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सफीदों में अबकी बार कौन मारेगा बाज़ी? जानिए किसका पलड़ा है भारी

सफीदों में अबकी बार कौन मारेगा बाज़ी? जानिए किसका पलड़ा है भारी

अब तक के रुझानों में सफीदों विधानसभा सीट पर जसबीर देसवाल की मजबूर पकड़, कांग्रेस और भाजपा को देंगे टक्कर

प्रतीकात्मक तस्वीर

राजनीतिक रूप से सफीदों में बहुत उथल-पुथल होती है। अब तक 13 विधानसभा चुनाव में यहां से तीन बार निर्दलीय प्रत्याशी विधायक बने हैं। यहां से पांच बार कांग्रेस के विधायक बने हैं। वर्तमान में भी सुभाष गांगोली कांग्रेस के विधायक हैं। इस बार सफीदों की सियासी लड़ाई काफी कुछ मोड़ लेगी। यहां से भाजपा ने रामकुमार गौतम को, तो कांग्रेस ने सुभाष गांगोली को मैदान में उतारा है। वहीं बच्चन सिंह आर्य और जसबीर देशवाल ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। अभी यहां से जजपा का टिकट फाइनल नहीं हुआ है। ऐसे में सफीदों में इस बार कड़ा मुकाबला होने के आसार हैं। 

मुकाबला निर्दलीय तथा कांग्रेस के बीच

सफीदों विधानसभा गैर जाट बहुल सीट है, लेकिन जाटों की संख्या भी कम नहीं है। इस विधानसभा सीट से सभी जातियों के विधायक बनते रहे हैं। सफीदों का नाम हैचरी के व्यवसाय में पूरे एशिया में जाना जाता है। यहां पर एक लाख 94 हजार 500 मतदाता हैं। इनमें 1,04,000 के आसपास पुरुष और 95000 के आसपास महिला मतदाता हैं। यहां गैर जाट मतदाताओं की संख्या 65 प्रतिशत है। यहां मुकाबला निर्दलीय तथा कांग्रेस के बीच होने की संभावना है, क्योंकि भाजपा के रामकुमार गौतम के लिए अभी से बाहरी का नारा लग चुका है।

बाहरी व्यक्ति को नहीं अपनाया सफीदों ने

सफीदों की जनता कभी भी बाहरी व्यक्ति पर भरोसा नहीं करती है। रामकुमार गौतम ने 1991 में भी जनकल्याण मोर्चा की तरफ से सफीदों विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ा था। उस समय भी बाहरी का नारा लगा और उनको केवल 1570 वोट मिले थे। 2005 में कांग्रेस की लहर के बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी कर्मवीर सैनी चुनाव हार गए थे। उनको 26077 वोट मिले थे। उनके खिलाफ भी बाहरी का नारा लगा था। कांग्रेस के बजाय 2005 में निर्दलीय बच्चन सिंह आर्य जीते थे। 

मजबूत स्थिति में आ रहे हैं जसबीर देशवाल

जसबीर देशवाल 2014 में सफीदों विधानसभा से निर्दलीय विधायक चुने गए थे। इसके बाद उन्होंने भाजपा सरकार को अपना समर्थन दिया था। 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में जसबीर देशवाल को भाजपा ने टिकट नहीं दिया और उन्होंने चुनाव भी नहीं लड़ा। देशवाल ने साफ कर दिया था कि वह हर हाल में चुनाव लड़ेंगे, चाहे उनको किसी भी पार्टी का टिकट मिले या नहीं।

अब वह निर्दलीय भी चुनाव लड़ेंगे। वहीं निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जसबीर देशवाल मजबूत स्थिति में आ रहे हैं, चूंकि उनको सफीदों हलके के कई गांवों का समर्थन प्राप्त है और आज से पिछले साल से ही निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बनाकर जन -संपर्क अभियान के तहत लोगों के बीच पहुंच उनकी समस्याएं सुन रहे हैं। 

दोबारा मौका मिलेगा तो दोगुना विकास किया जाएगा : देशवाल

पूर्व विधायक जसबीर देशवाल ने कहा कि चुनाव कोई राजनीतिक दल नहीं, बल्कि कार्यकर्ताओं के दम पर जीता जाता है। वह अपने कार्यकर्ताओं के दम पर चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे भी। उन्होंने कहा उनकी सबसे बड़ी ताकत उनके कार्यकर्ता हैं।

चुनाव के लिए सभी कार्यकर्ता तैयार हैं और वह अपने कार्यकर्ताओं की बात को टाल नहीं सकते। उन्होंने कहा कि राजनीति उनका व्यापार या पेशा नहीं है, उन्हें इस मिट्टी ने बहुत कुछ दिया है, अब वह इसका कर्ज उतारना चाहते हैं। एक बार जनता ने मौका दिया तो विकास करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दोबारा मौका मिलेगा तो दोगुना विकास किया जाएगा। 

अब तक सफीदों से बने विधायक

  • 1967 श्रीकृष्ण
  • 1968 सत्यनारायण
  • 1972 धज्जा राम
  • 1977 रामकिशन
  • 1982 कुंदनलाल
  • 1987 सरदूल सिंह
  • 1991 बच्चन सिंह आर्य
  • 1996 रामफल कुंडू
  • 2000 रामफल कुंडू
  • 2005 बच्चन सिंह आर्य
  • 2009 कलीराम पटवारी
  • 2014 जसबीर देशवाल
  • 2019 सुभाष गांगोली
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