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महिलाएं हर मिथक को तोड़ रही हैं : इस बार कुल 797 महिला उम्मीदवारों ने लड़ा चुनाव, कुल 74 महिला सदस्य चुनी गईं

महिलाएं हर मिथक को तोड़ रही हैं : इस बार कुल 797 महिला उम्मीदवारों ने लड़ा चुनाव, कुल 74 महिला सदस्य चुनी गईं

बीते कई दशकों से महिलाओं ने चुनौती देते हुए हर क्षेत्र में स्वयं को स्थापित किया है, राजनीति के क्षेत्र की बात करें तो, उसमे भी महिलाएं पीछे नहीं हैं, बशर्ते उनको पर्याप्त मौका और तवज्जो दी जाए, विश्लेषण के अनुसार, महिलाओं के प्रतिनिधित्व के मामले में भारत अभी भी कई देशों से पीछे हैं, जो चिंतनीय विषय है

प्रतीकात्मक तस्वीर

महिलाएं हर मिथक को तोड़ रही हैं,

नित नए सफलता के आयाम जोड़ रही हैं।।

भारतीय नारी अबला नहीं, बल्कि सशक्त है। अलबत्ता हर परिस्थिति से लड़ना जानती है। समाज की पुरुष-प्रधान मान्यताओं को बीते कई दशकों से महिलाओं ने चुनौती देते हुए हर क्षेत्र में स्वयं को स्थापित किया है। कई उदाहरण ऐसे भी देखने को मिलते हैं, जहां पुरुषों ने भी महिला विरोधी रूढ़ियों का विरोध किया और उनके समान अधिकारों की बात की। आज राजनीति के क्षेत्र की बात करें तो, उसमे भी महिलाएं पीछे नहीं हैं, बशर्ते उनको पर्याप्त मौका और तवज्जो दी जाए, तो वे अपनी भागीदारी का प्रतिशत बढ़ा सकती हैं। अलबत्ता पुरुष प्रधान समाज की सोच को बदलते हुए जहां आज महिलाएं सशक्त, गतिशील और राजनीतिक और सामाजिक कार्यों में बेहद सक्रिय हैं। 

महिलाओं के प्रतिनिधित्व के मामले में भारत अभी भी कई देशों से पीछे 

मातृ शक्ति की वास्तविक शक्ति को पहचानते हुए अब राजनीतिक पार्टियां भी महिलाओं को आगे रखते हुए चुनावी जंग में उतरती है। उल्लेखनीय है कि अठारहवीं लोकसभा के लिए इस बार कुल 74 महिला सदस्य चुनी गईं हैं, जो कुल संख्या का 13.62 प्रतिशत है। जबकि सत्रहवीं लोकसभा यानी 2019 के आम चुनाव में यह संख्या 78 थी, जो कुल संख्या का 14 प्रतिशत हैं। वहीं 16वीं लोकसभा में 64 महिलाएं चुनाव जीती थीं जबकि 15वीं लोकसभा में यह संख्या 52 थी। हालांकि विश्लेषण के अनुसार, महिलाओं के प्रतिनिधित्व के मामले में भारत अभी भी कई देशों से पीछे हैं, जो चिंतनीय विषय है, उदाहरण के तौर पर दक्षिण अफ्रीका में 46 प्रतिशत, ब्रिटेन में 35 प्रतिशत और अमेरिका में 29 प्रतिशत सांसद महिलाएं हैं।

इस बार कुल 797 महिला उम्मीदवारों ने लड़ा था चुनाव

गौरतलब है कि इस बार कुल 797 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था, जिनमें से बीजेपी ने सबसे अधिक 69 और कांग्रेस ने 41 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया था। निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, बीजेपी की 30 महिला उम्मीदवारों ने इस बार लोकसभा चुनाव जीता है। विश्लेषण में चुनाव आयोग के आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि बीजेपी की 30, कांग्रेस की 14, तृणमूल कांग्रेस की 11, सपा की चार, द्रमुक की तीन, जदयू एवं लोजपा (रामविलास) की दो-दो महिला प्रत्याशी इस चुनाव में विजयी हुई हैं।

प्रिया सरोज और इकरा चौधरी जीत हासिल करने वाली सबसे कम उम्र की उम्मीदवार 

बीजेपी की हेमा मालिनी, तृणमूल की महुआ मोइत्रा, राकांपा (शरद चंद्र पवार) की सुप्रिया सुले और समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव ने लोकसभा चुनाव में अपनी सीटें बरकरार रखीं हैं, जबकि कंगना रनौत और मीसा भारती जैसी उम्मीदवारों ने अपनी पहली जीत से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। मछलीशहर से समाजवादी पार्टी की 25 वर्षीय उम्मीदवार प्रिया सरोज और कैराना सीट से 29 वर्षीय इकरा चौधरी जीत हासिल करने वाली सबसे कम उम्र की उम्मीदवारों में शामिल हैं। लोकसभा एवं विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण देने वाला विधेयक संसद से पारित होने के बाद यह पहला चुनाव था, हालांकि यह कानून अभी लागू नहीं हुआ है।

महिलाओं के अलावा 280 सदस्य ऐसे हैं जो पहली बार इस सदन के सदस्य बने  

इस बार महिलाओं के अलावा लोकसभा में चुनकर आए 280 सदस्य ऐसे हैं जो पहली बार इस सदन के सदस्य बने हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री, फिल्मी सितारे, राजनीतिक कार्यकर्ता और हाई कोर्ट के पूर्व जज शामिल हैं। प्रमुख चेहरों में किशोरी लाल शर्मा, चंद्रशेखर आजाद, पीयूष गोयल, भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान, मनसुख मांडविया, परषोत्तम रूपाला आदि शामिल हैं। उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक 45 और महाराष्ट्र से 33 नए चेहरे चुनकर आए हैं।  कुल मिलाकर आज राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए सरकार, राजनीतिक पार्टियों और समाज को और अभिक प्रयास करने की ज़रूरत है, महिलाओं की क्षमता पर और अधिक विश्वास जताने की ज़रूरत है। उनके आत्मविश्वास को सम्मान देने की ज़रूरत है।

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