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कुमारी सैलजा की नाराज़गी पर सस्पेंस बरक़रार

कुमारी सैलजा की नाराज़गी पर सस्पेंस बरक़रार

चुनावी प्रचार में कुमारी सैलजा की ग़ैरमौजूदगी खड़े कर रही कई सवाल और इस मुद्दे पर भाजपा को अपनी राजनितिक रोटियां सेंकने का मिल रहा मौका

प्रतीकात्मक तस्वीर

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तिथि नजदीक आती जा रही है और प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार भी रफ्तार पकड़ता जा रहा है, ऐसे में कांग्रेस के लिए कुमारी सैलजा और हुड्डा के बीच का अंतर्कलह दिन प्रतिदिन चुनौती बनता जा रहा है। चूंकि चुनावी प्रचार में कुमारी सैलजा की ग़ैरमौजूदगी कई सवाल खड़े कर रही हैं और इस मुद्दे पर भाजपा को अपनी राजनितिक रोटियां सेंकने का मौका मिल रहा है। खुद के घर भले कांच के हो लेकिन दूसरों एक घरों में पत्थर फेंकना विरोधियों की फितरत है।

सैलजा की नाराज़गी का फायदा उठाने की कोशिश कर रही भाजपा

इसीलिए भाजपा कुमारी सैलजा की नाराज़गी का हर तरीके से फायदा उठाने की पुरज़ोर कोशिश कर रही है, जिसमें सबसे पहले दलित के अपमान का मुद्दा उठाकर दलित वोटरों को अपनी तरफ करने की कोशिश, दूसरा कुमारी सैलजा जो हरियाणा की राजनीती में एक बहुत बड़ा महिला चेहरा है, उन्हें अपने पाले में करने की कोशिश और तीसरा सैलजा की नाराजगी के बहाने कांग्रेस को कमजोर दिखाने की कोशिश। अब भाजपा इन कोशिशों में कितना सफल होती है फ़िलहाल कुछ कह नहीं सकते, पर इस मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही भाजपा। 

कांग्रेस कह रही "भाजपा अपना घर संभाले''

वहीं कांग्रेस भी भाजपा को घेरने में लगी है और यह कह रही है की भाजपा अपना घर संभाले। उल्लेखनीय है कि भाजपा हरियाणा में कांग्रेस पर आक्रामक तौर से हमलावर है। बीते दिन हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हो या मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी दोनों सैलजालजा को भाजपा में शामिल होने का ऑफर दे चुके है।

हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुमारी सैलजा और हुड्डा के बीच की लड़ाई अब भाजपा को बार- बार कांग्रेस को घेरने और दलित विरोधी जैसे आरोप का मौका दे रही है। भाजपा नेता लगातार सैलजा को भाजपा में शामिल होने जैसे ऑफर देते नजर आ रहे हैं। हालांकि अभी तक कुमारी सैलजा ने चुप्पी नहीं तोड़ी है। 

कांग्रेस से सैलजा परिवार का गहरा नाता  

कुमारी सैलजा का खानदान कांग्रेस में शुरुआत से रहा है, सैलजा के पिता शुरुआत से कांग्रेस में रहे थे और राजीव गांधी के समय से वह कांग्रेस पार्टी में रहते अपनी राजनीति करते रहे थे और उनके जाने के बाद सैलजा से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की और वह लगातार हरियाणा की सियासत से लेकर दिल्ली तक की राजनीति करती चली आ रही है. पाँच बार कैबिनेट मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, महासचिव और सांसद जैसे बड़े पदों पर रह चुकी है और वर्तमान में वह दिल्ली से लेकर हरियाणा की राजनीति में बड़े चेहरों में गिनी जाती है। 

सैलजा कभी भी कांग्रेस पार्टी नहीं छोड़ेंगी

सैलजा के करीबी सूत्रों का कहना है कि सैलजा कभी भी कांग्रेस पार्टी नहीं छोड़ेंगी। सैलजा को जानने वाले जानते हैं कि, उसके खून में कांग्रेस है। भाजपा और खट्टर उनके बारे में अफवाह फैला कर केवल दलित वोट बैंक को साधने और कांग्रेस की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे है। सैलजा ने अपनी नाख़ुशी कांग्रेस आलाकमान को शुरुआत से बताई हुई है। पार्टी आलाकमान को शुरुआत से सैलजा और हुड्डा की बीच अंतर्कलह इस लड़ाई के बारे में पता है। कई बार यह लड़ाई कांग्रेस अध्यक्ष खरगे और राहुल गांधी तक पहुची है लेकिन उस वक्त आश्वासन के साथ चुप करवा दिया गया हैं। 

सैलजा की नाराज़गी के बड़े कारण यह 

  • दरअसल, टिकट बंटवारे में उन्हें कम संख्या में सीट मिलना और हुड्डा के लोगों को दी गई तरजीह
  • नारनौंद सीट उनके सबसे करीबी नेता कैप्टन अजय चौधरी को नहीं मिली
  • उकलाना सीट यहां से वो खुद लड़ना चाहती थीं, लेकिन उनके समर्थक को भी नहीं मिली ना उनको लड़ने दिया गया
  • सैलजा के खिलाफ हुड्डा समर्थकों द्वारा अपशब्दों का प्रयोग

 

फिलहाल बनी हुई है वेट एंड वॉच की परिस्थिति

वहीं सैलजा समर्थकों का आरोप है कि, जहां हुड्डा समर्थकों को टिकट नहीं मिला है वहां हुड्डा समर्थक निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं और यह एक सोची समझी रणनीति है। 12 सितंबर को लिस्ट आने के बाद से सैलजा ने खुद को चुनाव प्रचार से दूर रखा है, हालांकि, वह दिल्ली में लंबे अरसे से रह कर अपने समर्थकों के साथ लगातार बैठकें जरूर कर रही हैं।

इस विवाद को देखे तो अभी तक यह मामला सुलझा नहीं है इसलिए सैलजा का कल भी हरियाणा में प्रचार का अभी रात तक कोई कार्यक्रम नहीं बना है। कांग्रेस जानकारों का यह भी कहना है कि इस बार सैलजा आसानी से नहीं मानेंगी, जिस तरह उन्होंने लगातार प्रचार और  चुनाव से ख़ुद को दूर रखा हुआ है वह आसानी से बिना आलाकमान के आश्वासन के नहीं मानेगी। फिलहाल वेट एंड वॉच की परिस्थिति बनी हुई है। 

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