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फॉग और स्मॉग का कॉम्बिनेशन ख़तरनाक...दिल-दिमाग़ के लिए घातक, 'ऐसे लोग' घरों से न निकलें

फॉग और स्मॉग का कॉम्बिनेशन ख़तरनाक...दिल-दिमाग़ के लिए घातक, 'ऐसे लोग' घरों से न निकलें

यह खतरनाक प्रदूषण न केवल सांसों के लिए, बल्कि दिमाग और पूरे शरीर के लिए भी घातक साबित हो रहा

प्रतीकात्मक तस्वीर

इन दिनों उत्तर भारत में प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है, खासकर स्मॉग के रूप में। कई शहरों में अलग ही नजारा देखने को मिल रहा। लोग सोकर उठते हैं तो बाहर जबरदस्त कोहरा नजर आ रहा है। कई सप्ताह से भयंकर एयर पॉल्यूशन झेल रहे दिल्ली, एनसीआर के लोगों के लिए फॉग भी मुसीबत लेकर आया है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो भीषण पॉल्यूशन में फॉग का आना भी लोगों की सांसों पर संकट पैदा कर रहा है। फॉग और स्मॉग का कॉम्बिनेशन सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है और इससे कई तरह की गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

एहतियात न रखी जाए तो स्मॉग  हो सकता है जानलेवा

यह खतरनाक प्रदूषण न केवल सांसों के लिए, बल्कि दिमाग और पूरे शरीर के लिए भी घातक साबित हो रहा है। स्मॉग के संपर्क में आने से न केवल सांस संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, बल्कि यह याददाश्त में भी गिरावट ला सकता है और डीएनए में भी बदलाव कर सकता है। पानीपत की होम्योपैथिक फिजिशियन डॉ जयश्री मलिक के मुताबिक़ अगर एहतियात न रखी जाए तो स्मॉग जानलेवा हो सकता है।

इसमें मिश्रित जहरीली गैसें शरीर के भीतर घुलकर खून में मिल जाती हैं, जिससे फेफड़ों और मस्तिष्क पर प्रतिकूल असर पड़ता है। खासकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए यह अत्यधिक खतरनाक है, क्योंकि इससे गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, डीएनए में बदलाव के कारण जन्म से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं। 

प्रदूषित मौसम में बाहर निकलने से बचें

डॉ जयश्री मलिक कहना है कि स्मॉग से प्रभावित मरीजों की संख्या बढ़ी है, और इसमें मुख्य रूप से सांस और मस्तिष्क संबंधी समस्याएं देखने को मिल रही हैं। उन्होंने लोगों को घरों में एयर प्यूरीफायर और ऑक्सीजन गैस सिलेंडर रखने की सलाह दी है। स्मॉग में मौजूद खतरनाक गैसें जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड दिमाग और हृदय पर सीधा प्रभाव डाल सकती हैं, जिससे ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

इसके अलावा, मस्तिष्क को ऑक्सीजन की कमी होने से याददाश्त में कमी और थकान जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, विशेषज्ञों का सुझाव है कि बीमार व्यक्ति, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और बच्चे ऐसे प्रदूषित मौसम में बाहर निकलने से बचें और सुरक्षा उपायों का पालन करें। 

फॉग के कारण हवा में मौजूद पोल्यूटेंट्स हैवी हो जाते हैं

इन दिनों हरियाणा में स्मॉग के साथ फॉग भी नजर आ रहा है। सिर्फ फॉग हो, तो यह सेहत के लिए नुकसानदायक नहीं होता है, लेकिन जब फॉग स्मॉग के साथ मिल जाता है, तो यह खतरनाक हो जाता है, फॉग के कारण हवा में मौजूद पोल्यूटेंट्स हैवी हो जाते हैं और सांस लेने के दौरान तेजी से हमारे फेफड़ों में पहुंचते हैं। इसकी वजह से शरीर में जहरीले तत्वों का डिपोजिशन ज्यादा हो जाता है और रेस्पिरेट्री प्रॉब्लम्स ट्रिगर होने लगती हैं। इससे सबसे ज्यादा नुकसान सांस के मरीजों को होता है।

हार्ट  पेशेंट्स को भी इस डेडली कॉम्बिनेशन से बचने की सख्त जरूरत

ऐसे लोगों को ज्यादा खतरा उन्होंने बताया कि फॉग और स्मॉग के खतरनाक कॉम्बिनेशन से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) समेत लंग्स से जुड़ी परेशानियां तेजी से ट्रिगर हो सकती हैं। इसके अलावा हार्ट डिजीज के पेशेंट्स को भी इस डेडली कॉम्बिनेशन से बचने की सख्त जरूरत है। छोटे बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं के लिए यह पॉल्यूशन बेहद खतरनाक हो सकता है। ऐसे में सांस की बीमारियों के मरीज घर से बाहर न निकलें और अगर ज्यादा जरूरी हो, तो घर से निकलते वक्त मास्क जरूर लगाएं. इसके अलावा अपनी दवाएं समय पर लें और परेशानी हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। 

टेस्ट को जरूर करवाएं 

डॉक्टर मानें तो दिल्ली एवं एनसीआर में रहने वाले सभी लोगों को साल में एक बार अपने फेफड़ों का स्पायरोमेट्री टेस्ट जरूर करवाना चाहिए. बोलचाल में इस टेस्ट को लंग फंक्शन टेस्ट भी कहा जाता है। इस टेस्ट से पता लगाने में मदद मिलती है कि आपके फेफड़े कितने हेल्दी हैं और अगर किसी को दिक्कत होगी, तो इस टेस्ट से पता लगाया जा सकता है. वक्त रहते अगर आप फेफड़ों की बीमारी का पता लगाने में कामयाब रहे, तो गंभीर समस्याओं से बच सकते हैं। पॉल्यूशन हमारे फेफड़ों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होता है और लोगों को इससे बचने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए। 

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