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Paris Paralympics : भारत ने पेरिस पैरालंपिक में एक ही दिन में 4 मेडल जीतकर बनाया नया रिकॉर्ड

Paris Paralympics : भारत ने पेरिस पैरालंपिक में एक ही दिन में 4 मेडल जीतकर बनाया नया रिकॉर्ड

पेरिस पैरालिंपिक्स में गेम्स के महज दूसरे दिन ही भारतीय पैरा-ऐथलीटों ने एक ही दिन में चार मेडल जीतकर अपने अदम्य हौसले और इच्छाशक्ति का जबरदस्त प्रदर्शन किया

प्रतीकात्मक तस्वीर

पेरिस पैरालंपिक में भारत के खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन जारी है और पेरिस पैरालिंपिक्स में गेम्स के महज दूसरे दिन ही भारतीय पैरा-ऐथलीटों ने एक ही दिन में चार मेडल जीतकर अपने अदम्य हौसले और इच्छाशक्ति का जबरदस्त प्रदर्शन किया है। भारत ने पेरिस पैरालंपिक में शुक्रवार को 4 मेडल जीतकर एक नया रिकॉर्ड बनाया है, इनमें एक स्वर्ण, रजत और डॉ कांस्य पदक शामिल है।

इसमें 'वंडर गर्ल' अवनि लेखरा का शूटिंग में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक भी शामिल है। भारत पदक तालिका में 10वें नंबर पर पहुंच गया है। खास बात यह है कि शुक्रवार को पैरालिंपिक्स में जो चार मेडल भारत ने जीते उसमें तीन देश की बेटियों ने दिलाया है। अवनि पहली ऐसी ऐथलीट हैं, जिन्होंने लगातार दो गेम्स में गोल्ड मेडल जीता। ओलिंपिक्स या पैरालिंपिक्स खेलों के इतिहास में पहले ऐसा कोई नहीं कर पाया है। 

अवनि ने तोड़ा अपना ही पुराना रिकॉर्ड

अवनि लेखरा पैरालिंपिक गेम्स में दो गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं। उन्होंने टोक्यो के बाद पेरिस पैरालिंपिक्स में भी महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल (एसएच 1) स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता, वहीं भारत की ही मोना अग्रवाल ने ब्रॉन्ज मेडल जीता। तीन साल पहले टोक्यो में गोल्ड मेडल जीतने वाली 22 साल की अवनि ने 249.7 का स्कोर करके अपना ही 249.6 का पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ डाला।

वहीं शॉटपुट, पावर लिफ्टिंग और व्हीलचेयर वॉलीबॉल के बाद दो साल पहले शूटिंग में पदार्पण करने वाली मोना ने 228.7 के स्कोर के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता। भारत के पैरालिंपिक्स इतिहास में पहली बार दो शूटर्स ने एक ही इवेंट में मेडल जीते हैं। अवनि अब 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन में उतरेगी जिसमें वह मेडल की प्रबल दावेदार है। पिछली बार तोक्यो में इस स्पर्धा में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। 

कार एक्सीडेंट में कमर के निचले के हिस्से में मार गया था लकवा 

जानकारी अनुसार जयपुर की रहने वाली अवनि पैरालिंपिक्स से पहले स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थी। अवनि की गॉल ब्लैडर की सर्जरी हुई, जिसकी वजह से उन्हें डेढ़ महीने का ब्रेक लेना पड़ा था और सर्जरी की वजह से उनका काफी वजन भी कम हो गया था, लेकिन, इन सभी मुश्किलों का डटकर सामना करते हुए अवनि ने पेरिस में अपने देश का नाम रोशन किया। अवनि ने कहा,‘मैं देश के लिए मेडल जीतकर खुश हूं।

अपनी टीम, अपने कोचों और अपने परिवार को धन्यवाद देना चाहती हूं।’ ग्यारह साल की उम्र में एक कार एक्सीडेंट में कमर के नीचे के हिस्से में लकवा मारने के कारण अवनि व्हीलचेयर पर हैं। वह तोक्यो पैरालंपिक में शूटिंग में मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला शूटर बनी थीं। उल्लेखनीय है कि एसएच-1 वर्ग में वे खिलाड़ी होते हैं जिनकी बाजुओं, कमर के निचले हिस्से, पैरों में विकृति होती है या उनकी बाजू नहीं होती है।

मनीष नरवाल ने सिल्वर मेडल जीता

अवनि और मोना के अलावा पुरुषों में भारत के मनीष नरवाल ने पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल (एसएच 1) स्पर्धा में सिल्वर मेडल जीता। भारतीय शूटर शिवा नरवाल के बड़े भाई मनीष ने 234.9 स्कोर किया जबकि जियोंगडू ने 237.4 स्कोर करके गोल्ड मेडल जीता।

एसएच-1 वर्ग में खिलाड़ी बिना किसी दिक्कत के पिस्टल उठा सकते हैं और व्हीलचेयर या चेयर पर से खड़े होकर या बैठकर निशाना लगाते हैं। मेडल जीतने के बाद मनीष ने अपने परिजनों से विडियो कॉल पर बात की। उनके लिए भावुक पल तब आया जब उनकी मां वीडियो पर आईं। वह बेटे के मैडल आने की खुशी में रो रही थीं। मां को रोता देख मनीष भी अधिक बात नहीं कर सके और वह भी भावुक हो गए।

टोक्यो पैरालंपिक गेम्स में गोल्ड पर किया था

कब्जा इससे पहले मनीष नरवाल ने टोक्यो पैरालंपिक गेम्स में गोल्ड पर कब्जा किया था। उल्लेखनीय है कि 22 साल के मनीष नरवाल की शुरुआत में फुटबॉलर बनने की ख्वाहिश थी, लेकिन दिव्यांगता की चुनौतियां आड़े थी, मगर ये चुनौतियां मनीष के एथलीट बनने के इरादे को नहीं तोड़ पाई मनीष ने पिता और सहयोगियों की सलाह पर 2016 में शूटिंग में करियर बनाने का निर्णय किया और नरवाल ने हरियाणा के फरीदाबाद में शूटिंग करनी शुरू की। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। गौरतलब है कि मनीष नरवाल कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में जीत दर्ज कर चुके हैं। 

प्रीति ने ट्रैक इवेंट में दिलाया ऐतिहासिक मेडल

वहीं प्रीति पाल ने महिलाओं की टी35 वर्ग की 100 मीटर स्पर्धा में 14.21 सेकंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय से ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत को पैरालिंपिक्स की ट्रैक स्पर्धा में पहला ऐथलेटिक्स मेडल दिलाया। भारत ने 1984 चरण से एथलेटिक्स में जो भी मेडल जीते हैं, वे सभी फील्ड इवेंट्स में मिले। यूपी के मुजफ्फरनगर के किसान की बेटी प्रीति ने पैरालिंपिक्स के दूसरे दिन भारत का ऐथलेटिक्स मेडल का खाता खोला।

टी35 कैटिगरी उन खिलाड़ियों के लिए है जिनमें समन्वय संबंधी विकार जैसे हाइपरटोनिया, अटैक्सिया और एथेटोसिस तथा मस्तिष्क पक्षाघात आदि शामिल होते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ‘भारत के लिए एक और गौरव का पल, प्रीति पाल ने पैरालिंपिक्स में 100 मीटर टी35 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। उन्हें बधाई। यह सफलता निश्चित रूप से उभरते खिलाड़ियों को प्रेरित करेगी।’ यह बहुत करीबी फाइनल था। पहले, दूसरे और तीसरे स्थान के लिए बहुत कम अंतर था। मैं नतीजों के बजाय अपने विचारों पर ध्यान लगा रही थी।

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