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हार के कारणों पर कांग्रेस का मंथन, दावा : हेराफेरी, धन-बल और सरकारी तंत्र की मदद से जीती भाजपा

हार के कारणों पर कांग्रेस का मंथन, दावा : हेराफेरी, धन-बल और सरकारी तंत्र की मदद से जीती भाजपा

हरियाणा कांग्रेस लगातार मंथन और चिंतन कर हार के कारणों को जानने की कोशिश कर रही

प्रतीकात्मक तस्वीर

विधानसभा चुनाव में हार के बाद हरियाणा कांग्रेस लगातार मंथन और चिंतन कर हार के कारणों को जानने की कोशिश कर रही है। इसी कड़ी में दिल्ली में चुनाव में हारने वाले नेताओं को मामले को लेकर बनाई गई कमेटी के सामने अपनी बात रखने के लिए बुलाया गया था। कमेटी के सामने हारे पार्टी कैंडिडेट ने अपनी बात रखी।

बता दें कि कमेटी का गठन पार्टी स्टेट प्रेसिडेंट उदयभान जो कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी हैं, द्वारा किया गया है और हुड्डा के समधी करण सिंह दलाल को कमेटी का चेयरमैन बनाया गया है। वहीं कमेटी के गठन को लेकर विरोधी गुट के नेताओं ने ये कहते हुए आपत्ति जताई है कि जो खुद चुनाव हार गए हैं वो हार के कारणों की तह में कहां जाएंगे, महज खानापूर्ति की जा रही है। कांग्रेस नेता लगातार दावा कर हैं कि भाजपा हेराफेरी, धन-बल के इस्तेमाल और सरकारी तंत्र की मदद के कारण चुनाव जीती है। 

सभी कैंडिडेट्स ने गड़बड़ी की बात कही

विधानसभा चुनाव में हार के कारणों को लेकर कमेटी के अध्यक्ष करण सिंह दलाल ने कहा कि बैठक में सभी हारे हुए कैंडिडेट की राय जानी गई है। ये भी जाना गया है कि ईवीएम और सरकारी तंत्र के दुरुपयोग पर क्या कुछ उनकी राय है और सभी कैंडिडेट्स ने गड़बड़ी की बात कही है। अब ये रिपोर्ट आला कमान को दी जाएगी और उसके बाद फिर कोर्ट जाया जाएगा। बाकी किसी मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई है।

भाजपा ने हरियाणा विधानसभा चुनाव को हैक किया  

उल्लेखनीय है कि हार के कारण जानने के लिए दिल्ली में कांग्रेस की 8 सदस्यीय कमेटी की बैठक नॉर्थ एवेन्यू के एक फ्लैट में हुई और इसकी अध्यक्षता कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और हरियाणा कांग्रेस के सह प्रभारी जितेंद्र बघेल ने की। बता दें कि कमेटी के चेयरमैन करण सिंह दलाल और पूर्व मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह के अलावा कई दिग्गज भी विधानसभा चुनाव में हारे हैं। बैठक से पहले मीटिंग में जाने से पहले बीरेंद्र सिंह ने बातचीत के दौरान कहा कि भाजपा ने हरियाणा विधानसभा चुनाव को हैक किया और बेईमानी की।

गुटबाजी के कारण संगठन कमजोर हुआ  

हार को लेकर मंथन और चिंतन को लेकर कमेटी की बैठक में सैलजा गुट और प्रत्याशी रहे शमशेर सिंह गोगी और रामनिवास राड़ा समेत कई नेता बैठक में नहीं पहुंचे। बता दें कि गोगी शुरू से ही  हुड्डा गुट द्वारा हाल ही में बनाई गई 8 सदस्यीय कमेटी के गठन को लेकर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि जो खुद ही हारे हुए हैं वे दूसरों की रिपोर्ट लेंगे, हाईकमान को इन्हीं से रिपोर्ट लेनी चाहिए, ये क्यों हारे? बता दें कि चुनाव में रणदीप सुरजेवाला और कुमारी सैलजा कहीं फ्रंट पर नहीं दिखे। इसे कांग्रेस हाईकमान ने हरियाणा में हार का एक बड़ा कारण भी माना है। इस गुटबाजी के कारण संगठन कमजोर हुआ।

विधानसभा के सत्र से पहले नेता प्रतिपक्ष का नाम डिसाइड हो जाएगा  

वहीं उदयभान ने कहा कि हरियाणा कांग्रेस का संगठन बनाने के लिए 7 अगस्त 2023 को बाबरिया के साथ मीटिंग हुई थी। उन्होंने कहा था कि 10 सितंबर तक संगठन बन जाएगा, लेकिन संगठन नहीं बन पाया। संगठन बनाने के लिए दीपक बावरिया की राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इनकी ड्यूटी लगायी थी। आगे उन्होंने कहा कि आने वाले विधानसभा सत्र में मज़बूती से विपक्ष दिखाई देगा। तमाम मुद्दे जो है कांग्रेस की ओर से उठाए जाएंगे और विधानसभा के सत्र से पहले नेता प्रतिपक्ष का नाम डिसाइड हो जाएगा।

चुनाव आयोग द्वारा उनकी याचिका खारिज किए जाने के मामले पर कहा कि हम तमाम डिस्कशन करके कोर्ट जाएंगे। हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तवज्जो कम हुई है। कुमारी सैलजा के समर्थक भी लगातार हुड्डा ग्रुप पर हार का ठीकरा फोड़ रहे हैं तो वहीं इसकी प्रतिक्रिया में हुड्डा के समर्थक कुमारी सैलजा को हार का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वही शमशेर सिंह गोगी दीपक बाबरिया को भाजपा का एजेंट बता चुके हैं।

कई पार्टी दिग्गजों को जिम्मेदारी दी गई, लेकिन हालात नहीं बदले

साल 2014 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में संपन्न हुए चुनावों के बाद कई पार्टी दिग्गजों को हरियाणा कांग्रेस में अध्यक्ष व इंचार्ज की जिम्मेदारी दी गई लेकिन हालात नहीं बदले।  प्रभारी के सामने बैठकों में ही कई मर्तबा खुलकर जुबानी जंग चली और समर्थक भी आमने सामने रहे। इतना सब होने के बाद पार्टी हाईकमान हमेशा मूक दर्शक की भूमिका में ही नजर आई।

 वहीं ये भी बता दें कि 2014 के बाद प्रदेश अध्यक्षों के लिए भी चीजें आसान नहीं रहे। उस वक्त अशोक तंवर को हुड्डा खेमे के चलते इस्तीफा देना पड़ा। उन्होंने 2019 में पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कुमारी सैलजा रही। उनको भी हुड्डा खेमे के विरोध के चलते 27 अप्रैल 2022 में कार्यकाल पूरा किए बिना ही पद छोड़ दिया। कुछ समय के लिए पद खाली रहा और फिर इस पर हुड्डा के खासमखास उदयभान पदासीन हुए।

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