महेंद्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र का चुनावी रण अबकी बार जातिगत समीकरणों में उलझता नजर आ रहा है। ऐसे में अभी तक यहां से किसी भी दल के प्रत्याशी की राह आसान नहीं कही जा सकती। महेंद्रगढ़ में कांग्रेस से राव दान सिंह, भाजपा से कंवर सिंह यादव, आप से मनीष शर्मा के अलावा निर्दलीय बलवान फौजी व भूप सिंह यादव अहीर समाज से प्रमुख उम्मीदवारों के रूप में मैदान में है तथा जोर शोर से साम, दाम, दंड, भेद की नीति पर चलते हुए चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने का भरसक प्रयास कर रहे है।
सुरेंद्र कौशिक मुकाबले को दिलचस्प व रोचक बना रहे
वहीं इनेलो-बसपा गठबंधन से ब्राह्मण समाज से सुरेंद्र कौशिक, राजपा से राकेश तंवर तथा निर्दलीय संदीप सिंह एसडीएम अपने समाज के एकमात्र उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस व भाजपा के लिए मुकाबले को चुनौतीपूर्ण बना रहे है। अहीर समाज से पांच प्रमुख उम्मीदवार होने के कारण उनका वोट बैंक बंटता नजर आ रहा है जबकि ब्राह्मण समाज भाजपा से रामबिलास शर्मा की टिकट कटने के बाद इनेलो-बसपा के उम्मीदवार सुरेंद्र कौशिक के पक्ष में एकजुट होने लगा है। वहीं एससी वोट बैंक बसपा से गठबंधन के चलते सुरेंद्र कौशिक के पक्ष में जाने की संभावना बन रही है जिससे सुरेंद्र कौशिक मुकाबले को दिलचस्प व रोचक बना रहे है।
निर्दलीय संदीप सिंह कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहे
सबसे बड़ी बात कौशिक के पक्ष में यह जा रही है कि ब्राह्मण व एससी के अलावा अहीर, वैश्य व राजपूत समाज सहित अन्य समाज में भी उनकी अच्छी पकड़ है जिसका लाभ उन्हें मिल सकता है। निर्दलीय संदीप सिंह कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहे है, क्योंकि जाट समाज का समर्थन तो उन्हें मिल रहा है, परंतु कांग्रेस की जाट वोट बैंक पर पकड़ के चलते अंत समय तक यह वोट उनसे छिटकने की संभावना पूरी है। हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी राव दान सिंह चुनाव में अन्य दलों के कार्यकर्ताओं को अपने पाले में तो ला रहे है परंतु उन कार्यकर्ताओं का धरातल पर जनाधार न होने व वोटर से उनकी नाराजगी के कारण दान सिंह को इसका लाभ मिलने की बजाय नुकसान ज्यादा प्रतीत हो रहा है।
भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों द्वारा ही अनदेखी के चलते बनी नाराजगी
भाजपा प्रत्याशी चुनावी मैदान में नए चेहरे के रूप में है तथा ऐसे में अहीर वोट बैंक जिस पर कांग्रेस के राव दान सिंह की पकड़ होती थी वह उस वोट बैंक को अपने पाले में लाने के लिए जुटे है। देखा जाए तो महेंद्रगढ़ विधानसभा में करीब 70 से 72 हजार अहीर, 36 हजार राजपूत, 22 हजार ब्राह्मण, सैनी समाज के करीब 10 हजार, एससी वर्ग के करीब 40 हजार, जाट समाज के 6 से 8 हजार मतदाता है।
इसके अलावा वैश्य समाज के करीब पांच हजार वोटरों सहित करीब 20 हजार अन्य समुदायों के वोट है। इस स्थिति में पांच अहीर उम्मीदवारों के चलते अहीर वोट बंटने, राजपूत समाज की टिकट वितरण में भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों द्वारा ही अनदेखी के चलते बनी नाराजगी, ब्राह्मण व एससी वोट बैंक का रुझान इनेलो बसपा गठबंधन की ओर होने के चलते इनेलो-बसपा प्रत्याशी सुरेंद्र कौशिक मुकाबले को त्रिकोणीय बना चुके है।
अंतिम समय में समीकरण बनने व बिगड़ने से किसकी लॉटरी लगेगी
यह कहना मुश्किल वहीं गौभक्त व समाजसेवी होने से शहरी क्षेत्र के वोटर पर भी उनकी निजी पकड़ दिखाई दे रही है। राजपूत समाज को इनेलो में हमेशा से ही उचित मान सम्मान दिया जाता रहा है ऐसे में इनेलो- बसपा गठबंधन के साथ जाट व राजपूत वोटर का भी जुड़ाव होने से चुनावी रण में सुरेंद्र कौशिक के पक्ष में समीकरण तेजी से बनते नजर आ रहे है इसमें कोई दो राय नहीं है। चुनाव में अभी सप्ताह भर से अधिक समय शेष है ऐसे में अभी चुनाव का रुख व अंतिम समय में समीकरण बनने व बिगड़ने से किसकी लॉटरी लगेगी यह कहना मुश्किल ही है।
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