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The Haryana Story | IFFI 2025 की ओपनिंग परेड : "नॉन स्टॉप फिल्मी हरियाणा" झांकी की शानदार प्रस्तुति

IFFI 2025 की ओपनिंग परेड : "नॉन स्टॉप फिल्मी हरियाणा" झांकी की शानदार प्रस्तुति

उद्घाटन समारोह की जगह एक आकर्षक और भव्य 'सड़क परेड' का आयोजन किया, जिसने दर्शकों को भारतीय संस्कृति और सिनेमा के रंगों से सराबोर एक अनोखा चलित उत्सव प्रदान किया

हरियाणा ने गोवा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव ऑफ इंडिया (IFFI) 2025 की ओपनिंग परेड में अपनी पहली शानदार राज्य झांकी प्रस्तुत की। आईएफएफआई ने इस वर्ष पारंपरिक उद्घाटन समारोह की जगह एक आकर्षक और भव्य 'सड़क परेड' का आयोजन किया, जिसने दर्शकों को भारतीय संस्कृति और सिनेमा के रंगों से सराबोर एक अनोखा चलित उत्सव प्रदान किया। उल्लेखनीय है कि 20 से 28 नवंबर 2025 तक आयोजित होने वाला यह नौ-दिवसीय प्रतिष्ठित महोत्सव में फिल्म-बाजार सहित अनेक कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है।

सिनेमा में हरियाणा, लोकेशन्स को कलात्मक तरीके से प्रस्तुत किया

सूचना, जनसम्पर्क, भाषा एवं कला संस्कृति विभाग के महानिदेशक के.एम. मकरंद पांडुरंग के दिशा निर्देशन में "नॉन स्टॉप फिल्मी हरियाणा" झांकी तैयार की गई। हरियाणा की इस झांकी ने देश-विदेश से आए प्रतिनिधियों, फिल्म निमार्ताओं और दर्शकों का विशेष ध्यान आकर्षित किया। इस अवसर पर झांकी में राज्य की सांस्कृतिक विरासत, सिनेमा में हरियाणा, लोकेशन्स को कलात्मक तरीके से प्रस्तुत किया गया। हरियाणा की झांकी को लेकर देशी-विदेशी पर्यटक काफी आकर्षित नजर आए। नॉनस्टॉप फिल्मी हरियाणा की थीम के साथ झांकी में दर्शाया गया कि हरियाणा ऐसा प्रदेश है जहां कहानियां मिट्टी में अंकुरित होती हैं और कला फसलों की खुशबू में अपना सौंदर्य संवारती है। 

झांकी में हरियाणा की फिल्म नीति का प्रभावी संदेश भी प्रदर्शित किया

फिल्म-कैमरे के अद्भुत रूप में सजी झांकी हरियाणा की रचनात्मक शक्ति के प्रतीक के रूप में संस्कृति, अपने लोगों और अपनी आवाज को दुनिया के सामने नए अंदाज में प्रस्तुत करती नजर आई। कैमरे से निकलती सुनहरी किरणें राज्य की रचनात्मक चेतना, ऊर्जा और उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक बनीं। डिजिटल स्क्रीन पर उभरती झलकियों में हरियाणा की विरासत, पर्यटन, लोक-संस्कृति, थिएटर-कला और फिल्मांकन स्थलों की अनोखी दुनिया एक ही परदे पर जीवंत दिखाई दी। झांकी में हरियाणा की फिल्म नीति का प्रभावी संदेश भी प्रदर्शित किया गया। झांकी में प्रदर्शित किया गया कि किस तरह गांव की चौपालों से निकली कहानियां आज विश्व के बड़े परदों तक पहुँच रही हैं।

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