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बचपन में सीखी ''Ta-Ta Bye-Bye'' की अब प्रैक्टिस कर रहे नेता....

बचपन में सीखी ''Ta-Ta Bye-Bye'' की अब प्रैक्टिस कर रहे नेता....

कांग्रेस और भाजपा में जिन टिकट लेने की चाह रखने वालों के ''दिल अरमां आंसुओं में बह गए ...तक़रीबन वो सब पार्टियों से अलविदा कह गए

प्रतीकात्मक तस्वीर

हरियाणा की राजनीति में तेज होते बगावती सुर पार्टी हाईकमान के लिए सिर दर्द बनते जा रहे हैं। बात चाहे भाजपा के टिकट वितरण की हो या फिर कांग्रेस के टिकट वितरण की ... जिन टिकट लेने की चाह रखने वालों के ''दिल अरमां आंसुओं में बह गए ...तक़रीबन वो सब पार्टियों से अलविदा कह गए। अलबत्ता ''एक अनार सौ बीमार'' वाला मुहावरा भी वर्तमान परिपेक्ष्य में सटीक बैठ रहा है।

अब टिकट के दावेदारों को खुद सोचना चाहिए सीट एक, टिकट एक और दावेदार अनेक ! ऐसे में स्वाभाविक है किसी की टिकट कटना तो किसी को मिलना। जब अपने भाषणों में ''पार्टी एक परिवार'' का नारा देते हैं तो ऐसे स्थिति में परिवार का साथ देते हुए एकजुट, एकमत होकर मैदान में उतरना चाहिए या विरोध पर उतरना चाहिए ?

बस पद या टिकट चाहिए, नहीं मिली तो बगावत

हरियाणा की राजनीति में तो 'Ta-Ta Bye-Bye' की फुल प्रैक्टिस चल रही है। बचपन में बच्चे को 'Ta-Ta Bye-Bye' और नमस्ते यही सबसे पहले सिखाते हैं और नेता इसका अभ्यास अब कर रहे, एक पार्टी को Ta-Ta Bye-Bye तो दूसरी को नमस्ते.... खैर आज की राजनीति के मायने बदल गए, तभी साम-दाम-दंड-भेद की नीति से बस पद या टिकट चाहिए, नहीं मिली तो बगावत। 

कांग्रेस भी घमासान शुरू

अब आते है मुख्य मुद्दे पर कि हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर दी थी जिसके कारण पार्टी के कई नेता इस बात से नाराज थे कि टिकट क्यों काटा गया। अभी इस पार्टी की कलह थमी नहीं थी कि कांग्रेस में भी इस्तीफों का दौर शुरू गया है। आपको बता दें भाजपा की पहली लिस्ट जारी होते ही पार्टी डैमेज कंट्रोल में लग गई थी। भाजपा में पहली बार इतने बड़े स्तर पर विरोध हुआ है। एक तरफ बीजेपी में कलह जारी है तो दूसरी तरफ कांग्रेस भी घमासान शुरू हो गया है।

जीएल शर्मा के साथ 123 पदाधिकारियों ने भी अपने पदों से इस्तीफा दिया

जानकारी के अनुसार भाजपा में करनाल, कालका, सोनीपत, रतिया, रानिया, गुरुग्राम, समालखा, गोहाना, इंद्री, सोनीपत, हिसार, बरवाला, बाढ़ड़ा, उकलाना, बवानीखेड़ा, महम, सफीदो, सोहाना, मुलाना, रेवाड़ी, कोसली, इसराना सहित 26 ऐसी सीटें हैं जहां पर भाजपा को बगावत देखने को मिली है।

बहुत से नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है और कुछ देने की तैयारी में हैं और आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष जीएल शर्मा ने पार्टी को कहा अलविदा, उनके साथ 123 पदाधिकारियों ने भी अपने पदों से इस्तीफा दे दिया और सभी जीएल शर्मा के साथ नई दिल्ली में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के निवास पर कांग्रेस ज्वाइन करेंगे। 

लिस्ट जारी होने के बाद हुआ विवाद

शुक्रवार रात कांग्रेस ने जब अपने पहली लिस्ट जारी की तो विवाद तब शुरू हुआ। हालांकि इस लिस्ट में कांग्रेस ने 32 प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है। जिनमें से 28 मौजूदा विधायक हैं और चार नए चेहरे हैं। बता दें कांग्रेस ने बरौदा विधानसभा हलके से इंदुराज नरवाल को उम्मीदवार घोषित किया है। इस विरोध करते हुए शनिवार को कांग्रेस टिकट के दावेदार रहे कांग्रेस नेता डॉ. कपूर सिंह नरवाल ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। अब नेता बगावत पर उतर आए हैं। वहीं रविवार को कार्यकर्ताओं की मीटिंग बुलाई है। टिकट न मिलने पर कपूर नरवाल ने कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उनके साथ गद्दारी की है।

राजेश जून भी बगावती मूड में

बहादुरगढ़ विधानसभा में तीन बार के विधायक राजेंद्र जून की टिकट को लेकर कांग्रेस के पार्टी डेलिगेट उनके भतीजे ने मोर्चा खोल दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने कांग्रेस विधायक के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने का भी फैसला ले लिया है। दरअसल, राजेश जून ने 11 सितंबर को नामांकन दाखिल करने का ऐलान भी किया है। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने तो दिल्ली रोहतक रोड पर अपने कार्यालय के बाहर नामांकन दाखिल करने की तारीख का फ्लेक्स भी लगा दिया है। वहीं बरोदा से पूर्व विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा के बेटे जीतू ने भी कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

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