हिंदुस्तान की कुंडली में वाकई विश्व गुरु बनने का संयोग लिखा हुआ है, ग्रहों का खेल और विपरीत राजयोग, आज नहीं तो कल भारत महाशक्ति बनकर रहेगा। फिर ये कहना गलत न होगा कि सबसे आगे होंगे हिंदुस्तानी। उल्लेखनीय है कि भारत ने रक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। भारत आने वाले समय में ट्रेन से भी मिसाइल दाग पाएगा। भारत ने अपनी नई पीढ़ी की मध्यम दूरी की अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफल उड़ान परीक्षण किया है।
दरअसल, पहली बार ट्रेन से अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफल टेस्ट हुआ है। यह मिसाइल 2,000 किलोमीटर तक की मारक क्षमता रखती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफलता के लिए बधाई दी है। रक्षा मंत्री ने भी लिखा है कि यह रेल बेस्ड मोबाइल लांचर मिसाइल को रात के अंधेरे और धुंध भरे इलाके से भी कम समय में लांच कर सकता है। बता दें कि करीब 70 हजार किलोमीटर रेल लाइन के साथ भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है।
यह मिसाइल 2000 किलोमीटर तक की मारक क्षमता के लिए डिजाइन की गई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि भारत ने रेल-आधारित मोबाइल लॉन्चर प्रणाली से मध्यम दूरी की अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। अगली पीढ़ी की यह मिसाइल 2000 किलोमीटर तक की मारक क्षमता के लिए डिजाइन की गई है और कई उन्नत सुविधाओं से लैस है। भारत ने बुधवार की देर रात रेल पर बने मोबाइल लांचर सिस्टम के जरिए अग्नि-प्राइम मिसाइल की टेस्टिंग की। यह कैनिस्टराइज्ड लांचिंग सिस्टम से लांच की गई। इसके लिए ट्रेन को विशेष रूप से डिजाइन किया गया। यह ट्रेन देश के हर उस कोने तक जा सकती है, जहां रेल लाइन मौजूद है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इसकी जानकारी दी। टेस्ट ओडिशा के चांदीपुर इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से किया गया।
अग्नि प्राइम एडवांस्ड फीचर से लैस
अग्नि प्राइम मिसाइल 2,000 किलोमीटर तक की मारक क्षमता के लिए डिजाइन की गई है जोकि एडवांस्ड फीचर से लैस है। यह मिसाइल टेस्ट भारत के लिए बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि किसी भी युद्ध के दौरान सेना को लांचिंग प्वाइंट तक जाने वाली रेल लाइन की जरूरत होती है। इस टेस्ट ने भारत को उन चुनिंदा देशों के ग्रुप में शामिल कर दिया है जिनके पास रेल नेटवर्क से मिसाइल लांच करने वाला कैनिस्टराइज्ड लांचिंग सिस्टम है। भारत से पहले रूस, चीन और नॉर्थ कोरिया मोबाइल रेल लांचर का टेस्ट कर चुके हैं। लिस्ट में अमेरिका का नाम भी शामिल है लेकिन उसने पुष्टि कभी नहीं की। कुछ मिसाइलों को उनके वजन के चलते मूव करना आसान नहीं होता था। अब यह परिदृश्य बदल जाएगा। इसका मतलब यह भी है कि सेना दुश्मन की नजरों से बचाने के लिए अपनी मिसाइलों को रेल सुरंगों में छिपा भी सकती है।
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