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मौनी अमावस्या: पितृ प्रसन्नता का त्योहार

मौनी अमावस्या: पितृ प्रसन्नता का त्योहार

धार्मिक महत्व और पूजन विधि

प्रतीकात्मक तस्वीर

मौनी अमावस्या के अवसर पर कुरुक्षेत्र में आज सैकड़ों श्रद्धालुओं ने ब्रह्मसरोवर तट पर डुबकी लगायी। श्रद्धालु सुबह ही ब्रह्मसरोवर तट पर पहुँचने शुरू हो गए थे। मौनी अमावस्या के अवसर पर श्रद्धालुओं ने पूरे विधिविधान से तट पर पूजा अर्चना की। श्रद्धालुओं में उत्साह और उमंग देखने को मिला। पुलिस ने सुरक्षा के इंतज़ाम भी कर रखे थे।

क्या है मौनी अमावस्या

मौनी अमावस्या के दिन दान स्नान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और घर परिवार में सुख शांति बनाए रखते हैं। मौनी अमावस्या की पूजा घर से पितृदोष हटाने के लिए भी की जा सकती है। पूजा-अर्चना करने से और दान स्नान करने से घर में ख़ुशहाली बनी रहती है। माघ के महीने में आने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या तथा माघ अमावस्या भी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या को ऋषि मनु का जन्म हुआ था। इस अवसर पर भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करना भी बेहद शुभ माना जाता है। यह माना जाता है कि इस दिन मौन रहकर ईश्वर की आराधना करना अत्यंत लाभदायक होता है। पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए भी मौनी अमावस्या का दिन अच्छा माना जाता है। इस दिन दान पिंडदान करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और परिवार पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं।

मौनी अमावस्या पर ये चीज़ें ज़रूर ध्यान रखें:

  • अमावस्या के दिन पितरों की पूरी श्रद्धा से पूजा करनी चाहिए।
  • इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना अच्छा माना जाता है।
  • नदि या घर में स्नान करके सूर्या को जल देकर पितरों का तर्पण करना चाहिए।
  • इस दिन मौन रहकर ईश्वर की अराधना करनी चाहिए।
  • किसी भी अपशब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • नकारात्मक विचारों को अपने मन से दूर रखें।
  • मौनी अमावस्या के दिन तामसिक चीज़ों से दूरी बनाए रखें।
  • घर की चौखट पर आए ज़रूरतमंद को कभी ख़ाली हाथ न जाने दें।
  • ग़रीब या ब्राह्मण को इस दिन भोजन कराना चाहिए।
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