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प्रधानमंत्री की कन्याकुमारी डायरी: विवेकानंद की भूमि से उठते विचारों का संगम

प्रधानमंत्री की कन्याकुमारी डायरी: विवेकानंद की भूमि से उठते विचारों का संगम

लोकतंत्र के महापर्व के अंतिम पड़ाव पर कन्याकुमारी में विरक्ति और साधना के बीच पीएम मोदी के मन में उमड़े भारत के भविष्य के सपने, उज्ज्वल लक्ष्यों के लिए संकल्प और विश्व को दिशा देने की जज्बा

प्रतीकात्मक तस्वीर

1 जून की शाम थी। नरेंद्र मोदी विमान में बैठकर कागजों पर कुछ लिख रहे थे। लेकिन उनके मन में कन्याकुमारी की यादें ताजा थीं। तीन दिन पहले वो वहां आध्यात्मिक अनुभूति लेने गये थे। लेकिन विवेकानंद की इस धरती ने उनके अंदर एक क्रांति भर दी थी। उनके विचारों को नई दिशा मिल गई थी।

कन्याकुमारी के शांत वातावरण में धूप डूबते देख पीएम मोदी सोच में खो गये थे। आज ही सुबह उन्होंने गंगा स्नान किया था और अब जाते-जाते विवेकानंद की काशी की धरती को याद कर सकारात्मक ऊर्जा से भर गये थे। 

आजादी के लिए संघर्ष करते युवा स्वामी विवेकानंद ने जब कन्याकुमारी आकर साधना की थी, तब उनके मन में क्या विचार आये होंगे? इसी सोच में खोये पीएम लिखने लगे - "स्वामी विवेकानंद जी ने उस स्थान पर साधना के समय क्या अनुभव किया होगा! मेरी साधना का कुछ हिस्सा इसी तरह के विचार प्रवाह में बहा।"

आखिरकार वो पूरे भारत की परिक्रमा करने के बाद कन्याकुमारी की इस भूमि पर आये थे । देश की विभिन्न जनता से मिलकर उनके मन में नये सपने आये थे। लिखा - "इस विरक्ति के बीच, शांति और नीरवता के बीच, मेरे मन में निरंतर भारत के उज्जवल भविष्य के लिए, भारत के लक्ष्यों के लिए निरंतर विचार उमड़ रहे थे।"   

कन्याकुमारी की खूबसूरत प्रकृति ने उनके विचारों को और समृद्ध बनाया। आगे लिखा - "कन्याकुमारी के उगते हुए सूर्य ने मेरे विचारों को नई ऊंचाई दी, सागर की विशालता ने मेरे विचारों को विस्तार दिया और क्षितिज के विस्तार ने ब्रह्मांड की गहराई में समाई एकात्मकता, Oneness का निरंतर ऐहसास कराया।" 

पीएम की आंखों के सामने  2024 के इस चुनाव के सभी अनुभव  गुजरे। सबसे खास रहा मेरठ से प्रचार शुरू करना, जहां 1857 का आजादी का पहला संग्राम छिड़ा था। उन्होंने लिखा- "वाकई, 24 के इस चुनाव में, कितने ही सुखद संयोग बने हैं। अमृतकाल के इस प्रथम लोकसभा चुनाव में मैंने प्रचार अभियान 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम की प्रेरणास्थली मेरठ से शुरू किया।" 

उन्हें याद आया कि कैसे पंजाब में आखिरी रैली हुई जहां संत रविदास और गुरुनानक देव जी की भूमि है। यहां से प्रेरणा लेकर वे लिखते गए - "माँ भारती की परिक्रमा करते हुए इस चुनाव की मेरी आखिरी सभा पंजाब के होशियारपुर में हुई। संत रविदास जी की तपोभूमि, हमारे गुरुओं की भूमि पंजाब में आखिरी सभा होने का सौभाग्य भी बहुत विशेष है।"   

फिर आई कन्याकुमारी, जहां विवेकानंद की प्रतिमा के साथ तमिल संत तिरुवल्लुवर, गांधी और कामराज की प्रतिमाएं हैं। पीएम सोचने लगे कि कितना सुखद संयोग है कि इतने महान विचारकों की शिक्षाएं एक ही स्थल पर एकत्रित हैं। सोच गहरी होती गई -  "इससे राष्ट्र निर्माण की महान प्रेरणाओं का उदय होता है। जो लोग भारत के राष्ट्र होने और देश की एकता पर संदेह करते हैं, उन्हें कन्याकुमारी की ये धरती एकता का अमिट संदेश देती है।"   

अपने विचारों को और विस्तार देते हुए पीएम ने तिरुवल्लुवर की कृति 'तिरुक्कुरल' को सम्मान दिया जिसमें जीवन के हर पहलू पर लिखा गया है। वो लिख गये - "तिरुक्कुरल तमिल साहित्य के रत्नों से जड़ित एक मुकुट के जैसी है। इसमें जीवन के हर पक्ष का वर्णन है, जो हमें स्वयं और राष्ट्र के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने की प्रेरणा देता है।"  ...कन्याकुमारी में स्वामी विवेकानंद के उस वाक्य ने पीएम मोदी को और भी प्रेरित किया - "Every Nation Has a Message To deliver, a mission to fulfil, a destiny to reach." 

उन्होंने लिखा - "भारत हजारों वर्षों से इसी भाव के साथ सार्थक उद्देश्य को लेकर आगे बढ़ता आया है। भारत हजारों वर्षों से विचारों के अनुसंधान का केंद्र रहा है। हमने जो अर्जित किया उसे कभी अपनी व्यक्तिगत पूंजी मानकर आर्थिक या भौतिक मापदण्डों पर नहीं तौला। इसीलिए, 'इदं न मम' यह भारत के चरित्र का सहज एवं स्वाभाविक हिस्सा हो गया है।" 

अपने इस भारतीय मूल्यों और आध्यात्मिक विचारधारा को विश्व कल्याण से जोड़ते हुए पीएम ने लिखा - "भारत के कल्याण से विश्व का कल्याण, भारत की प्रगति से विश्व की प्रगति, इसका एक बड़ा उदाहरण हमारी आज़ादी का आंदोलन भी है। 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ। उस समय दुनिया के कई देश गुलामी में थे। भारत की स्वतन्त्रता से उन देशों को भी प्रेरणा और बल मिला, उन्होंने आजादी प्राप्त की।"   

कोरोना महामारी का भी उदाहरण देते हुए लिखा - "अभी कोरोना के कठिन कालखंड का उदाहरण भी हमारे सामने है। जब गरीब और विकासशील देशों को लेकर आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं, लेकिन, भारत के सफल प्रयासों से तमाम देशों को हौसला भी मिला और सहयोग भी मिला।" 

आज भारत के गरीबों का सशक्तिकरण और डिजिटल इंडिया जैसी नई पहलें विश्व के लिए मिसाल बन गई हैं। इस बारे में पीएम ने विस्तार से लिखा: 

"आज भारत का गवर्नेंस मॉडल दुनिया के कई देशों के लिए एक उदाहरण बना है। सिर्फ 10 वर्षों में 25 करोड़ लोगों का गरीबी से बाहर निकलना अभूतपूर्व है...गरीब के सशक्तिकरण से लेकर लास्ट माइल डिलीवरी तक, समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को प्राथमिकता देने के हमारे प्रयासों ने विश्व को प्रेरित किया है। भारत का डिजिटल इंडिया अभियान आज पूरे विश्व के लिए एक उदाहरण है कि हम कैसे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल गरीबों को सशक्त करने में, पारदर्शिता लाने में, उनके अधिकार दिलाने में कर सकते हैं। भारत में सस्ता डेटा आज सूचना और सेवाओं तक गरीब की पहुँच सुनिश्चित करके सामाजिक समानता का माध्यम बन रहा है।"

विमान की खिड़की से बाहर देखते हुए पीएम सोच रहे थे कि भारत आज वैश्विक मंच पर कितना सम्मान हासिल कर रहा है। उन्होंने लिखा - "G-20 की सफलता के बाद से विश्व भारत की इस भूमिका को और अधिक मुखर होकर स्वीकार कर रहा है। आज भारत को ग्लोबल साउथ की एक सशक्त और महत्वपूर्ण आवाज़ के रूप में स्वीकार किया जा रहा है।" 

इसके साथ ही उन्होंने भविष्य के सपनों को भी शामिल किया - "हमें भारत के विकास को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में देखना होगा, और इसके लिए ये जरूरी है कि हम भारत के अंतर्भूत सामर्थ्य को समझें।21वीं सदी की दुनिया आज भारत की ओर बहुत आशाओं से देख रही है।" 

पीएम मोदी ने आगे लिखा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए बहुत कुछ करना बाकी है। उन्होंने लिखा - "और वैश्विक परिदृश्य में आगे बढ़ने के लिए हमें कई बदलाव भी करने होंगे। हमें reform को लेकर हमारी पारंपरिक सोच को भी बदलना होगा। भारत reform को केवल आर्थिक बदलावों तक सीमित नहीं रख सकता है। हमें जीवन में हर क्षेत्र में reform की दिशा में आगे बढ़ना होगा। हमारे reform 2047 के विकसित भारत के संकल्प के अनुरूप भी होने चाहिए।" 

पीएम मोदी सरकार की reform, perform और transform की नीति को भी रेखांकित किया - "इसीलिए, मैंने देश के लिए reform, perform और transform का विजन सामने रखा। reform का दायित्व नेतृत्व का होता है। उसके आधार पर हमारी ब्यूरोक्रेसी perform करती है और फिर जब जनता जनार्दन इससे जुड़ जाती है, तो transformation होते हुए देखते हैं।" 

आगे बढ़ते हुए विमान की गति से उनके विचारों की गति भी बढ़ती गई। वे लिखते गये - "भारत को विकसित भारत बनाने के लिए हमें श्रेष्ठता को मूल भाव बनाना होगा। हमें Speed, Scale, Scope और Standards, चारों दिशाओं में तेजी से काम करना होगा। हमें मैन्युफैक्चरिंग के साथ-साथ क्वालिटी पर जोर देना होगा, हमें zero defect- zero effect के मंत्र को आत्मसात करना होगा।"

अपने विचारों को और गहराई देते हुए पीएम मोदी लिख गये - "हमें हर पल इस बात पर गर्व होना चाहिए कि ईश्वर ने हमें भारत भूमि में जन्म दिया है। ईश्वर ने हमें भारत की सेवा और इसकी शिखर यात्रा में हमारी भूमिका निभाने के लिए चुना है।हमें प्राचीन मूल्यों को आधुनिक स्वरूप में अपनाते हुये अपनी विरासत को आधुनिक ढंग से पुनर्परिभाषित करना होगा।" 

इतना लिखकर पीएम कुछ देर सोचते रहे। फिर एक जोश के साथ उन्होंने आखिरी पैरा लिखा: 

"हमें एक राष्ट्र के रूप में पुरानी पड़ चुकी सोच और मान्यताओं का परिमार्जन भी करना होगा। हमें हमारे समाज को पेशेवर निराशावादियों के दबाव से, Professional Pessimists के दबाव से बाहर निकालना है। हमें याद रखना है, नकारात्मकता से मुक्ति, सफलता की सिद्धि तक पहुंचने के लिए पहली जड़ी-बूटी है। सकारात्मकता की गोद में ही सफलता पलती है।" 

इसके बाद पीएम ने पूरी लिखावट को पढ़ा और अंत में लिख दिया - "मैं देश की ऊर्जा को देखकर ये कह सकता हूँ कि लक्ष्य अब दूर नहीं है। आइए, तेज कदमों से चलें...मिलकर चलें, भारत को विकसित बनाएं।" 

विमान धीरे-धीरे उतरने लगा तो पीएम को एहसास हुआ कि वो तीन दिन की आध्यात्मिक यात्रा के बाद एक नई ऊर्जा के साथ लौट रहे हैं। उन्होंने अपनी डायरी बंद कर ली, लेकिन विचारों का संगम उनके मन में जारी रहा।

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