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विधानसभा चुनाव के लिए बदलते समीकरण : हरियाणा में पांच सीटों पर हाथ हुआ मज़बूत तो, पांच पर खिला कमल

विधानसभा चुनाव के लिए बदलते समीकरण : हरियाणा में पांच सीटों पर हाथ हुआ मज़बूत तो, पांच पर खिला कमल

हालांकि चुनाव से पूर्व दोनों ही पार्टियां सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने के दावे कर रही थी, लेकिन वास्तविकता के धरातल पर ऐसा नहीं हुआ, अलबत्ता इन चुनावी नतीज़े में भाजपा का फूल मुरझा गया है तो हाशिये पर आई कांग्रेस का हाथ वज़नदार हो गया और कांग्रेस के लिए ये चुनावी नतीज़े संजीवनी साबित हुए

लोकसभा सीटों के नतीजे जारी

प्रदेश में 10 लोकसभा सीटों के नतीजे जारी हो चुके हैं, जो सत्ताधारी भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के लिए मिले-जुले रहे। दोनों ही पार्टियां सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने के दावे कर रही थी, लेकिन धरातल पर ऐसा नहीं हुआ। हालांकि चुनावी नतीजे भाजपा के लिए किसी न किसी रूप में झटका देने वाले रहे तो वहीं कांग्रेस के लिए चुनावी नतीजे किसी संजीवनी से कम साबित नहीं हुए।

कांग्रेस के प्रदर्शन ने बढ़ाई भाजपा की चिंता

प्रदेश में आए लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद प्रदेश की सियासत में नए समीकरण बनते नजर आ रहे हैं। वहीं चुनावी नतीजों बेशक भाजपा के लिए आशानुरूप नहीं रहे, लेकिन 10 साल तक सत्ता में रहने के चलते एंटी इनकम्बेंसी, ग्रामीण इलाकों में किसानों के कड़े विरोध के बावजूद पार्टी आधी सीट जीतने में सफल रही। हालांकि कांग्रेस के प्रदर्शन ने अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की चिंता अवश्य बढ़ा दी है।

सैलजा 5वीं बार तो दीपेंद्र तीसरी बार चुनाव जीते

सिरसा से चुनाव जीतने वाली कुमारी सैलजा की ये बतौर लोकसभा सांसद पांचवीं जीत थी। बता दें कि हरियाणा में पांचवीं बार लोकसभा सांसद बनने वाली वह प्रदेश की पहली नेता हैं। इससे पहले साल 1991 और 1996 में उन्होंने सिरसा में जीत दर्ज की तो इसके बाद फिर साल 2004 और 2009 में अंबाला से चुनाव जीता।

वहीं दीपेंद्र हुड्डा ने साल 2004 में रोहतक लोकसभा उपचुनाव जीता तो इसके बाद लगातार दो बार साल 2009 और 2014 में जीत दर्ज की। वहीं कांग्रेस के जयप्रकाश ने इससे पहले तीन बार साल 1989 में जनता दल, 1996 हरियाणा विकास पार्टी और 2004 कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीता और हिसार लोकसभा से उनकी चौथी जीत थी। वहीं अंबाला से चुनाव जीतने वाले कांग्रेस के पूर्व राज्य अध्य़क्ष फूलचंद मुलाना के बेटे और सिटिंग एमएलए वरुण चौधरी ने पहली लोकसभा जीत दर्ज की। उधर सोनीपत सीट से भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खास सतपाल ब्रह्मचारी की डेब्यू लोकसभा जीत थी।

राव इंद्रजीत की छठी जीत, मनोहर भी करनाल की जनता का मन मोहने में हुए सफल  

बता दें कि भाजपा दिग्गज और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत अब तक कुल छह बार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाले हरियाणा के पहले सांसद बने। साल 1998 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव में जीत का खाता खोला। उन्होंने इससे पहले 1998, 2005 और 2009 में कांग्रेस के टिकट पर तो 2014, 2019 और 2024 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने करनाल अपनी पहली करनाल लोकसभा से जीत दर्ज की।

कृष्णपाल गुर्जर की लोकसभा में तीसरी जीत 

भिवानी महेंद्रगढ़ सीट से भाजपा दिग्गज ने जीत दर्ज की और वो अब तक कुल चार बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। ये बता दें कि चौधरी धर्मबीर प्रदेश की राजनीति में बड़ा नाम रहे दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की तीन पीढ़ियों को वो चुनाव में हार चुके हैं। फरीदाबाद सीट से अबकी बार चुनाव जीतने वाले भाजपा कैंडिडेट कृष्णपाल गुर्जर की लोकसभा में कुल तीसरी जीत है। वहीं कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले नवीन जिंदल की इस सीट से तीसरी जीत है।

हुड्डा का कद बढ़ा, सैलजा को भी मिली माइलेज

बेशक हरियाणा में कांग्रेस सभी 10 सीटें नहीं जीत पाई लेकिन पांच सीट जीत पाना कांग्रेस के लिए किसी बड़ी राहत से कम नहीं है क्योंकि पिछली बार कांग्रेस को सभी 10 सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा था। इतना ही नहीं अबकी बार सीट वितरण में अपनी एकतरफा चलाने वाले पूर्व सीएम सीएम और कांग्रेस  दिग्गज के बेटे व राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा का कड़े मुकाबले में हार का मुंह देखना पड़ा। अबकी बार दीपेंद्र सबसे ज्यादा वोटों से चुनाव जीतने वाले कैंडिडेट बने हैं। हालांकि पार्टी में धुर विरोधी और एसआरके खेमे को लीड कर रही कुमारी सैलजा भी ढाई लाख से वोटों के अंतर जीत दर्ज करने में सफल रही।

कम वोट वाले विधानसभा क्षेत्रों पर रहेगी दोनों पार्टियों की नज़र 

हालांकि अब देखना वाला पहलू ये रहेगा कि जिन कैंडिडेट्स को भाजपा या कांग्रेस ने टिकट नहीं दी, वहां पार्टी का संबंधित पार्टी नेताओं को लेकर क्या रुख रहेगा। भाजपा और कांग्रेस के कई उम्मीदवारों ने पार्टी के ही नेताओं से भीरतघात का खतरा जताया था। हालांकि नतीजों में ये भी सामने आया कि पार्टी कैंडिडे्टस ने कई नेताओं पर चुनाव में उनकी सपोर्ट नहीं करने के आरोप लगाए और विपक्षी उम्मीदवारों की मदद के आरोप लगाए, संबंधित पार्टी का प्रदर्शन कहां जगह बढ़िया रहा तो कई जगह खराब रहा, इस पर पार्टी का रुख देखा करेगा। भाजपा की चुनाव के बाद रिव्यू मीटिंग में भी कई पार्टी कैंडिडेट्स ने पार्टी नेतृत्व को कई पदाधिकारियों के खिलाफ भीतरघात की शिकायत की थी।

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