड्डा के वोट बैंक में सेंध लगाने का काम करेगी।   

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