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''बेजुबान और बेसहारा पशु -पक्षियों की संवेदनाओं समझें''

''बेजुबान और बेसहारा पशु -पक्षियों की संवेदनाओं समझें''

युवा समाजसेवी दीक्षित जैन ने कहा कि बेसहारा और बेजुबान पशु-पक्षियों की रक्षा करना प्रत्येक जागरूक इंसान का कर्तव्य, आसपास पक्षियों की चहचहाहट बनी रहे, इसके लिए जरूरी है कि लोग पक्षियों से प्रेम करें और उनका विशेष ख्याल रखें

युवा समाजसेवी दीक्षित जैन

आजकल के युवा जितने पढ़े-लिखे हैं, उनमें संवेदना की उतनी ही कमी है, श्रम नहीं करना चाहते और संस्कारों की भी कमी है, ऐसा अक्सर सुनने में आता है, पर इस बात पर पूरी तरह से सहमति भी नहीं जताई जा सकती, चूंकि पढ़े-लिखे लोगों में संवेदना की कमी होना, श्रम न करना या संस्कारों का अभाव होना, कुछ लोगों में हो सकता है पर सबमें नहीं। आज के आधुनिक और पश्चिमी सभ्यता वाले समाज में पले -पढ़े युवाओं में संवेदनाएं भी हैं, श्रम करने का जज़्बा भी और संस्कार भी। 

बेजुबान पशु -पक्षियों की सेवा का बीड़ा उठाया

पानीपत शहर की बात करें तो यहां के युवाओं में न केवल समाज सेवा करने का जज़्बा है, बल्कि बेजुबान और बेसहारा पशु -पक्षियों की संवेदनाओं को भी भली भांति समझने का हुनर भी है। हो भी क्यों ना, इन युवाओं को विरासत में ये सेवा भाव मिल रहा है। आज हम बात करते है  समाजसेवी दीक्षित जैन की, जिनके पिता मुनीश जैन भी शहर के प्रसिद्ध समाजसेवी हैं। दीक्षित ने अपने 7-8 मित्रों के साथ बेजुबान पशु -पक्षियों की सेवा का बीड़ा उठाया है। बस 7-8 दोस्त मिलकर खुद भी इस सेवा कार्य में जुटे हैं और औरों को भी जागरूक करने का काम कर रहे हैं। 

युवा मित्रों के साथ एक अभियान शुरू किया

गर्मी आते ही हमारे साथ ही पशु पक्षियों को भी पानी की आवश्यकता अधिक होने लगती है। हम तो पानी एकत्रित करके रख लेते हैं लेकिन पशु पक्षियों को पानी की तलाश करना पड़ता है। अगर छोटा सा प्रयास कर अपने घर के आस-पास पेड़ों में पशु पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करते हैं तो हर साल प्यास से मरने वाले पशु पक्षियों की संख्या में कमी आ जाएगी।

इसी उद्देश्य के साथ दीक्षित जैन ने अपने युवा मित्रों के साथ एक अभियान शुरू किया है। जिसमें हर्ष गहलौत्रा, केशव तनेजा, कृष्णा चुघ, लक्ष्य चावला, केशव सलूजा, जय तनेजा, मोहित गर्ग मुख्य रूप से शामिल है। दीक्षित जैन ने इन सभी के साथ मिलकर पक्षियों के लिए दर्जनों सकोरें अपने आस पड़ोस में बांटे और साथ ही अपने सेक्टर के कई घरों की छतों पर भी रखवाए। 

कुछ लोग पानी पिला देते, तो कुछ लोग भगा भी देते

पक्षियों के प्यास की चिंता करते हुए इस सेवा कार्य में शहर के इन युवाओं ने हाथ बढ़ाया है। सभी मिलकर विभिन्न स्थानों पर पशु- पक्षियों के लिए पानी भोजन की व्यवस्था में जुट गए हैं। दीक्षित जैन का कहना है कि गर्मी में पानी को अमृत के समान माना जाता है मनुष्य को प्यास लगती है तो वह कहीं भी मांग कर पी लेता है लेकिन मूक पशुओं पक्षियों को प्यास में तड़पना पड़ता है, हालांकि जब वे प्यासे होते हैं तो घरों के सामने दरवाजे पर आकर खड़े हो जाते हैं। कुछ लोग पानी पिला देते हैं तो कुछ लोग भगा भी देते हैं। 

पक्षियों की चहचहाहट बनी रहे, इसके लिए जरूरी है कि पक्षियों से प्रेम करें 

इस गर्मी में पशु पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए लोगों को प्रयास करना चाहिए, गर्मियों में कई परिंदों व पशुओं की मौत पानी की कमी के कारण हो जाती है। लोगों का थोड़ा सा प्रयास घरों के आसपास उड़ने वाले परिंदों की प्यास बुझा कर उनकी जिंदगी बचा सकता है। गर्मियों में घरों के आसपास पक्षियों की चहचहाहट बनी रहे, इसके लिए जरूरी है कि लोग पक्षियों से प्रेम करें और उनका विशेष ख्याल रखें।

गर्मी में अपने घरों के बाहर छतों पर पानी के बर्तन रखें और हो सके तो छतों पर पक्षियों के लिए छाया की व्यवस्था भी करें। गर्मी में तापमान से राहत मिलती है और शरीर में पानी की कमी नहीं होती। वहीं मवेशियों के लिए भी अपने घरों के सामने एक पात्र रखना चाहिए। जिसमें मवेशियों पीने योग्य पानी रख देना चाहिए। 

हम अपना बचाव करने में सक्षम हैं, पर पशु पक्षियों की स्थिति अत्यंत दयनीय

घरों के बाहर पानी के बर्तन भर कर टांगे या बड़ा बर्तन अवश्य पानी का भरकर रखें, जिससे मवेशियों व परिंदे पानी देखकर आकर्षित होते हैं। छत में भी पानी की व्यवस्था करें, छायादार जगह बनाकर वहां पानी के बर्तन भरकर रखें। कहा कि बढ़ते प्रचण्ड तापमान से सभी प्राणी झुलस रहे हम अपने आप को बचाने में सक्षम हैं किन्तु बेसहारा और बेजुबान पशु पक्षियों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। उनके जीवन की भी रक्षा करना प्रत्येक जागरूक इंसान का कर्तव्य है। दीक्षित जैन ने बताया कि इस तरह का सेवा भाव उन्हें उनके परिवार से मिला है, उनके पिता जी मुनीष जैन पानीपत के प्रसिद्ध समाजसेवी है। 

युवाओं के लिए दीक्षित का संदेश

दीक्षित ने युवा वर्ग का आह्वान करते हुए कहा आधुनिकता की दौड़ में अपने संस्कारों को न भूलें, जो समय सोशल मीडिया पर रील देखने में गंवाते, वो समय सेवा कार्यों में लगाकर जीवन का रियल आनंद लेना सीखें। किसी की मदद करके जो खशी और सुकून मिलता है, उसको शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। दीक्षित ने कहा कि कुछ युवा नशे की गिरफ्त में आकर पैसा बर्बाद करते और अपराध का रास्ता अपना लेते हैं, क्यों न वो पैसा जीवों के हितकारी कामों में लगाएं। अपराध के रास्ते को छोड़ सेवा के रास्ते पर चले। 

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