''किसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ आया हूं
मेरी नन्हें फूल को खिलने से पहले ही अकेला छोड़ आया हूं
मुझे छाती से अपनी लगा लेना भारत मां
मै अपनी मां की बाहों को तरसता छोड़ आया हूं।''
कोई भी वीर जवान जब अपनी मातृभूमि के लिए अपनी सांसे कुर्बान करता है तो उस घड़ी, क्या उनके आख़िरी भाव और विचार होते होंगे ? उसका अंदाज़ा भी लगाना बेहद मुश्किल है, चूंकि उन्हें मौत का मंज़र सामने दिख रहा होता है। सर पर कफन हाथों में बंदूक, मन में देश की सुरक्षा का जज्बा लिए किसी कोने में अपने ''उन'' भावों को समेटे रखते हैं, जिनको हम सिर्फ महसूस करने की कोशिश भर कर सकते हैं।
शहीद के नाम से खेल स्टेडियम बनाने की मांग
जाजनवाला गांव के शहीद लांस नायक प्रदीप नैन शहादत पर हर कोई भावुक है, मात्र 27 वर्ष की उम्र में वतन के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी, ऐसे वीर शहीद के परिजनों को सांत्वना देने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी रविवार शाम शहीद लांस नायक प्रदीप नैन के घर पहुंचे और उनके माता-पिता को ढांढस बंधाया।
सीएम सैनी ने कहा कि प्रदीप नैन बहादुर और जांबाज कमांडो था, देश के लिए अपनी जान कुर्बान की। सरकार की तरफ से एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता के अलावा जो भी नियमानुसार होगा, वह लाभ परिवार को मिलेगा। इस दौरान गांव के लोगों ने भी सीएम को मांग पत्र दिया। जिसमें शहीद के नाम से खेल स्टेडियम बनाने की मांग की गई। इस पर सीएम ने उचित संज्ञान लेने का आश्वासन दिया।
सौभाग्यशाली है वो मां
सीएम नायब सिंह सैनी चंडीगढ़ से नरवाना तक हेलीकॉप्टर में पहुंचे। इसके बाद नरवाना से गाड़ी में सीधे जाजनवाला गांव पहुंचे। यहां छह जुलाई को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए प्रदीप नैन के माता-पिता से मिले। सीएम ने कहा कि उन्हें दुख है कि प्रदीप परिवार का इकलौता बेटा था। वह मां सौभाग्यशाली है, जिसकी कोख से ऐसे साहसी जवान ने जन्म लिया। दुख की इस घड़ी में सरकार प्रदीप नैन के परिवार के साथ है।
परिवार को एक करोड़ रुपए की सहायता राशि जल्द ही दी जाएगी
सरकार द्वारा शहीदों के परिवारों को दी जाने वाली सहायता नीति के अनुसार शहीद प्रदीप नैन के परिवार को एक करोड़ रुपए की सहायता राशि जल्द ही दी जाएगी। इसके अलावा केंद्र सरकार, प्रदेश सरकार तथा सेना के नियमों के अनुसार शहीद के परिवार को जो भी सहायता राशि या अन्य सुविधाएं देने का प्रावधान है, वह जल्द से जल्द दिया जाएगा। इस दौरान सीएम के साथ नरवाना विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा, पूर्व सांसद अशोक तंवर, डीसी मोहम्मद इमरान रजा, एसपी सुमित कुमार, गांव के सरपंच जनक नैन भी उपस्थित रहे।
आतंकी मुठभेड़ में शहीद हो गए प्रदीप
उल्लेखनीय है कि कुलगाम के मुद्रिगाम इलाके में 6 जुलाई दोपहर करीब 12 बजे पहली मुठभेड़ शुरू हुई थी। उस समय सुरक्षाबल इलाके में आतंकियों की सूचना पर तलाशी अभियान चला रहे थे। इस मुठभेड़ में लांसनायक पैरा कमांडो प्रदीप नैन शहीद हो गए। दूसरे घायल जवान की हालत गंभीर बनी हुई है। मुठभेड़ देर रात तक जारी रही।
सुरक्षाबलों के अनुसार, कश्मीर के कुलगाम में दो अलग- अलग जगहों पर आतंकियों से हुई मुठभेड़ में जवानों ने 4 आतंकवादियों को मार गिराया है, लेकिन इस मुठभेड़ में लांस नायक प्रदीप नैन शहीद हो गए हैं। पिछले सोमवार को जींद के नरवाना के गांव जाजनवाला में अंतिम विदाई दी गई। प्रदीप नैन के पार्थिव शरीर को सेना द्वारा सलामी दी गई। इसके बाद राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया था।
परिवार का इकलौता बेटा था प्रदीप नैन
शहीद प्रदीप के चाचा सुशील नैन ने बताया कि साल 2015 में इंडियन आर्मी में शामिल हुआ प्रदीप अपने परिवार का इकलौता बेटा था। सेना में अपनी काबिलियत के आधार पर उसका चयन पैरामिलिट्री कमांडो में हुआ था। उसकी छोटी बहन उसकी लाडली थी। उन्होंने बताया कि साल 2022 में प्रदीप का विवाह हुआ था। उसकी पत्नी गर्भवती हैं। प्रदीप कहता था कि वह अपने पहले बच्चे के जन्म पर छुट्टी लेकर घर आ जाएगा, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। हमारा बेटा अब तिरंगे में लिपटकर घर आएगा। हमें हमारे लाल की शहादत पर गर्व है कि उसने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया।
पिता को बेटे की शहादत पर गर्व
शहीद के पिता बलवान सिंह ने कहा कि उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। उन्होंने बताया कि प्रदीप को कमांडो बनने का बड़ा जुनून था और वह हमेशा कहता था कि वह कमांडो बनकर दिखाएगा। बलवान सिंह ने बताया कि प्रदीप ने तीन बार भर्ती की कोशिश की, जिसमें से दो बार वह असफल रहा, लेकिन तीसरी बार में सफल हो गया। प्रदीप ने कहा था कि वह 15-20 दिन की छुट्टी पर आएगा।
ऐसा भाई मिलना नसीब की बात, मां ने कहा कि ''मेरा बेटा अमर हुआ''
प्रदीप इकलौता बेटा था। प्रदीप की मां राम स्नेही ने कहा कि मेरा बेटा अमर हुआ है। बेटे के पार्थिव शरीर को देखते ही बलवान सिंह के भी आंसू निकले, लेकिन उनके चेहरे पर गर्व का भाव भी था। प्रदीप की बहन मंजू बाला ने कहा कि प्रदीप न केवल मेरे अकेली का, बल्कि देश की सभी बहनों का भाई था, देश का भाई देश पर कुर्बान हुआ है। ऐसा भाई होना नसीब की बात है। पत्नी मनीषा को उसके अंतिम दर्शन कराने के लिए प्रदीप नैन के शव के पास ले जाया गया। मनीषा ने पहले उसके चेहरे को हाथ में लिया और उसके बाद सीने से लगाया। उसने चरण छूकर प्रणाम किया।
जिन आतंकियों ने मेरा सुहाग उजाड़ा, उनको छोड़ना नहीं
वहीं जब प्रदीप के शहीद होने की सूचना के बाद पूरे गांव में मातम छा गया। क्योंकि वह सिर्फ 27 वर्ष के थे, और छोटी सी उम्र में उन्होंने देश की सुरक्षा में अपना बलिदान दे दिया। प्रदीप के पड़ोसी गांव के रहने वाले रिटायर्ड सूबेदार जयभगवान के मुताबिक प्रदीप बहुत ही सरल स्वभाव का था। पति प्रदीप नैन की अंतिम यात्रा से पहले अंतिम सलामी देते हुए गर्भवती मनीषा ने सेना के पैरा कमांडो को कहा कि ''जिन आतंकियों ने मेरा सुहाग उजाड़ा है। उनको छोड़ना नहीं। आतंकी किसी मां-बाप के लाल, किसी के पति को बलिदान करेंगे। उन सभी का खात्मा कर दो।''
''भिगोकर खून में वर्दी कहानी दे गए अपनी,
मोहब्बत मुल्क की सच्ची निशानी दे गए अपनी,
परिवार के साथ रहने के अधूरे छोड़ ख़्वाब,
देश के नाम जवानी दे गए अपनी।
''ऐसे वीर शहीद लांसनायक पैरा कमांडो प्रदीप नैन को द हरियाणा स्टोरी परिवार की तरफ से शत शत नमन''
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