loader
The Haryana Story | हरियाणा के छोरे 'AK 47' के नाम से फेमस 'अंशुल कंबोज' ने रचा था इतिहास

हरियाणा के छोरे 'AK 47' के नाम से फेमस 'अंशुल कंबोज' ने रचा था इतिहास

अंशुल कंबोज ने रणजी में एक ही पारी में लिए हैं 10 विकेट, हरियाणा के पहले और रणजी में तीसरे खिलाड़ी हैं ऐसा कारनामा करने वाले अंशुल कंबोज, 12 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया था

प्रतीकात्मक तस्वीर

ये कहानी है संघर्ष की..परिश्रम की...ये कहानी है क्रिकेटर बनने के जुनून की... इतिहास रचने की और ये कहानी है अंशुल कंबोज के हुनर और जज्बे की... वो खिलाड़ी जो टीम इंडिया के सिलेक्शन की दहलीज से महज एक कदम की दूरी पर खड़ा है पर उसे करने है सिर्फ मेहनत, उसे नतीजे की चिंता नहीं है, उसे सिर्फ अपने गेम में बेस्ट देना है।

स्वागत भी हुआ और केक भी काटा गया

अंशुल कंबोज करनाल के इंद्री के फाजिलपुर गांव का रहने वाला छोरा, जिसने एक कीर्तिमान कुछ दिन पहले बनाया और जब वो अपनी एकेडमी में पहुंचा तो उसका स्वागत भी हुआ और केक भी काटा गया। अंशुल कंबोज जिन्होंने रणजी ट्रॉफी में एक ही पारी में 10 विकेट अपने नाम किए, ऐसा कारनामा करने वाले वो हरियाणा के पहले और रणजी क्रिकेट में तीसरे खिलाड़ी हैं। 

12 साल की उम्र से उन्होंने अपना क्रिकेट खेलना शुरू किया

वहीं फर्स्ट क्लास क्रिकेट में वो छठे खिलाड़ी हैं, ये कारनामा उन्होंने रोहतक के लाहली में चौधरी बंसीलाल स्टेडियम में केरला के सामने रचा। जब उन्होंने हरियाणा की तरफ से खेलते हुए केरल के बल्लेबाजों को अपने आगे टिकने नहीं दिया। इससे पहले वो अंडर 19, IPL, दिलीप ट्रॉफी खेल चुके हैं, इसके अलावा कई और टूर्नामेंट खेलते हुए भी उन्होंने अपना बेहतरीन प्रदर्शन किया। करनाल में 12 साल की उम्र से उन्होंने अपना क्रिकेट खेलना शुरू किया। इस उम्र में उन्होंने सफर काफी करना पड़ता था, क्योंकि वो दूर से आते थे, लेकिन फिर माता पिता यहीं शिफ्ट हो गए और उसके बाद उन्होंने अपने गेम को आगे बढ़ाया।

दाएं हाथ के तेज गेंदबाज हैं और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व गेंदबाज ग्लेन मैकग्राथ को मानते अपना आदर्श 

अंशुल आखिरी साल मुंबई इंडियंस की तरफ से IPL भी खेलते हुए नजर आए थे, उन्होंने ट्रेविस हेड को भी क्लीन बोल्ड कर दिया था पर वो नो बॉल हो गई थी, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने अपने गेम से सभी को प्रभावित किया था। उन्होंने दिलीप ट्रॉफी में भी एक पारी में 8 विकेट ले रखी है। वो ऑल राउंडर के रूप में खेलते हैं। दाएं हाथ के तेज गेंदबाज हैं और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व गेंदबाज ग्लेन मैकग्राथ को अपना आदर्श मानते हैं और कोशिश करते हैं कि उन्हीं की तरह गुड लाइन और लैंथ पर गेंदबाजी करें। 

उनकी जर्सी का नंबर 47 है और उनका नाम अंशुल कंबोज (AK 47)

वो अपने घर करनाल आए हुए थे तो वो अपनी एकेडमी जहां से उन्होंने शुरुआत की थी वहां पहुंचे, प्रैक्टिस की और उसके बाद उनका स्वागत हुआ और केक काटा, वो AK 47 के नाम से प्रचलित हैं क्योंकि उनकी जर्सी का नंबर 47 है और उनका नाम अंशुल कंबोज है। अब मुश्ताक अली ट्रॉफी खेलने मुंबई जाएंगे। उम्मीद है कि उनकी परफॉर्मेंस आगे भी अच्छी रहे और वो भारत की टीम के लिए खेलें और अच्छा प्रदर्शन करें। वहीं केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने भी अंशुल और उसके परिवार और उसके कोच को बधाई दी।

Join The Conversation Opens in a new tab
×