पूर्व राज्यपाल सत्यपाल सिंह मलिक (जम्मू-कश्मीर, बिहार, गोवा, मेघालय) का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे और लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। एक बजकर 12 मिनट पर उन्होंने दिल्ली में राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अंतिम सांस ली। मलिक 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे और 5 अगस्त 2019 को ही उनके कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाया गया था। 5 अगस्त को ही वह दुनिया को अलविदा कह गए। जेएंडके का गवर्नर रहते सत्यपाल पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे थे। हालांकि उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था।
सीबीआई पूछेगी तो वह ऑफर देने वालों के नाम भी बता देंगे
दरअसल, सत्यपाल मलिक के जेएंडके का राज्यपाल रहते ऐसी रिपोर्टें सामने आई थीं कि उन्हें करोड़ो की रिश्वत की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने रिश्वत को ठुकरा दिया था। मलिक ने कहा था, पांच कुर्ता पायजामे के साथ आया हूं और उसी के साथ यहां से वापस चला जाऊंगा। मलिक ने यह भी कहा था कि सीबीआई पूछेगी तो वह ऑफर देने वालों के नाम भी बता देंगे। रिपोर्ट्स के अनुसार यह बात उन्होंने 17 अक्टूबर 2021 को राजस्थान के झुंझुनूं में एक कार्यक्रम में कही थी। मलिक ने कहा था कि उनके पास दो फाइलें आई थीं और उन फाइलों के लिए उन्हें 150-150 करोड़ रुपए देने की पेशकश की गई थी।
सिविल वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट में गड़बड़ी का आरोप
सत्यपाल मलिक के सचिवों ने उन्हें बताया था कि इन फाइलों में घोटाला है। इसके बाद मलिक ने डील कैंसिल कर दी थी। पूर्व गवर्नर ने कार्यक्रम में बताया कि डील रद्द करते उन्होंने कहा था, मैं पांच कुर्ता पायजामे के साथ आया हूं और उसी के साथ यहां से चला जाऊंगा। जब सीबीआई पूछेगी तो मैं रिश्वत की पेशकश करने के नाम भी बता दूंगा। सीबीआई ने 22 मई को सत्यपाल मलिक समेत 5 लोगों के खिलाफ जम्मू-कश्मीर के किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें करीब 2,200 करोड़ रुपए के सिविल वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट में गड़बड़ी का आरोप है।
सबसे बड़ी पहचान उनकी भाषण शैली
सत्यपाल मलिक की सबसे बड़ी पहचान उनकी भाषण शैली है। मेरठ कॉलेज से उनके भाषण देने की कला के चलते ही युवाओं ने उन्हों हाथों हाथ लिया। चौ. चरण सिंह भी उनकी भाषण कला के कायल थे। भाजपा में रहते हुए उन्हें किसान प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी दी गई। जब हरियाणा में ओमप्रकाश चौटाला को मुख्यमंत्री बनाए जाने का विरोध किया। उनकी बात नहीं सुनी गई तो केंद्रीय मंत्री परिषद से इस्तीफा दे दिया था।
एक किसान परिवार में जन्मे थे सत्यपाल मलिक
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले की खेकड़ा तहसील के हिसावदा गांव के किसान बुध सिंह के घर 24 जुलाई 1946 को सत्य पाल मलिक का जन्म हुआ। मलिक के बचपन में ही पिता का निधन हो गया था। इसके बाद उनका पालन पोषण उनकी माता जगनी देवी ने किया था। उनके जीवन पर मां की छाप रही। सत्यपाल मलिक की पत्नी इकबाल मलिक पर्यावरणविद् हैं। उनका बेटा देव कबीर ग्राफिक डिजाइनर और पुत्रवधू निविदा चंद्रा हैं। 1980 से ही मलिक का परिवार दिल्ली में रहता है।
मेरा ईमान कभी डिगा नहीं
बता दें कि अपने निधन से करीब दो महीने पहले 7 जून को भी उन्होंने एक ट्वीट किया था, जिसमें जम्मू-कश्मीर के उस मामले जिक्र भी किया था, जिसे लेकर चार्जशीट दाखिल की गई थी। एक्स अकाउंट पर लिखा था, 'मैं करीब एक माह से अस्पताल में भर्ती हूं और किडनी की समस्या से जूझ रहा हूं। मैं रहूँ या ना रहूं इसलिए देशवासियों को सच्चाई बताना चाहता हूं।'
'जब गवर्नर के पद पर था तो उस समय मुझे 150-150 करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश हुई, लेकिन मैं अपने राजनीतिक गुरु किसान मसीहा स्वर्गीय चौधरी चरणसिंह जी की तरह ईमानदारी से काम करता रहा और मेरा ईमान कभी डिगा नहीं। जब में गवर्नर था उस समय किसान आंदोलन भी चल रहा था। मैंने बगैर राजनीतिक लोभ लालच के पद पर रहते हुए किसानों की मांग को उठाया और फिर महिला पहलवानों के आंदोलन में जंतर-मंतर से लेकर इंडिया गेट तक हर लड़ाई में उनके साथ रहा।'
जिस मामले में मुझे फंसाना चाहते हैं उस टेंडर को मैंने खुद निरस्त किया था
आगे उन्होंने लिखा कि 'पुलवामा हमले में शहीद वीर जवानों के मामले को उठाया, जिसकी आज तक इस सरकार द्वारा कोई जांच नहीं करवाई है। सरकार मुझे सीबीआई का डर दिखाकर झूठे चार्जशीट में फंसाने के बहाने ढूंढ रही है। उन्होंने लिखा कि जिस मामले में मुझे फंसाना चाहते हैं उस टेंडर को मैंने खुद निरस्त किया था, मैंने खुद प्रधानमंत्री जी को बताया था इस मामले में करप्शन है और उन्हें बताने के बाद में मैंने खुद उस टेंडर को कैंसिल किया, मेरा तबादला होने के बाद में किसी अन्य के हस्ताक्षर से यह टेंडर हुआ।'
मैं ना तो डरने वाला हूं और ना ही झुकने वाला हूं
उन्होंने लिखा, 'मैं सरकार को और सरकारी एजेंसियों को बताना चाहता हूं कि में किसान कौम से हूं, मैं ना तो डरने वाला हूं और ना ही झुकने वाला हूं। सरकार ने मुझे बदनाम करने में पूरी ताकत लगा दी। अंत में मेरा सरकार से और सरकारी एजेंसियों से अनुरोध है कि मेरे प्यारे देश की जनता को सच्चाई जरूर बताना कि आपको छानबीन में मेरे पास मिला क्या? हालांकि सच्चाई तो यह है कि 50 साल से अधिक लंबे राजनीतिक जीवन में बहुत बड़े-बड़े पदों पर देशसेवा करने का मौका मिलने के बाद आज़ भी में एक कमरे के मकान में रह रहा हूं और कर्ज में भी हूं। अगर आज मेरे पास धन दौलत होती तो में प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज करवाता।'
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