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The Haryana Story | पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का निधन, सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा, जानें कब होगा अंतिम संस्कार

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का निधन, सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा, जानें कब होगा अंतिम संस्कार

कल सुबह (शनिवार को) 11 बजे उनका अंतिम संस्कार हो सकता है। कांग्रेस मुख्यालय में उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी

प्रतीकात्मक तस्वीर

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया है। उन्होंने 92 साल की आयु में दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। रात में ही उनका पार्थिव शरीर दिल्ली स्थित आवास पर लाया गया था। कल सुबह (शनिवार को) 11 बजे उनका अंतिम संस्कार हो सकता है। कांग्रेस मुख्यालय में उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी। केंद्र सरकार ने पूर्व पीएम के निधन पर सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। बताया जा रहा है कि उनकी एक बेटी विदेश में हैं। उनके आने के बाद ही डॉ. मनमोहन सिंह को अंतिम विदाई दी जाएगी।

26 तारीख का संयोग

भारतीय ‘अर्थव्‍यवस्‍था के भीष्म पितामह’ माने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जिंदगी कई ऐसे किस्सों से भरी हुई है, जिनका हर किसी को नहीं पता, लेकिन उनकी जिंदगी में एक अजब संयोग रहा, जो जन्‍म से लेकर मृत्यु तक उनके साथ रहा। ये संयोग था अंक 26 का। जी हां, मनमोहन सिंह का जन्‍म भी 26 को ही हुआ था और उनका निधन भी 26 तारीख को हुआ। आपको बता दें कि मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के गाह गांव में हुआ था। यह हिस्सा अब पाकिस्तान में है।

'मनमोहन सिंह गवर्नमेंट बॉयज स्कूल’

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पाकिस्तान के ज‍िस गाह में जन्‍मे, वहां उनके नाम पर एक स्कूल भी है, जिस स्कूल को ‘मनमोहन सिंह गवर्नमेंट बॉयज स्कूल’ के नाम से जाना जाता है। बताते हैं कि इसी स्‍कूल में डॉ. मनमोहन सिंह ने अपनी शुरुआती पढ़ाई की थी। कभी अंधेरे में जीने वाला यह गांव आज आदर्श गांव बन चुका है। यहां के लोग के मन में मनमोहन सिंह के लिए बेहद सम्मान है और वे उनका धन्यवाद देते नहीं थकते। देश का बंटवारा हुआ तो मनमोहन सिंह का परिवार अमृतसर आकर बस गया था। 

पैसों की तंगी से जूझते हुए बने इकोनॉमी के बादशाह 

गाह गांव से अमृतसर पहुंचने के बाद मनमोहन सिंह की असली कहानी शुरू हुई। पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से पढ़ाई करने के बाद वे कैंब्रिज गए। दुन‍िया की सबसे मशहूर यूनविर्सिटी ऑक्‍सफोड से डीफ‍िल क‍िया। उल्लेखनीय है कि मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह ने अपनी किताब में तब की हालत के बारे में लिखा है। उन्होंने बताया है क‍ि उन्हें क‍िस तरह पैसों की कमी से जूझना पड़ा, बावजूद इसके फ‍िर भी उन्होंने ईमानदारी का दामन नहीं छोड़ा। शायद यही उनके काम आया क‍ि वे भारत के गवर्नर, वित्त मंत्री और फ‍िर प्रधानमंत्री के रूप में देश की इकोनॉमी को नई दिशा दे पाए।

रात 9:51 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया

पूर्व प्रधानमंत्री इन दिनों उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। पूर्व पीएम के निधन के संबंध में दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने एक प्रेस रिलीज जारी की, जिसमें बताया गया, ''अत्यंत दुःख के साथ हम भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के 92 वर्ष की आयु में निधन की सूचना देते हैं।

उनकी आयु-संबंधी चिकित्सा स्थितियों का उपचार किया जा रहा था और 26 दिसंबर 2024 को घर पर ही उन्हें अचानक बेहोशी आ गई। घर पर तुरंत उन्हें बचाने के उपाय शुरू किए गए। उन्हें रात 8:06 बजे नई दिल्ली के एम्स के मेडिकल इमरजेंसी में लाया गया। तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका और रात 9:51 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। 

न्‍यूक्‍ल‍ियर डील को उन्होंने देश के ल‍िए जरूरी समझा तो अपनी सरकार दांव पर लगा दी

वहीं पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों सहित विभिन्न राज्यों के गवर्नर, मुख्यमंत्री एवं अन्य राजनीतिक दिग्गजों और हस्तियों ने शोक व्यक्त किया। मनमोहन सिंह के नाम अनेक उपलब्धियां हैं। वे गवर्नर बने, वित्त मंत्री बने और प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। इनता ही नहीं, जवाहरलाल नेहरू के बाद वे पहले भारतीय थे, जो लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। अपने फैसलों को लेकर वे काफी अडिग रहे। अमेरिका से न्‍यूक्‍ल‍ियर डील को उन्होंने देश के ल‍िए जरूरी समझा तो अपनी सरकार दांव पर लगा दी।

उनकी सबसे खास बात उनकी सादगी में थी

वे आम सहमति के पक्षधर थे, लेकिन उनकी सबसे खास बात उनकी सादगी में थी। मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक लगातार दो बार भारत के प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाले एनडीए के खिलाफ 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद पहली बार पीएम पद की शपथ ली थी। उन्होंने 2009 से 2014 तक अपना दूसरा कार्यकाल पूरा किया। उसके बाद 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी ने उनकी जगह ली। 33 साल तक सेवा देने के बाद वे इस साल की शुरुआत में राज्यसभा से सेवानिवृत्त हो गए थे।

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