हरियाणा में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और सभी पार्टियां अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। सत्ताधारी पार्टी में टिकट बंटवारे के बाद बगावत का दौर भी शरू हो गया है और रुकने का नाम नहीं ले रहा है। आज गन्नौर से बीजेपी पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी कहे जाने वाले देवेंद्र कादयान ने फेसबुक पर लाइव आकर पार्टी को छोड़ने का ऐलान कर दिया। अब देवेंद्र कादयान आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे।
सही समय पर सही फैसला
हालांकि देवेंद्र के भाजपा से इस्तीफा देने से पहले तक गन्नौर से भाजपा की टिकट का ऐलान नहीं हुआ था, लेकिन दोपहर 2:30 बजे के बाद जैसे ही सोनीपत से पूर्व सांसद रमेश कौशिक के भाई देवेंद्र कौशिक को भाजपा पार्टी गन्नौर से उम्मीदवार बनाया गया, तो गनौर की जनता ने देवेंद्र के फैसले को सही बताया।
फेसबुक पर लाइव आकर किया आज़ाद चुनाव लड़ने का ऐलान
उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी कहे जाने वाले भाजपा के नेता देवेंद्र कादियान ने मंगलवार सुबह फेसबुक पर लाइव आकर पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया। इस मौके पर उन्होंने जहां प्रदेश अध्यक्ष पर भी जमकर भड़ास निकाली और कहा कि जिस व्यक्ति ने लोकसभा चुनाव में सड़क पर खड़े होकर खिलाफत और पैसे लगाकर वोट दूसरी पार्टी को डलवाने का काम किया।
लोकसभा चुनाव करवाया उसे किस हक पर टिकट दी गई, किसी भी भाजपा कार्यकर्ता को टिकट दी जाती तो वह विरोध नहीं करते, लेकिन चरित्रहीन आदमी को टिकट देकर गलत किया गया है। देवेंद्र कादियान ने आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। 12 तारीख को देवेंद्र आजाद उम्मीदवार के तौर पर नामांकन करेंगे।
आज की तारीख नहीं भूलेगी गनौर की जनता
आज की तारीख शायद लंबे समय तक ग़नौर की जनता याद रखेगी। गनौर की जनता और समर्थकों में इतना आक्रोश है कि भाजपा का एक युवा चेहरा, जो पिछले कितने दिनों से गनौर की धरनी को उपजाऊ बनाने और उस पर कमल खिलाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा था, वो भी ऐसी परिस्थितियों में जब प्रदेश में भाजपा की स्थिति कोई खास मजबूत नजर नहीं आ रही पर भी जनता ने देवेंद्र को पसंद किया और पार्टी क्या किया ? मेहनती, युवाओं की आवाज़ बनने वाले युवा को ही नजरअंदाज कर दिया। जनता ने भी मन मना लिया है, टिकट न सही, पर आज़ाद उम्मीदवार के रूप में तो जनता देवेंद्र को चुन ही लेगी।
विपरीत परिस्थिति में भी दिया साथ
2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा हरियाणा कोई मज़बूत स्थिति में नहीं रही। जहां 2019 चुनावों में भाजपा हरियाणा लोक सभा की दस में से दस सीट पर जीत दर्ज कराके भारत में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनाई। उस से कुछ ही महीने बाद हरियाणा में विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन कर जेजेपी के साथ हरियाणा विधानसभा में भाजपा ने गठबंधन सरकार बनाई, परंतु आज की स्थिति तब से बहुत अलग है।
लोकसभा चुनाव में भाजपा की हरियाणा में सीट आधी हो गई हैं। सोनीपत लोक सभा में तो भाजपा ने अपना कैंडिडेट बदल कर मोहन बड़ौली को टिकट दी पर फिर भी कांग्रेसी सतपाल ब्रह्मचारी ने यहां जीत दर्ज करायी। उसी दौरान बात भी उठी थी कि भाजपा सोनीपत का कोई नेता मोहन बड़ौली का साथ नहीं दे रहा है तो वो है देवेंद्र कादियान। उस वक्त सिर्फ़ एक ही नाम था जिसने भाजपा पर विश्वास बनाके पूरे चुनाव में काम किया था और वो थे देवेंद्र कादियान।
मिला क्या, भाजपा में आके?
2019 में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए देवेंद्र की पहचान एक युवा नेता, सामजसेवी और मन्नत ग्रुप के चेयरमैन के तौर हैं। पर ग़नौर की नज़र में देवेंद्र एक ऐसे उदाहरण हैं कि अगर आप सच्चे मन से मेहनत करो तो कायनात भी साथ देती है। गत दस वर्षों से देवेंद्र ने ग़नौर की बेझिझक सेवा की है। अपने पैसे और पसीने से यहां की धरती को सींचा है।
गनौर में इनकी ख्याति इतनी है कि चुनावों से दो साल पहले से ही हर सुबह 7 बजे से इनके घर में लोगों का तांता लगा रहता था, ये इनका मिलनसार व्यवहार और जनता के प्रति सेवाभाव ही है आज ये यहां के लोकप्रिय शख्सियत के रूप में उभरे हैं, लेकिन उनका खुद से यही सवाल है कि मिला क्या, भाजपा में आके? जब देवेंद्र ने भाजपा का दामन थामा तब वो वैसे ही एक सुदृढ़ उभरते हुए नेता थे।
पार्टी ने मान नहीं रखा
उन्होंने भाजपा का काम किया और पार्टी के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने में मेहनत की। इसी काम के बदले उन्हें आश्वासन दिया गया था कि पार्टी उन्हें आने वाले चुनाव में टिकट देगी और जितवायेगी। देवेंद्र एक किसान के पुत्र हैं, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से लोगों के मन में जगह बनाई। पार्टी के लिए काम भी किया, पर जैसे उन्होंने कहा-पार्टी ने मान नहीं रखा। टिकट ‘बेचकर’ पार्टी ने सही नहीं किया।
उनका इशारा था निर्मल चौधरी, रमेश कौशिक और देवेंद्र कौशिक की तरफ़, जिनके नाम से हलके में फैला है कि सौ करोड़ में टिकट ले आयेंगे। आज नतीजा लगभग सामने है। देवेंद्र जिसने अपने काम के ज़रिए लोगों के दिल में जगह बनाई, प्रबल दावेदारी साबित की, बावजूद इसके भाजपा ने उन्हें टिकट से मना कर दिया। अब भी मौका है गन्नौर के पास। क्या इस अन्याय को गन्नौर हल्के के लोग समझ पाएंगे? क्या वोटर की यही कीमत है भाजपा में? क्या यही स्थिति है भाजपा की हरियाणा में? इन सभी बातों पर मंथन करना जरूरी है।
जाटलैंड का एक बड़ा चेहरा देवेंद्र
बता दें कि भाजपा में शामिल होने पूर्व देवेंद्र अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं राजस्थान के प्रभारी तथा राहुल गांधी की कोर टीम के सदस्य थे, जो 2019 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। होटल व्यवसायी देवेंद्र सोनीपत के गन्नौर विधानसभा क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं। जाटलैंड का एक बड़ा चेहरा है।
वह 16 सालों से कांग्रेस से जुड़े रहे। इस दौरान उन्होंने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में उन्होंने कांग्रेस को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई थी। इतना ही नहीं उत्तराखंड के केदारनाथ में आई प्राकृतिक आपदा में भी देवेंद्र कादियान ने वहां रहकर पीड़ितों की आर्थिक मदद की थी। कांग्रेस पार्टी ने उनको उनको राजस्थान, गुजरात में युवा कांग्रेस का प्रभारी बनाया। उनके नेतृत्व में कई युवा चुनाव जीतकर विधायक भी बने थे। अब देवेंद्र आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर मैदान में अपनी दावेदारी पेश कर चुके है।
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