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The Haryana Story | हरियाणा पुलिस की ऐतिहासिक पहल से साइबर ठगी पीड़ितों को मिलेगी बड़ी राहत, पढ़ें पूरी ख़बर

हरियाणा पुलिस की ऐतिहासिक पहल से साइबर ठगी पीड़ितों को मिलेगी बड़ी राहत, पढ़ें पूरी ख़बर

ठगी की गई और बैंक खातों में 'ब्लॉक' की गई राशि अब बिना किसी लंबी कानूनी प्रक्रिया या वकील की आवश्यकता के, सीधे लोक अदालत के माध्यम से पीड़ितों को वापस दिलाई जाएगी

हरियाणा पुलिस ने राज्य में साइबर ठगी के शिकार हुए नागरिकों को तत्काल और आसान न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल की है। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओ पी सिंह के नेतृत्व में प्रदेश पुलिस ने कानूनी सेवा प्राधिकरणों के साथ मिलकर एक नई व्यवस्था लागू करवाई है, जिसके तहत ठगी की गई और बैंक खातों में 'ब्लॉक' की गई राशि अब बिना किसी लंबी कानूनी प्रक्रिया या वकील की आवश्यकता के, सीधे लोक अदालत के माध्यम से पीड़ितों को वापस दिलाई जाएगी।

सरकार और न्यायपालिका के समक्ष यह सरल और प्रभावी मॉडल पेश किया

उक्त व्यवस्था विशेष रूप से उन मामलों के लिए लागू की गई है, जहां ठगी के तुरंत बाद शिकायत दर्ज कराकर ठगों के खाते में पैसा ब्लॉक करवा दिया गया है, लेकिन पुलिस द्वारा अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। हरियाणा पुलिस के महानिदेशक ओ पी सिंह ने कहा, साइबर अपराधों में सबसे बड़ी समस्या यही सामने आती थी कि पीड़ित का पैसा ब्लॉक होने के बावजूद, उसे वापस पाने के लिए उसे कोर्ट- कचहरी के चक्कर काटने पड़ते थे। हरियाणा पुलिस ने इस मानवीय पहलू को समझते हुए, सरकार और न्यायपालिका के समक्ष यह सरल और प्रभावी मॉडल पेश किया। 

कोई भी व्यक्ति अपने पैसे और हक को सिर्फ किस्मत समझकर नहीं छोड़ेगा

अब हरियाणा में साइबर ठगी का शिकार हुआ कोई भी व्यक्ति अपने पैसे और हक को सिर्फ किस्मत समझकर नहीं छोड़ेगा। हमने मिलकर यह सुनिश्चित किया है कि पीड़ितों को जल्द से जल्द राहत और न्याय मिले। पुलिस महानिदेशक ने बताया कि हम सभी नागरिकों से अपील करते है कि ठगी होने पर बिना किसी देरी के 'गोल्डन ऑवर' में 1930 पर शिकायत दर्ज कराएं, ताकि पुलिस आपकी मेहनत के रुपयों को बचा सके। इस व्यवस्था को लागू करवाने में हरियाणा पुलिस की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। 

उन साइबर आवेदनों को स्थायी लोक अदालत के दायरे में ला दिया, जिनमें एफआईआर दर्ज नहीं हुई

पुलिस ने राज्य सरकार और हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से अनुरोध किया था कि साइबर अपराधों से संबंधित 'पैसे जारी करने/डी-फ्रीज' करने के आवेदनों को स्थायी लोक अदालतों की सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं की सूची में शामिल किया जाए। इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए, हरियाणा सरकार के न्याय प्रशासन विभाग ने एक आधिकारिक अधिसूचना औपचारिक रूप से जारी की जिसने उन साइबर आवेदनों को स्थायी लोक अदालत के दायरे में ला दिया, जिनमें एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।

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